Chhath Puja 2024: सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का महापर्व

Chhath Puja 2024: सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का महापर्व

छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है, जो मुख्य रूप से सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित होता है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और नेपाल के कुछ हिस्सों में बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से मनाया जाता है। छठ पूजा का यह पर्व चार दिनों तक चलता है, जिसमें व्रत, उपवास, शुद्धता, और भक्ति का विशेष महत्व होता है। इस पूजा में सूर्य भगवान से जीवन में सुख-समृद्धि, संतान प्राप्ति, और आरोग्य की कामना की जाती है। आइए, जानते हैं इस महापर्व का महत्व, पूजा विधि, और इसके विशेष नियमों के बारे में।

छठ पूजा का महत्व

  1. सूर्य उपासना
    छठ पूजा सूर्य देव की आराधना का पर्व है। सूर्य को जीवन, ऊर्जा, और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है, और उनकी उपासना से जीवन में सकारात्मकता और शुद्धता आती है। विशेष बात यह है कि इस पर्व में डूबते और उगते सूर्य दोनों को अर्घ्य दिया जाता है।

  2. प्रकृति और पवित्रता का आदर
    यह पर्व पर्यावरण और प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। नदियों और जल स्रोतों का महत्व समझाते हुए, छठ पूजा में लोग शुद्धता और स्वच्छता का संकल्प लेते हैं।

  3. संतान प्राप्ति और सुख-समृद्धि
    मान्यता है कि छठी मैया का आशीर्वाद संतान सुख और परिवार में खुशहाली लाता है। इस पर्व में लोग अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की कामना करते हैं।

छठ पूजा विधि

छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है, और हर दिन का एक विशेष महत्व और पूजा विधि होती है:

  1. पहला दिन - नहाय-खाय
    इस दिन व्रती स्नान करके पवित्रता का संकल्प लेते हैं। घर की सफाई होती है और गंगा जल से घर को पवित्र किया जाता है। इस दिन कद्दू की सब्जी, अरवा चावल, और चने की दाल का सात्विक भोजन किया जाता है।

  2. दूसरा दिन - खरना
    इस दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ और चावल की खीर, रोटी, और फल से पूजा करते हैं। खरना की पूजा के बाद व्रती भोजन करते हैं, और फिर 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

  3. तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य
    इस दिन संध्या समय सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए नदी, तालाब, या जलाशय के किनारे खड़े होकर पूजा करते हैं। पूजा में गन्ना, ठेकुआ, फल, नारियल, और अन्य प्रसाद अर्पित किए जाते हैं। परिवारजन भी इस पूजा में शामिल होते हैं।

  4. चौथा दिन - उषा अर्घ्य
    यह अंतिम दिन है, जिसमें व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करते हैं। इसके बाद व्रती अपना उपवास समाप्त करते हैं, जिसे पारण कहते हैं, और प्रसाद बांटा जाता है।

छठ पूजा के नियम

  1. पवित्रता का पालन
    छठ पूजा में पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है। व्रती को सात्विक भोजन करना होता है और घर की सफाई भी अनिवार्य होती है।

  2. 36 घंटे का निर्जला व्रत
    व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखते हैं, जिसमें बिना पानी पिए उपवास का संकल्प लिया जाता है।

  3. सात्विक भोजन
    छठ पूजा के दौरान प्याज और लहसुन का उपयोग नहीं किया जाता है। भोजन में बिना लहसुन-प्याज के सादा और सात्विक भोजन ही ग्रहण किया जाता है।

  4. स्वच्छ कपड़े पहनना
    व्रती और पूजा में शामिल सभी व्यक्तियों को साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिए और पवित्रता का ध्यान रखना चाहिए।

  5. जलाशय में अर्घ्य देना
    यह पूजा जल के समीप की जाती है और सूर्य देव को जल में खड़े होकर अर्घ्य देने की परंपरा है।

छठ पूजा तप, त्याग, और भक्ति का प्रतीक है। इसमें शामिल नियम और परंपराएं व्रती के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करते हैं। यह पर्व न केवल आत्म-संयम का प्रतीक है, बल्कि समाज में प्रेम, सहयोग और एकता को बढ़ावा देता है।

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