शिव षडक्षर स्तोत्र (PDF) | Shiv Shadakshar Stotra (PDF)

शिव षडक्षर स्तोत्र (PDF)

विषय सूचि

  • शिव षडक्षर स्तोत्रम: भगवान शिव की कृपा पाने का प्रभावशाली उपाय
  • शिव षडक्षर स्तोत्र का महत्व
  • शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने की विधि
  • शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ नियम
  • शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ के लाभ
  • शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ
  • निष्कर्ष

शिव षडक्षर स्तोत्रम: भगवान शिव की कृपा पाने का प्रभावशाली उपाय

शिव षडक्षर स्तोत्रम, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है। इसे पढ़ने से व्यक्ति के मन, शरीर, और आत्मा को शुद्धि मिलती है। ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र, जो शिव षडक्षर स्तोत्र का आधार है, के छह अक्षर भगवान शिव की ऊर्जा के विभिन्न पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं और इसमें निहित कंपन नकारात्मक ऊर्जा, विचारों, और भावनाओं को शुद्ध कर सकता है, जिससे आध्यात्मिक विकास और आंतरिक शांति मिलती है।

शिव षडक्षर स्तोत्र का महत्व

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ नियमित करने से शिव की कृपा प्राप्त होती है, साथ ही मन की शांति, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता का वरदान मिलता है। विशेषकर महाशिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने का विशेष महत्व है। इस दिन विधिपूर्वक शिव की आराधना से सभी कष्ट दूर हो सकते हैं, और साधक को सुख-शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने की विधि

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने के लिए एक निश्चित विधि (विधि) है, जिससे भगवान शिव की कृपा आसानी से प्राप्त की जा सकती है। यह पाठ विधिपूर्वक करने से मन, शरीर, और आत्मा में शुद्धि आती है। शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ विशेष रूप से महाशिवरात्रि, सोमवार, या प्रदोष व्रत के दिन करना अत्यंत शुभ माना गया है। यहाँ शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने की विधि दी गई है:

1. पूजन की तैयारी

  • स्वच्छता: सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।
  • स्थान: पाठ के लिए साफ और शांत स्थान का चयन करें, जहाँ बिना किसी रुकावट के पूजा संपन्न हो सके।
  • आसन: पूजा स्थल पर आसन बिछाएं और भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • सामग्री: धूप, दीप, पुष्प, बिल्वपत्र, शुद्ध जल, चंदन, और फल रखें। शिवलिंग पर जल और बिल्वपत्र अर्पित करना शुभ होता है।

2. पूजन और ध्यान

  • सबसे पहले गणेश वंदना करें और अपने इष्ट देवताओं का ध्यान करें।
  • भगवान शिव का ध्यान करें, उनकी शक्ति और दिव्यता का अनुभव करें। शिवलिंग पर जल और चंदन अर्पित करें।
  • इसके बाद, दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।

3. शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ

  • अब शिव षडक्षर स्तोत्रम का शांत मन से पाठ करें।
  • हर श्लोक के बाद “ओम नमः शिवाय” का जाप करें। यह मंत्र शिव का महामंत्र है और इससे साधक को आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

4. समर्पण और प्रार्थना

  • पाठ पूरा होने के बाद भगवान शिव को फल, मिठाई या जो भी प्रसाद अर्पित करना हो, वह चढ़ाएं।
  • भगवान शिव से अपनी इच्छाओं की पूर्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें।

5. आरती और प्रसाद वितरण

  • पाठ के अंत में शिव जी की आरती करें।
  • आरती के बाद परिवार और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।

शिव षडक्षर स्तोत्रम का यह पाठ शिव कृपा पाने और मन की शांति के लिए एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है।

शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ नियम

शिव षडक्षर स्तोत्र का पाठ करने के कुछ विशेष नियम (नियम) और अनुशासन हैं, जिनका पालन करना अति शुभ और प्रभावकारी माना गया है। ये नियम पाठ को अधिक प्रभावशाली बनाते हैं और साधक की आंतरिक शुद्धि व शिव की कृपा प्राप्त करने में सहायता करते हैं। शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने के निम्नलिखित नियम हैं:

1. शुद्धता और स्वच्छता

  • पाठ करने से पहले स्नान करके शुद्ध और स्वच्छ कपड़े पहनें। शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें।
  • पाठ स्थल को भी स्वच्छ और पवित्र बनाएं। अगर संभव हो, तो पाठ के लिए एक विशेष स्थान का चयन करें जो शांत और पवित्र हो।

2. समय का चुनाव

  • शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) में करना अधिक लाभकारी माना गया है। यह समय ध्यान और पूजा के लिए सबसे उपयुक्त है।
  • सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए सोमवार को इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
  • इसके अलावा, महाशिवरात्रि, प्रदोष व्रत, और अन्य शिव पर्वों पर भी इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

3. आसन और मुद्रा

  • पाठ करते समय एक निश्चित आसन पर बैठें। कुशासन, ऊन का आसन, या कपड़े का आसन श्रेष्ठ माने जाते हैं।
  • पद्मासन, सुखासन, या वज्रासन में बैठकर पाठ करना लाभकारी होता है। पीठ और गर्दन सीधी रखें और ध्यान एकाग्र करें।

4. माला का प्रयोग

  • पाठ के साथ अगर आप 'ओम नमः शिवाय' का जाप करना चाहते हैं, तो रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। रुद्राक्ष शिव का प्रिय है और इसके माध्यम से शिव मंत्र जप का अधिक लाभ प्राप्त होता है।

5. आहार और ब्रह्मचर्य का पालन

  • शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने वाले साधक को सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। तामसिक और राजसिक भोजन से बचना चाहिए।
  • पाठ से पहले ब्रह्मचर्य का पालन करें और मन में पवित्र विचार रखें। इससे साधक का मन शांत रहता है और पाठ का प्रभाव अधिक होता है।

6. नियमितता और श्रद्धा

  • इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन या प्रति सोमवार नियमित रूप से करें। जितनी नियमितता होगी, उतना ही इसका सकारात्मक प्रभाव साधक पर पड़ेगा।
  • पाठ करते समय भगवान शिव के प्रति पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव रखें। मन में उनकी दिव्यता और कृपा का ध्यान करें।

7. पाठ की समाप्ति पर प्रार्थना

  • पाठ के अंत में भगवान शिव से अपने और अपने परिवार की सुख-शांति, स्वास्थ्य, और समृद्धि की प्रार्थना करें। भगवान शिव को पुष्प, बिल्वपत्र, और जल अर्पित करें।
  • यदि संभव हो, तो अंत में शिव जी की आरती करें और प्रसाद बांटें।

इन नियमों का पालन करते हुए शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने से साधक को भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है, साथ ही आंतरिक शांति और आत्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है।

शिव षडक्षर स्तोत्र पाठ के लाभ

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और आध्यात्मिक उन्नति का एक सरल और प्रभावी उपाय माना जाता है। इस स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करने से साधक को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं, जो जीवन को सुखमय और शांतिपूर्ण बनाते हैं। इसके पाठ का न केवल धार्मिक, बल्कि मानसिक और भावनात्मक लाभ भी होता है। यहाँ शिव षडक्षर स्तोत्रम के पाठ के लाभ और निष्कर्ष दिए गए हैं:

  1. शांति और सकारात्मकता

    • इस स्तोत्र का पाठ मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है। इसका नियमित जप नकारात्मक विचारों और भावनाओं को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
  2. मन की शुद्धि

    • शिव षडक्षर स्तोत्रम में 'ओम नमः शिवाय' मंत्र के जप से मन, शरीर, और आत्मा की शुद्धि होती है। इससे मानसिक तनाव और अवसाद जैसे नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
  3. आध्यात्मिक जागरण

    • इस स्तोत्र के पाठ से साधक की चेतना जाग्रत होती है। शिव के प्रति भक्ति और ध्यान से साधक को आत्मज्ञान और ईश्वर के प्रति गहरा संबंध प्राप्त होता है।
  4. शिव कृपा और आशीर्वाद

    • भगवान शिव का यह स्तोत्र उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का सशक्त माध्यम है। इसे श्रद्धा और भक्ति से करने से साधक के जीवन में सुख, समृद्धि, और सफलता आती है।
  5. कठिनाईयों से मुक्ति

    • शिव षडक्षर स्तोत्रम का नियमित पाठ साधक के जीवन से सभी प्रकार की समस्याओं, बाधाओं, और कष्टों का नाश करता है। इससे साधक को मानसिक और भौतिक कठिनाइयों में राहत मिलती है।
  6. आध्यात्मिक सुरक्षा

    • यह स्तोत्र साधक को आध्यात्मिक सुरक्षा प्रदान करता है। इसके जप से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी शक्तियाँ दूर होती हैं, जिससे साधक सुरक्षित महसूस करता है।
  7. शिवलोक की प्राप्ति

    • पुराणों के अनुसार, शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ करने से साधक को शिवलोक में स्थान प्राप्त होता है और वह शिव के साथ मोक्ष का आनंद प्राप्त करता है।

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ

इस स्तोत्र में ‘ओम नमः शिवाय’ मंत्र के छह अक्षरों के साथ शिव की महिमा का गुणगान किया गया है। हर अक्षर शिव के विभिन्न गुणों का प्रतीक है, जो व्यक्ति को दिव्य ऊर्जा और शांति प्रदान करते हैं।

शिव षडक्षर स्तोत्रम् ! Shiva Shadakshar Stotram

ॐकारं बिन्दुसंयुक्तं नित्यं ध्यानन्ति योगिनः।
कामदं मोक्षदं चैव ओंकाराय नमो नमः ॥१॥

नमन्ति ऋषयो देवा नमन्त्यप्सरसां गणाः ।
नरा नमन्ति देवेशं नकाराय नमो नमः ॥२॥

महादेवं महात्मानं महाध्यान परायणम् ।
महापापहरं देवं मकाराय नमो नमः ॥३॥

शिवं शान्तं जगन्नाथं लोकानुग्रहकारकम् ।
शिवमेकपदं नित्यं शिकाराय नमो नमः ॥४॥

वाहनं वृषभो यस्य वासुकिः कण्ठभूषणम् ।
वामे शक्तिधरं देवं वकाराय नमो नमः ॥५॥

यत्र यत्र स्थितो देवः सर्वव्यापी महेश्वरः ।
यो गुरुः सर्वदेवानां यकाराय नमो नमः ॥६॥

षडक्षरमिदं स्तोत्रं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥७॥

इति श्रीरुद्रयामले उमामहेश्वरसंवादे शिवषडक्षरस्तोत्रं संपूर्णम् ॥ 

निष्कर्ष

शिव षडक्षर स्तोत्रम का पाठ भगवान शिव की भक्ति का सशक्त माध्यम है। इसे नियमित रूप से करने से साधक को मानसिक शांति, भौतिक सुख, और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है। शिव षडक्षर स्तोत्रम के पाठ से साधक न केवल अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति पाता है, बल्कि शिव कृपा से जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और संतुलन प्राप्त करता है। यह स्तोत्र जीवन को सुख, शांति, और समृद्धि की ओर ले जाता है और साधक के जीवन को आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण बनाता है।

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