नवरात्रि के नौ दिनों के लिए मां दुर्गा के नौ रूपों का कवच,Navratri ke nau dinon ke lie Maa Durga ke nau svaroopon ka kavach
नवरात्रि के नौ दिनों के लिए मां दुर्गा के नौ रूपों का कवच,
नवदुर्गा कवच के लाभ:
- मन की शांति:- नवदुर्गा कवच का पाठ करने से मन शांत होता है और मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
- विपत्तियों से रक्षा:- नवदुर्गा कवच का पाठ विपत्तियों और संकटों का सामना करने की शक्ति प्रदान करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा का नाश:- यह कवच नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है, जिससे व्यक्ति के आसपास का वातावरण शुद्ध होता है।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति:- यह कवच धन, समृद्धि, और ऐश्वर्य की प्राप्ति में सहायक होता है, जिससे जीवन में उन्नति होती है।
मां दुर्गा के नौ रूपों का कवच
मां दुर्गा का पहला रूप - मां शैलपुत्री कवच
ओमकार:में शिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार,पातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी॥
श्रीकार:पातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हूंकार:पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत॥
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा।
मां दुर्गा का दूसरा रूप - मां ब्रह्मचारिणी कवच
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
मां दुर्गा का तीसरा रूप - मां चन्द्रघण्टा कवच
रहस्यं श्रुणु वक्ष्यामि शैवेशी कमलानने।
श्री चन्द्रघन्टास्य कवचं सर्वसिध्दिदायकम्॥
बिना न्यासं बिना विनियोगं बिना शापोध्दा बिना होमं।
स्नानं शौचादि नास्ति श्रध्दामात्रेण सिध्दिदाम॥
कुशिष्याम कुटिलाय वंचकाय निन्दकाय च
न दातव्यं न दातव्यं न दातव्यं कदाचितम्॥
मां दुर्गा का चौथा रूप - मां कूष्मांडा कवच
हसरै मे शिर: पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रथ, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे वाराही उत्तरे तथा।
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्दिध सर्वत्रैव कूं बीजं सर्वदावतु॥
मां दुर्गा का पांचवां रूप - मां स्कंदमाता कवच
ऐं बीजालिंकादेवी पदयुग्मधरापरा।
हृदयंपातुसा देवी कातिकययुता॥
श्रींहीं हुं ऐं देवी पूर्वस्यांपातुसर्वदा।
सर्वाग में सदा पातुस्कन्धमातापुत्रप्रदा॥
वाणवाणामृतेहुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरस्यातथाग्नेचवारूणेनेत्रतेअवतु॥
इन्द्राणी भैरवी चैवासितांगीचसंहारिणी।
सर्वदापातुमां देवी चान्यान्यासुहि दिक्षवै॥
मां दुर्गा का छठा रूप - मां कात्यायनी कवच
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥
मां दुर्गा का सातवां रूप - मां कालरात्रि कवच
ऊँ क्लीं मे हृदयम् पातु पादौ श्रीकालरात्रि।
ललाटे सततम् पातु तुष्टग्रह निवारिणी॥
रसनाम् पातु कौमारी, भैरवी चक्षुषोर्भम।
कटौ पृष्ठे महेशानी, कर्णोशङ्करभामिनी॥
वर्जितानी तु स्थानाभि यानि च कवचेन हि।
तानि सर्वाणि मे देवीसततंपातु स्तम्भिनी॥
मां दुर्गा का आठवां रूप - मां महागौरी कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
माँ दुर्गा का नौवां रूप - मां सिद्धिदात्री कवच
ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।
हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो।।
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