स्कंद षष्ठी व्रत किसे समर्पित है स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व और पूजन विधि, To whom is Skanda Shashthi fast dedicated? Importance and method of worship of Skanda Shashthi fast
स्कंद षष्ठी व्रत किसे समर्पित है स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व और पूजन विधि
स्कंद षष्ठी व्रत
स्कंद षष्ठी व्रत भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र, भगवान कार्तिकेय की आराधना के लिए किया जाता है। उन्हें स्कंद भी कहा जाता है, इसलिए यह व्रत "स्कंद षष्ठी" के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यह व्रत संतान सुख की प्राप्ति और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। दक्षिण भारत में इसे एक प्रमुख त्योहार के रूप में मनाया जाता है, जहां भगवान कार्तिकेय को कुमार, मुरुगन, और सुब्रह्मण्यम के नामों से पूजा जाता है। हर महीने की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है, इसलिए इसे कौमारिकी भी कहा जाता है।
स्कंद षष्ठी व्रत का महत्व
इस व्रत का विशेष महत्व संतान प्राप्ति के लिए माना जाता है। कहा जाता है कि पति-पत्नी अगर सच्चे मन से इस व्रत का पालन करते हैं, तो उन्हें शीघ्र संतान सुख की प्राप्ति होती है। जिन लोगों को संतान सुख की इच्छा होती है, उन्हें भगवान कार्तिकेय की आराधना अवश्य करनी चाहिए। साथ ही, यह व्रत परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में भी सहायक होता है।
स्कंद षष्ठी पूजन विधि
- स्नान और शुद्धि: व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
- घर की शुद्धि: घर और मंदिर में गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
- देवी-देवताओं का आह्वान: भगवान गणेश और नौ ग्रहों की पूजा करें और सभी देवी-देवताओं का आह्वान करें।
- चौकी की स्थापना: एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजा सामग्री: भगवान को वस्त्र, इत्र, पुष्प, आभूषण, दीप, धूप, और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र जाप: "ॐ स्कन्द शिवाय नमः" मंत्र का तीन बार जाप करें।
- आरती और परिक्रमा: पूजा के अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और उनकी प्रतिमा की तीन बार परिक्रमा करें।
स्कंद षष्ठी पूजन का महत्व
इस व्रत में भगवान स्कंद की पूजा विशेष रूप से शिव-पार्वती की कृपा पाने के लिए की जाती है। इसमें भक्त भगवान को स्नान कराते हैं, उन्हें नए वस्त्र पहनाते हैं, और अखंड दीप जलाते हैं। स्कंद षष्ठी व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन, मांस, शराब, प्याज और लहसुन का त्याग अनिवार्य होता है।
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