शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र (PDF) | Shiva Crime Forgiveness Stotra (PDF)

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र (PDF)

विषयसूची

  • प्रस्तावना
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का महत्व
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का अर्थ
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र की विधि
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ नियम
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के लाभ
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र
  • निष्कर्ष

प्रस्तावना

"शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" को आदिशंकराचार्य ने भगवान शिव से क्षमा प्राप्ति के लिए रचित किया था। यह स्तोत्र उन भक्तों के लिए है जो अपनी पूजा या साधना के दौरान अनजाने में कुछ गलतियां कर बैठते हैं। इस स्तोत्र का पाठ या जाप करने से सभी पापों की क्षमा होती है और व्यक्ति को शांति एवं समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तोत्र विशेष रूप से सावन के महीने में शिव पूजा के समय उपयोगी माना जाता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का महत्व

हमें धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव पूजा में अनजाने में हुई कोई भी गलती, चाहे वह मंत्रों का गलत उच्चारण हो, पूजा विधि में कोई त्रुटि हो या फिर किसी अन्य कारण से पाप लगे हो, इस स्तोत्र का जाप करके भगवान शिव से क्षमा प्राप्त की जा सकती है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और वह जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का अनुभव करता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ और अर्थ

यह स्तोत्र 14 श्लोकों में विभक्त है और हर श्लोक में भक्त भगवान शिव से अपनी गलती के लिए क्षमा याचना करते हैं। स्तोत्र में विभिन्न प्रकार के पापों और अपराधों के बारे में बताया गया है, जिन्हें भक्त शिव से क्षमा प्राप्त करना चाहते हैं। श्लोकों में भगवान शिव की महिमा, उनके गुण और उनके अनंत कृपा का वर्णन किया गया है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र की विधि

"शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" का पाठ करने से पूर्व कुछ आवश्यक विधियाँ और नियम होते हैं, जिन्हें पालन करना महत्वपूर्ण होता है। यह स्तोत्र भगवान शिव से क्षमा प्राप्त करने का एक शक्तिशाली उपाय माना जाता है। यहां हम शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र की विधि (पाठ की विधि) का विवरण दे रहे हैं:

1. साफ-सुथरा स्थान चुनें

  • सर्वप्रथम, आपको एक स्वच्छ और शांत स्थान पर बैठना चाहिए। यदि संभव हो तो आप भगवान शिव के मंदिर में या घर के पूजा स्थल पर यह स्तोत्र पढ़ सकते हैं।

2. शुद्धता का ध्यान रखें

  • पूजा करने से पहले शारीरिक और मानसिक शुद्धता का ध्यान रखें। स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।

3. सामग्री तैयार करें

  • दीपक और अगरबत्ती: पूजा में दीपक जलाना आवश्यक है, और अगरबत्ती भी जलानी चाहिए, ताकि वातावरण शुद्ध और दिव्य हो।
  • पानी और पंचामृत: पानी और पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी) से भगवान शिव का अभिषेक करें, यदि संभव हो तो।
  • बिल्व पत्र: भगवान शिव को बिल्व पत्र अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
  • चन्दन और पुष्प: चन्दन का तिलक और पुष्प अर्पित करें।

4. संकल्प लें

  • पूजा आरंभ करने से पहले, भगवान शिव से अपनी पापों के लिए क्षमा याचना करें और संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ पूजा करेंगे।

5. शिव मंत्र का जाप करें

  • मंत्र: “ॐ नमः शिवाय” या "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मोक्षीय मामृतात्" का जाप करें।

6. शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ

  • अब "शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" का पाठ करें। यह स्तोत्र 14 श्लोकों में है, और प्रत्येक श्लोक में भगवान शिव से पापों की क्षमा की प्रार्थना की जाती है। ध्यान रखें कि पाठ करते समय एकाग्रता बनी रहे और मन को पूर्ण रूप से शिव में लीन करें।

7. अर्चना और आहुति

  • पाठ के बाद भगवान शिव की अर्चना करें और अगर संभव हो तो घी का दीपक और ताम्बूल (पान) अर्पित करें।

8. ध्यान और प्रार्थना

  • पाठ के बाद, कुछ देर के लिए शिव की भक्ति में ध्यान करें। भगवान शिव से प्रार्थना करें कि आपके द्वारा किए गए अपराध क्षमा हों और आप उनके आशीर्वाद से मुक्त हो जाएं।

9. पढ़े गए श्लोकों का अर्थ समझें

  • अगर आप श्लोकों का अर्थ समझते हैं, तो इसका अधिक लाभ होगा। श्लोकों का अर्थ आपको भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को बढ़ाने में मदद करेगा।

10. प्रसाद वितरण

  • पूजा के अंत में, भगवान शिव का प्रसाद वितरित करें और आशीर्वाद प्राप्त करें। प्रसाद के रूप में फल, फूल, तिलक और जल अर्पित करें।

11. समाप्ति श्लोक

  • पूजा को समाप्त करते हुए "जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो" का उच्चारण करें और आभार प्रकट करें।

12. पूजा के बाद शांति और संयम बनाए रखें

  • पूजा और स्तोत्र पाठ के बाद आपको अपनी मानसिक स्थिति को शांत रखना चाहिए और दिनभर संयमित और शुद्ध जीवन जीने का प्रयास करना चाहिए।

13. रोजाना जाप

  • आप नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करके भगवान शिव की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। विशेष रूप से सावन मास, सोमवार या शिवरात्रि के दिन इस स्तोत्र का पाठ अत्यधिक शुभ फलदायक होता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ नियम (Shiv Apradh Kshamapan Stotra Path Niyam):

"शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। यह स्तोत्र भगवान शिव की पूजा और उपासना में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यदि आप इसका पाठ श्रद्धा और विश्वास से करेंगे, तो भगवान शिव की कृपा प्राप्त होगी और आपके पापों की क्षमा होगी। नीचे दिए गए नियमों का पालन करें:

1. स्थान का चयन:

  • पाठ करने के लिए एक स्वच्छ और शांत स्थान चुनें। यह स्थान पूजा के लिए उपयुक्त हो, जहां बाहरी विघ्न न हों।
  • यदि संभव हो तो भगवान शिव के मंदिर या घर के पूजा स्थल पर पाठ करें।

2. शारीरिक शुद्धता:

  • स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और मानसिक शुद्धता बनाए रखें। पूजा और स्तोत्र पाठ में ध्यान का होना आवश्यक है।

3. संकल्प और श्रद्धा:

  • पाठ शुरू करने से पहले भगवान शिव से पापों की क्षमा की प्रार्थना करें और एक संकल्प लें कि आप पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ स्तोत्र का पाठ करेंगे।

4. विधिपूर्वक पूजा:

  • पाठ से पहले भगवान शिव का पूजन करें। बेल पत्र, फूल, जल, दीपक, अगरबत्ती आदि अर्पित करें। ध्यान रखें कि भगवान शिव के पूजन का कोई अंग छोड़ा न जाए।

5. स्मरण और मंत्र का जाप:

  • "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ त्र्यम्बकं यजामहे" जैसे मंत्रों का जाप करें। ये मंत्र भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करने में सहायक होते हैं।

6. सही उच्चारण और ध्यान:

  • स्तोत्र का पाठ ध्यानपूर्वक और सही उच्चारण के साथ करें। यदि आप इसे याद करते हैं तो आवाज साफ और स्पष्ट होनी चाहिए। एकाग्रता से पढ़ें और ध्यान रखें कि मन भटके नहीं।

7. पाठ की संख्या (Japa):

  • यदि आप एक ही दिन में पूरा स्तोत्र नहीं पढ़ सकते, तो आप इसे कुछ भागों में भी पढ़ सकते हैं। लेकिन प्रत्येक दिन नियमित रूप से पाठ करना अधिक फलदायक होता है।
  • विशेष अवसरों (जैसे सावन सोमवार, महाशिवरात्रि) पर अधिक संख्या में पाठ करें।

8. ध्यान रखें समय का महत्व:

  • सबसे अच्छा समय सुबह का या शाम का होता है, खासकर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय। इस समय में पूजा और पाठ का प्रभाव अधिक होता है।

9. पाठ के बाद प्रार्थना:

  • पाठ समाप्त करने के बाद भगवान शिव के प्रति आभार व्यक्त करें। उनसे अपने पापों की क्षमा और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।

10. धैर्य और अनुशासन बनाए रखें:

  • पाठ करते समय पूरी तरह से मानसिक अनुशासन बनाए रखें। मन को एकाग्र और शांत रखें। यदि मन भटके तो उसे पुनः शिव के ध्यान में केंद्रित करें।

11. पाठ के बाद निष्कलंक आहार और सद्गुण:

  • पाठ करने के बाद हल्का और सात्विक आहार ग्रहण करें। पवित्रता बनाए रखें और किसी भी प्रकार की बुराई से बचें।
शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के लाभ (Shiv Apradh Kshamapan Stotra Labh):

"शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" का पाठ भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन भक्तों के लिए है, जिन्होंने भगवान शिव की पूजा करते समय या जीवन में किसी कारणवश पाप किए हों। इस स्तोत्र का जाप करने से न केवल पापों की क्षमा मिलती है, बल्कि कई अन्य आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के प्रमुख लाभ:

1. पापों की क्षमा:

  • इस स्तोत्र का पाठ करने से जन्म-जन्मांतर में किए गए सभी पापों की क्षमा होती है। भगवान शिव भक्तों की गलतियों को आसानी से माफ करते हैं और उन्हें आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है।

2. आध्यात्मिक उन्नति:

  • यह स्तोत्र आत्मा को शुद्ध करने में मदद करता है। नियमित रूप से इसका पाठ करने से आत्मविश्वास बढ़ता है और व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है।

3. शिव की कृपा प्राप्ति:

  • जो व्यक्ति इस स्तोत्र का पाठ पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करता है, भगवान शिव उनकी सारी इच्छाओं को पूरा करते हैं। उन्हें जीवन में हर प्रकार की शुभता का आशीर्वाद मिलता है।

4. दुःखों से मुक्ति:

  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के जाप से मानसिक और शारीरिक दुखों से मुक्ति मिलती है। यह व्यक्ति को जीवन की समस्याओं और कष्टों से उबारने में सहायक होता है।

5. स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि:

  • इस स्तोत्र का पाठ स्वास्थ्य की समस्याओं के समाधान के रूप में भी कार्य करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का वास होता है।

6. समस्या और बाधाओं का निवारण:

  • इस स्तोत्र का पाठ जीवन में आने वाली बाधाओं और समस्याओं को दूर करता है। यह कार्यों में सफलता दिलाता है और मार्ग में आ रही रुकावटों को दूर करता है।

7. कर्मों के परिणाम से मुक्ति:

  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति के पिछले और वर्तमान जीवन के कर्मों के परिणामों को सुधारने का अवसर मिलता है। यह व्यक्ति को कर्मफल से मुक्ति दिलाता है।

8. शिव के आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता:

  • इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से भगवान शिव के आशीर्वाद से जीवन में स्थिरता आती है। यह व्यक्ति को मानसिक शांति और शांति का अनुभव कराता है।

9. सभी प्रकार की डर और भय से मुक्ति:

  • यह स्तोत्र उन लोगों के लिए बहुत प्रभावी है जो डर, भय, और मानसिक तनाव का सामना कर रहे होते हैं। शिव की कृपा से ये भय समाप्त हो जाते हैं और व्यक्ति में आत्मविश्वास का संचार होता है।

10. आध्यात्मिक जागृति:

  • शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र का जाप करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है, और उसकी आध्यात्मिक जागृति होती है। इससे वह अपने जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ पाता है और आत्मज्ञान प्राप्त करता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. आदि शंकराचार्य का योगदान:

    • आदि शंकराचार्य ने शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र की रचना की थी। यह स्तोत्र उनके अद्भुत काव्यात्मक और दर्शनिक ज्ञान का परिणाम है। शंकराचार्य ने इसे भगवान शिव की उपासना और उनके प्रति भक्तों के अपराधों की क्षमा के लिए लिखा था।
  2. पापों की क्षमा का वचन:

    • इस स्तोत्र का भक्तिपूर्वक जाप करने से भगवान शिव सभी प्रकार के पापों को क्षमा कर देते हैं। इसका विशेष महत्व तब है जब भक्त अपने पापों की सही पहचान करके शुद्ध हृदय से प्रायश्चित करता है।
  3. अपराधों के लिए क्षमा की प्रार्थना:

    • इस स्तोत्र में हाथों, पैरों, वाणी, शरीर, कर्म, कर्णों, नेत्रों, या मन से किए गए सभी अपराधों के लिए भगवान शिव से क्षमा मांगी जाती है। इसमें सभी प्रकार के शारीरिक, मानसिक, और वाचिक अपराधों की क्षमा की प्रार्थना की जाती है।
  4. अतीत और वर्तमान पापों की क्षमा:

    • जो भक्त अपने वर्तमान या अतीत में किए गए पापों के लिए क्षमा मांगना चाहते हैं, उन्हें प्रतिदिन शिव तांडव स्तोत्र का जाप करना चाहिए। यह स्तोत्र भगवान शिव के प्रति समर्पण और प्रायश्चित का मार्ग है।
  5. अमोघ फल की प्राप्ति:

    • धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान शिव की पूजा और इस स्तोत्र का जाप करने से साधक को अमोघ फल प्राप्त होता है। इसका अर्थ है कि भगवान शिव अपने भक्तों को अवश्य लाभ प्रदान करते हैं, चाहे वह भौतिक या आध्यात्मिक लाभ हो।
  6. सावन सोमवार की विशेषता:

    • सावन सोमवार पर पूजा के दौरान अगर कोई गलती हो जाती है, तो उस गलती की क्षमा के लिए सावन के अंतिम सोमवार को विशेष रूप से भगवान शिव से क्षमा याचना करनी चाहिए। यह दिन विशेष रूप से शिव के आशीर्वाद और पापों से मुक्ति के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र ! Shiv Apradh Kshamapan Stotra

आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां 
विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः।
यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो ।।१।।

बाल्ये दुःखातिरेको मललुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा 
नो शक्तश्चेन्द्रियेभ्यो भवगुणजनिता जन्तवो मां तुदन्ति।
नानारोगादिदुःखाद्रुदनपरवशः शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।२।।

प्रौढोऽहं यौवनस्थो विषयविषधरैः पंचभिर्मर्मसन्धौ 
दष्टो नष्टो विवेकः सुतधनयुवतिस्वादसौख्ये निषण्ण:।
शैवीचिन्ताविहीनं मम हृदयमहो मानगर्वाधिरूढं 
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।३।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

वार्द्धक्ये चेन्द्रियाणां विगतगतिमतिश्चाधिदैवादितापैः 
पापै रोगैर्वियोगैस्त्वनवसितवपुः प्रौढिहीनं च दीनम्।
मिथ्यामोहाभिलाषैर्भ्रमति मम मनो धूर्जटेर्ध्यानशून्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।४।।

नो शक्यं स्मार्तकर्म प्रतिपदगहनप्रत्यवायाकुलाख्यं 
श्रौते वार्ता कथं मे द्विजकुलविहिते ब्रह्ममार्गे सुसारे।
नास्था धर्मे विचारः श्रवणमननयोः किं निदिध्यासितव्यं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।५।।

स्नात्वा प्रत्यूषकाले स्नपनविधिविधौ नाहृतं गाङ्गतोयं 
पूजार्थं वा कदाचिद्बहुतरगहनात्खण्डबिल्वीदलानि । 
नानीता पद्ममाला सरसि विकसिता गन्धपुष्पे त्वदर्थं
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।६।।

दुग्धैर्मध्वाज्ययुक्तैर्दधिसितसहितैः स्नापितं नैव लिङ्ग 
 नो लिप्तं चन्दनाद्यैः कनकविरचितैः पूजितं न प्रसूनैः।
धूपैः कर्पूरदीपैर्विविधरसयुतैर्नैव भक्ष्योपहारैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।७।।

ध्यात्वा चित्ते शिवाख्यं प्रचुरतरधनं नैव दत्तं द्विजेभ्यो 
हव्यं ते लक्षसंख्यैर्हुतवहवदने नार्पितं बीजमन्त्रैः।
नो तप्तं गाङ्गतीरे व्रतजपनियमै रुद्रजाप्यैर्न वेदैः
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।८।।

स्थित्वा स्थाने सरोजे प्रणवमयमरुत्कुण्डले सूक्ष्ममार्गे 
शान्ते स्वान्ते प्रलीने प्रकटितविभवे ज्योतिरूपे पराख्ये। 
लिङ्गज्ञे ब्रह्मवाक्ये सकलतनुगतं शङ्करं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।९।।

नग्नो निःसङ्गशुद्धस्त्रिगुणविरहितो ध्वस्तमोहान्धकारो 
नासाग्रे न्यस्तदृष्टिर्विदितभवगुणो नैव दृष्टः कदाचित्।
उन्मन्यावस्थया त्वां विगतकलिमलं शंकरं न स्मरामि
क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो।।१०।।

चन्द्रोद्भासितशेखरे स्मरहरे गङ्गाधरे शंकरे 
सर्वैर्भूषितकण्ठकर्णविवरे नेत्रोत्थवैश्वानरे।
दन्तित्वक्कृतसुन्दराम्बरधरे त्रैलोक्यसारे हरे 
मोक्षार्थं कुरु चित्तवृत्तिमखिलामन्यैस्तु किं कर्मभिः।।११।।

किं वानेन धनेन वाजिकरिभिः प्राप्तेन राज्येन किं 
किं वा पुत्रकलत्रमित्रपशुभिर्देहेन गेहेन किम्। 
ज्ञात्वैतत्क्षणभङ्गुरं सपदि रे त्याज्यं मनो दूरतः 
स्वात्मार्थं गुरुवाक्यतो भज भज श्रीपार्वतीवल्लभम्।।१२।।

आयुर्नश्यति पश्यतां प्रतिदिनं याति क्षयं यौवनं 
 प्रत्यायान्ति गताः पुनर्न दिवसाः कालो जगद्भक्षकः।
लक्ष्मीस्तोयतरङ्गभङ्गचपला विद्युच्चलं जीवितं 
 तस्मान्मां शरणागतं शरणद त्वं रक्ष रक्षाधुना।।१३।।

करचरणकृतं वाक्कायजं कर्मजं वा
श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व
जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥१४।।

॥ इस प्रकार श्री मत् शंकराचार्य विरचित श्रीशिवापराधक्षमापन स्तोत्र सम्पूर्ण हुआ ॥

निष्कर्ष: 

"शिव अपराध क्षमापन स्तोत्र" भगवान शिव के भक्तों के लिए एक अद्भुत और शक्तिशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से पापों की क्षमा, मानसिक शांति, सुख-समृद्धि, और भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नियमित रूप से इसका जाप करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन होते हैं।

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