नवरात्रि क्या है? जानिए नवरात्रि की नौ देवियों को विशेष प्रसाद, Hindu Gods Gyan पर,What is Navratri? Jaanie Navratri kee nau deviyon ko vishesh prasaad - Hindu Gods Gyan par
नवरात्रि क्या है? जानिए नवरात्रि की नौ देवियों को विशेष प्रसाद,
संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना त्रुटिपूर्ण हैं। नौ रात्रियों का समाहार, समूह होने के कारण से द्वन्द समास होने के कारण यह शब्द पुलिंग रूप 'नवरात्र' में ही शुध्द है।
नवरात्र क्या है
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा के काल में एक साल की चार संधियाँ हैं। उनमें मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय रोगाणु आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है। ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियाँ बढ़ती हैं, अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए, शरीर को शुध्द रखने के लिए और तनमन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम 'नवरात्र' है।
नवरात्र
अमावस्या की रात से अष्टमी तक या पड़वा से नवमी की दोपहर तक व्रत नियम चलने से नौ रात यानी 'नवरात्र' नाम सार्थक है। यहाँ रात गिनते हैं, इसलिए नवरात्र यानि नौ रातों का समूह कहा जाता है।रूपक के द्वारा हमारे शरीर को नौ मुख्य द्वारों वाला कहा गया है। इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। इन मुख्य इन्द्रियों के अनुशासन, स्वच्छ्ता, तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में, शरीर तंत्र को पूरे साल के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील रखने के लिए नौ द्वारों की शुध्दि का पर्व नौ दिन मनाया जाता है। इनको व्यक्तिगत रूप से महत्व देने के लिए नौ दिन नौ दुर्गाओं के लिए कहे जाते हैं।
शरीर को सुचारू रखने के लिए विरेचन, सफाई या शुध्दि प्रतिदिन तो हम करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई करने के लिए हर छ: माह के अंतर से सफाई अभियान चलाया जाता है। सात्विक आहार के व्रत का पालन करने से शरीर की शुध्दि, साफ सुथरे शरीर में शुध्द बुद्धि, उत्तम विचारों से ही उत्तम कर्म, कर्मों से सच्चरित्रता और क्रमश: मन शुध्द होता है। स्वच्छ मन मंदिर में ही तो ईश्वर की शक्ति का स्थायी निवास होता है।
नौ देवियाँ - नव देवी
नौ दिन यानि हिन्दी माह चैत्र और आश्विन के शुक्ल पक्ष की पड़वा यानि पहली तिथि से नौवी तिथि तक प्रत्येक दिन की एक देवी मतलब नौ द्वार वाले दुर्ग के भीतर रहने वाली जीवनी शक्ति रूपी दुर्गा के नौ रूप हैं:-- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कन्दमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिध्दीदात्री
जानिए नवरात्रि की नौ देवियों को विशेष प्रसाद
इनका नौ जड़ी बूटी या ख़ास व्रत की चीजों से भी सम्बंध है, जिन्हे नवरात्र के व्रत में प्रयोग किया जाता है-
क्रमश: ये नौ प्राकृतिक व्रत खाद्य पदार्थ हैं।
- कुट्टू (शैलान्न)
- दूध-दही,
- चौलाई (चंद्रघंटा)
- पेठा (कूष्माण्डा)
- श्यामक चावल (स्कन्दमाता)
- हरी तरकारी (कात्यायनी)
- काली मिर्च व तुलसी (कालरात्रि)
- साबूदाना (महागौरी)
- आंवला(सिध्दीदात्री)
अष्टमी या नवमी:
यह कुल परम्परा के अनुसार तय किया जाता है। भविष्योत्तर पुराण में और देवी भावगत के अनुसार, बेटों वाले परिवार में या पुत्र की चाहना वाले परिवार वालों को नवमी में व्रत खोलना चाहिए। वैसे अष्टमी, नवमी और दशहरे के चार दिन बाद की चौदस, इन तीनों की महत्ता 'दुर्गासप्तशती' में कही गई है।
वैदिक काल से भी पहले प्रगतेहासिक काल मे महामाया की ओर निराकार ब्रह्म शिवजी की ही उपासना की जाती थी । मतलब वेदों के सर्जन से पहले महाशक्ति महामाया की उपासना की जाती थी और उनकी कृपा से ही भगवान बह्मा को सृष्टि सर्जन ओर वैदिक ज्ञान हुवा । खगोलीय घटना अनुसार वर्षमे दो बार जल , वायु और अग्नि तत्व का संयोजन होता है वो समय है अश्वीन मास ओर चैत्र मास का समय । भगवती के महालक्ष्मी , महासरस्वती ओर महाकाली के सत्व , राजस ,तमस के नोउ स्वरूपो का यजन । इन समय पृथ्वीलोक पर विद्युत शक्ति ( शक्ति ) का पूर्ण स्वरूप होता है । इसलिए नवरात्रमें शक्ति उपासना स्वयम ही सफल रहती है । महामाया के पूर्णस्वरूप का वर्णन ओर उपासना दुर्गा शप्तशती ग्रंथ में दिया गया है ।
टिप्पणियाँ