विष्णु पुराण का स्वरूप,Vishnu Puraan Ka Svaroop
श्रीब्रह्माजी कहते हैं- वत्स ! सुनो, अब मैं वैष्णव महापुराणका वर्णन करता हूँ। इसकी श्लोक-संख्या तेईस हजार है। यह सब पातकोंका नाश करनेवाला है। इसके पूर्वभागमें शक्तिनन्दन पराशरजीने मैत्रेयको छः अंश सुनाये हैं, उनमेंसे प्रथम अंशमें इस पुराणकी अवतरणिका दी गयी है। आदिकारण सर्ग, देवता आदिकी उत्पत्ति, समुद्रमन्थनकी कथा, दक्ष आदिके वंशका वर्णन ध्रुव तथा पृथुके चरित्र, प्राचेतसका उपाख्यान, प्रह्लादकी कथा और ब्रह्माजीके द्वारा देव, तिर्यक्, मनुष्य आदि वर्गोंके प्रधान-प्रधान व्यक्तियोंको पृथक् पृथक् राज्याधिकार दिये जानेका वर्णन- इन सब विषयोंको प्रथम अंश कहा गया है। प्रियव्रतके वंशका वर्णन, द्वीपों और वर्षोंका वर्णन, पाताल और नरकोंका कथन, सात स्वर्गोंका निरूपण, पृथक् पृथक् लक्षणोंसे युक्त सूर्य आदि ग्रहोंकी गतिका प्रतिपादन, भरत चरित्र, मुक्तिमार्ग निदर्शन तथा निदाघ एवं ऋभुका संवाद ये सब विषय द्वितीय अंशके अन्तर्गत कहे गये हैं।मन्वन्तरों का वर्णन, वेदव्यासका अवतार तथा इसके बाद नरकसे उद्धार करनेवाला कर्म कहा गया है। सगर और और्वके संवादमें सब धर्मोंका निरूपण, श्राद्धकल्प तथा वर्णाश्रमधर्म, सदाचार-निरूपण तथा मायामोहकी कथा यह सब विषय तीसरे अंशमें बताया गया है, जो सब पापोंका नाश करनेवाला है।
मुनिश्रेष्ठ ! सूर्यवंशकी पवित्र कथा, चन्द्रवंशका वर्णन तथा नाना प्रकारके राजाओंका वृत्तान्त चतुर्थ अंशके अन्तर्गत है। श्रीकृष्णावतारविषयक प्रश्न, गोकुलकी कथा, बाल्यावस्थामें श्रीकृष्णद्वारा पूतना आदिका वध, कुमारावस्थामें अघासुर आदिकी हिंसा, किशोरावस्थामें उनके द्वारा कंसका वध, मथुरापुरीकी लीला, तदनन्तर युवावस्थामें द्वारकाकी लीलाएँ, समस्त दैत्योंका वध, भगवान्के पृथक् पृथक् विवाह, द्वारकामें रहकर योगीश्वरोंके भी ईश्वर जगन्नाथ श्रीकृष्णके द्वारा शत्रुओंके वध आदिके साथ-साथ पृथ्वीका भार उतारा जाना और अष्टावक्रजीका उपाख्यान- ये सब बातें पाँचवें अंशके अन्तर्गत हैं। कलियुगका चरित्र, चार प्रकारके महाप्रलय तथा केशिध्वजके द्वारा खाण्डिक्य जनकको ब्रह्मज्ञानका उपदेश इत्यादि विषयोंको छठा अंश कहा गया है।
इसके बाद विष्णुपु राणका उत्तर भाग प्रारम्भ होता है, जिसमें शौनक आदिके द्वारा आदरपूर्वक पूछे जानेपर सूतजीने सनातन 'विष्णुधर्मोत्तर' नामसे प्रसिद्ध नाना प्रकारके धर्मोंकी कथाएँ कही हैं। अनेकानेक पुण्य-व्रत, यम-नियम, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, वेदान्त, ज्यौतिष, वंशवर्णनके प्रकरण, स्तोत्र, मन्त्र तथा सब लोगोंका उपकार करनेवाली नाना प्रकारकी विद्याएँ सुनायी हैं। यह विष्णु पुराण है, जिसमें सब शास्त्रोंके सिद्धान्तका संग्रह हुआ है। इसमें वेदव्यासजीने वाराहकल्पका वृत्तान्त कहा है। जो मनुष्य भक्ति और आदरके साथ विष्णु पुराणको पढ़ते और सुनते हैं, वे दोनों यहाँ मनोवाञ्छित भोग भोगकर विष्णुलोकमें चले जाते हैं। जो इस पुराणको लिखवाकर या स्वयं लिखकर आषाढ़की पूर्णिमाको घृतमयी धेनुके साथ पुराणार्थवेत्ता विष्णुभक्त ब्राह्मणको दान करता है, वह सूर्यके समान तेजस्वी विमानद्वारा वैकुण्ठधाममें जाता है। ब्रह्मन् ! जो विष्णु पुराणकी इस विषयानुक्रमणिकाको कहता अथवा सुनता है, वह समूचे पुराणके पठन एवं श्रवणका फल पाता है।
- विष्णु पुराण में क्या लिखा है?
विष्णु पुराण में मुख्य रूप से श्रीकृष्ण चरित्र का वर्णन है, यद्यपि संक्षेप में राम कथा का उल्लेख भी प्राप्त होता है। अष्टादश महापुराणों में श्री विष्णु पुराण का स्थान बहुत ऊँचा है। इसमें अन्य विषयों के साथ भूगोल, ज्योतिष, कर्मकाण्ड, राजवंश और श्रीकृष्ण-चरित्र आदि कई प्रंसगों का बड़ा ही अनूठा और विशद वर्णन किया गया है।
- विष्णु पुराण कब पढ़ना चाहिए?
श्रावण-भाद्रपद, आश्विन, अगहन, माघ, फाल्गुन, बैशाख और ज्येष्ठ मास विशेष रूप से विष्णु पुराण के लिये शुभ माना गया है। इसके साथ ही कई विद्वानों का मानना है कि हर दिन भगवान का होता है। इसलिए जिस दिन भी विष्णु पुराण कथा प्रारम्भ कर दें, वही उस कथा को पढ़ने के लिए शुभ मुहुर्त है।
- विष्णु पुराण में कलयुग के बारे में क्या लिखा है?
कलयुग के बारे में महर्षि पराशर ने विष्णु पुराण में यह भी कहा है कि कलयुग में मनुष्य को जरा सा पद और धन हो जाएगा तो वह उसमें ही अहंकार दिखाने लगेगा। लोगों में अल्प धन से ही अहंकार भर जाएगा और दूसरों को दबाने की कोशिश करेगा। लोगों में खुद को श्रेष्ठ बताने की होड़ रहेगी।
- विष्णु पुराण में कितने अध्याय होते हैं?
इसमें केवल सात हजार श्लोक और छह अध्याय हैं. इसकी रचना महर्षि वेद व्यास के पिता पराशर ऋषि ने की है. इसमें श्रीहरि और उनके भक्तों से जुड़ी रोचक कथाओं का वर्णन मिलता है. साथ ही इसमें श्रीहरि के अवतारों, श्रीकृष्ण चरित्र और राम कथा का भी उल्लेख किया गया है.
- विष्णु पुराण में सर्वोच्च देवता कौन है?
विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु सर्वोच्च देवता हैं और ब्रह्मांड के निर्माता ब्रह्मा भगवान विष्णु के गर्भ से पैदा हुए हैं।
- विष्णु पुराण के क्या लाभ हैं?
ऐसा कहा जाता है कि जो लोग विष्णु पुराण सुनने का अवसर पाते हैं, उनका पुनर्जन्म नहीं होता। विष्णु पुराण सुनना काशी या पुष्कर जैसे पवित्र स्थानों पर जाने से भी अधिक पवित्र है। यह व्यक्ति को ईश्वर के करीब पहुंचने में मदद करता है । श्री भगवद गीता अध्याय 10 श्लोक 9 (मथचित्त: मथ गाथा प्राण:)
- विष्णु पुराण किसे पढ़ना चाहिए?
विष्णु पुराण में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति, चाहे वह किसी भी वर्ण या जीवन स्तर का हो, उपरोक्त कर्तव्यों के अनुसार जीवन जीता है, वह भगवान विष्णु का सर्वश्रेष्ठ उपासक है। मनुष्य के नैतिक कर्तव्यों पर इसी तरह के कथन विष्णु पुराण के अन्य भागों में भी मिलते हैं।
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