अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर रामायणकालीन वृक्ष'154 धार्मिक स्थलों का विकसित 5 मुख्या बात जानिए
अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर रामायणकालीन वृक्ष
154 धार्मिक स्थलों का विकसित 5 मुख्या बात जानिए
84 कोसी परिक्रमा पांच जिलों बस्ती, गोंडा, अयोध्या, बाराबंकी और अंबेडकरनगर से होकर गुजरती है। परिक्रमा पथ एनएच 28, एनएच 27, एनएच 135 ए, एनएच 330 व बीक़पुर, इनायतनगर से जुड़ता है।
रामायणकालीन वृक्ष परिक्रमा मार्ग पर लगेंगे
84 कोसी परिक्रमा मार्ग पर रामायणकालीन पौधे रोपित किया जाएंगे। आम, जामुन, पीपल, बरगद, अशोक आदि के पेड़ लगाए जाने की तैयारी है। इस रास्ते में कई विश्राम स्थल बनाए जाने का भी प्रस्ताव है। मखधाम, मखौड़ा से शुरू होती परिक्रमा की 84 कोसी परिधि रामनगरी की पौराणिकता की गवाह है। यही नहीं, इसमें पड़ने वाले आध्यात्मिक स्थलों के साथ रामनगरी की समृद्ध आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत भी प्रवाहमान है। राजा दशरथ के समय की अयोध्या 84 कोस में फैली थी। इसे रामनगरी की सांस्कृतिक सीमा कहा जाता है। भगवान राम से जुड़े पौराणिक स्थल 84 कोसी परिक्रमा पथ के साथ ईद-गिर्द भी स्थित हैं। अयोध्या से 20 किमी उत्तर स्थित बस्ती जिले के मखौड़ा धाम से 84 कोसी परिक्रमा शुरू होती है। इसी स्थल पर युगों पूर्व राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना से यज्ञ किया था। रास्ते में कुल 21 पड़ाव आते हैं। मान्यता है कि 84 लाख योनियों में भटकने से मुक्ति के लिए यह परिक्रमा की जाती है।

5 मुख्या बात अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा के बारे जानिए
उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग में अब शराब बिक्री पर योगी सरकार ने पूरी तरह से बैन लगाने की घोषणा कर दी है. उत्तर प्रदेश के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय से मुलाकात से बाद यह जानकारी साझा की. आबकारी मंत्री के मुताबिक, अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा क्षेत्र को पूरी तरह से मद्य निषिद्ध क्षेत्र घोषित किया जाएगा. इसके साथ ही पूरे मार्ग पर स्थित शराब की दुकानों को शिफ्ट किया जाएगा. आइये 5 पॉइंट में अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा के बारे जानते हैं
- भाजपा सरकार ने साल 2021 में 84 कोसी परिक्रमा मार्ग को राष्ट्रीय राजमार्ग 227 बी घोषित कर दिया था. अयोध्या में करीब 80 किमी रिंग रोड और 275.35 किमी चौरासी कोसी परिक्रमा मार्ग नेशनल हाइवे बनाया जा रहा है. विकास कार्य पूरा होने के बाद पर्यटक अयोध्या में 84 कोसी परिक्रमा फोरलेन मार्ग से कर सकेंगे.
- पुत्र यज्ञ के लिए दशरथ जी ने करीब 22 दिनों में पैदल ही यात्रा पूरी की थी. इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ विश्राम के लिए कई जगहे हैं. दो छोटी परिक्रमा हर साल हजारों भक्तों द्वारा पूरी की जाती हैं, लेकिन 84 कोस परिक्रमा 100-150 से अधिक लोगों द्वारा नहीं की जाती है.
- 84 कोस की परिक्रमा उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है, जो भगवान राम के राज्य से जुड़े हुए हैं. यानी यह अवध क्षेत्र की परिक्रमा कहलाती है. यह परिक्रमा 24 दिन तक चलती है.
- अयोध्या में तीन परिक्रमाएं हैं. 5 कोस जो करीब 15 किमी की है. 14 कोस जो करीब 42 किमी की है और 84 कोस जो करीब 275 किमी की है. ये सभी भगवान राम से जुड़ी हुई परिक्रमाएं हैं
- धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के मुताबिक, राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रयष्ठी यज्ञ किया था. इसके बाद उन्हें अपनी तीन पत्नियों से चार पुत्रों का वरदान मिला. 84 कोस परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां यज्ञ किया गया था. उस स्थान को अब बस्ती में मखौरा के रूप में पहचाना जाता है.
154 धार्मिक स्थलों का विकसित
रामनगरी की पौराणिकता का गवाह 84 कोसी परिक्रमा इलाके में पड़ने वाले 154 धार्मिक स्थलों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। उपनिदेशक पर्यटन आरपी यादव ने बताया कि इसके लिए भेजे गए इस्टीमेट को शासन ने स्वीकृत कर 100 करोड़ रुपये का फंड रिलीज कर दिया है। उन्होंने बताया कि अब अयोध्या का क्षेत्र 84 कोसी परिक्रमा इलाके तक हो गया है। इनमें आने वाले ऋषियों-मुनियों की तपस्थलियों और धार्मिक स्थलों जैसे सूरजकुंड, भरतकुंड, आस्तीकन, मखौड़ा, श्रगी ऋषि का आश्रम, जनमेजय व वाम देव जी का आश्रम आदि धार्मिक स्थल इस पथ पर उपेक्षित पड़े हैं। इनका भी सुंदरीकरण कराया जाएगा। 84 कोसी परिक्रमा पथ राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित हो चुका है। पथ के आसपास के इलाके पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होंगे। धार्मिक स्थलों का सुंदरीकरण कराया जाएगा। छह फेज में परिक्रमा पथ को विकसित किया जाना है। दो हजार करोड़ का टेंडर भी जारी किया जा चुका है, जल्द काम शुरू होगा।
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