रघुवर श्री रामचन्द्र जी की आरती
रघुवर श्री रामचन्द्र जी आरती" भक्तों द्वारा प्रतिदिन भगवान श्रीराम की पूजा-अर्चना के रूप में आरंभ की जाती है और इसमें उनके गुण, महिमा, और लीलाएं स्तुति गीत रूप में होती हैं। यह आरती भक्तों को श्रीरामचन्द्र जी के सगुण स्वरूप की भावना में ले जाने का कार्य करती है और उनके प्रति भक्ति और श्रद्धा का अभिवादन करती है। आरती की पंक्तियाँ भक्तों को रामचन्द्र जी की पूजा के समय उनके आदि-अंत रहित, सर्वशक्तिमान, और परमात्मा स्वरूप की स्मृति में ले जाती हैं। यहां कुछ सांक्षेपिक रूप से दी जा रही हैं
श्री राम नवमी, विजय दशमी, सुंदरकांड, रामचरितमानस कथा और अखंड रामायण के पाठ में प्रमुखता से की जाने वाली आरती।
रघुवर श्री रामचन्द्र जी की आरती (Aarti of Raghuvar Shri Ramchandra ji)
आरती कीजै श्री रघुवर जी की,
सत चित आनन्द शिव सुन्दर की॥
दशरथ तनय कौशल्या नन्दन,
सुर मुनि रक्षक दैत्य निकन्दन॥
अनुगत भक्त भक्त उर चन्दन,
मर्यादा पुरुषोत्तम वर की॥
निर्गुण सगुण अनूप रूप निधि,
सकल लोक वन्दित विभिन्न विधि॥
हरण शोक-भय दायक नव निधि,
माया रहित दिव्य नर वर की॥
जानकी पति सुर अधिपति जगपति,
अखिल लोक पालक त्रिलोक गति॥
विश्व वन्द्य अवन्ह अमित गति,
एक मात्र गति सचराचर की॥
शरणागत वत्सल व्रतधारी,
भक्त कल्प तरुवर असुरारी॥
नाम लेत जग पावनकारी,
वानर सखा दीन दुख हर की॥
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