जय जगदीश हरे” भगवान विष्णु जी आरती

जय जगदीश हरे” भगवान विष्णु जी आरती


श्री विष्णु आरती हिन्दू भक्तिमार्ग में एक महत्वपूर्ण पूजा पद्धति है जिससे भक्त भगवान विष्णु की कृपा को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यहां एक प्रमुख श्री विष्णु आरती है जिसे आप पढ़ सकते हैं

श्री विष्णु आरती Om Jai Jagdish Hare Lyrics

भगवान विष्णु जी की आरती

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे ।
भक्तजनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का,
स्वामी दुख बिनसे मन का ।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का ।१।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी,
स्वामी शरण गहूं किसकी ।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी ।२।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी,
स्वामी तुम अंतरयामी ।
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी ।३।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता,
प्रभु तुम पालनकर्ता ।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता ।४।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति ।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति ।५।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे,
प्रभु तुम ठाकुर मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे ।६।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा ।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ।७।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा,
स्वामी सब कुछ है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा ।८।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे ।९।
॥ ॐ जय जगदीश हरे ॥

इस आरती को पठने या सुनने से भक्त श्री विष्णु भगवान की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं।

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