श्री एकादशमुख हनुमान कवच (PDF) | Shri Ekadashmukh Hanuman Kavach (PDF)

श्री एकादशमुख हनुमत् कवच PDF

विषय सूची
  • 11 मुखी हनुमान कवच परिचय
  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच का महत्व
  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच के पाठ की विधि
  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच पाठ के नियम
  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच के लाभ
  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच शुभारंभ
  • श्री एकादशमुख हनुमत् कवच PDF

11 मुखी हनुमान कवच (श्री एकादशमुख हनुमत् कवचम्)

11 मुखी हनुमान कवच, जिसे श्री एकादशमुख हनुमत् कवच के नाम से भी जाना जाता है, का विशेष महत्व है। यह कवच विशेष रूप से संकट, कष्ट, और जीवन के दुःखों से मुक्ति दिलाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी की गाथाएँ संकटों को दूर करने की शक्ति रखती हैं और एकादश मुख रूप में वह सभी प्रकार के भय और राक्षसी प्रवृत्तियों का नाश करते हैं। इस ब्लॉग में हम श्री एकादशमुख हनुमत कवच का संक्षिप्त परिचय, उसके लाभ, और पाठ करने के नियमों के बारे में जानेंगे।

श्री एकादशमुख हनुमान कवच का महत्व

हनुमान जी का यह कवच महर्षि अगस्त्य द्वारा लोपामुद्रा को प्रदान किया गया था, जिसे ब्रह्मा जी ने सर्वप्रथम बताया था। यह कवच जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता और शांति लाने के लिए किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा के दिन हनुमान जी का जन्मोत्सव मनाते समय इसे पढ़ना अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस कवच के माध्यम से हनुमान जी सभी प्रकार की बुरी शक्तियों को नष्ट करते हैं और भक्त को भय, नकारात्मक ऊर्जा, और मानसिक तनाव से मुक्ति प्रदान करते हैं। श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करके भक्त हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पा सकता है।

श्री एकादशमुख हनुमान कवच के पाठ की विधि

श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ बहुत ही शक्तिशाली और फलदायी माना जाता है। इस पाठ की विधि और नियमों का पालन करने से हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इस पाठ की सही विधि निम्नलिखित है:

1. शुद्धता और तैयारी

  • प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • पाठ करते समय पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • एक साफ और शांत स्थान चुनें, जहाँ कोई व्यवधान न हो।

2. पूजन सामग्री

  • हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र रखें और दीपक जलाएं।
  • हनुमान जी को चंदन, पुष्प, धूप, और लाल रंग का वस्त्र अर्पित करें।
  • प्रसाद में गुड़ या कोई मीठा भोजन अर्पित कर सकते हैं।

3. संकल्प लें

  • पाठ शुरू करने से पहले अपने मन में संकल्प लें कि आप हनुमान जी के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था को समर्पित कर रहे हैं।
  • संकल्प में अपनी मनोकामनाओं और जीवन के सभी संकटों से मुक्ति की कामना करें।

8. पाठ की संख्या

  • संपूर्ण लाभ के लिए, श्री एकादशमुख हनुमान कवच का 11 बार पाठ करना शुभ माना जाता है।
  • विशेष मनोकामना के लिए इसे 21 या 40 दिनों तक नित्य पाठ करें।

9. आरती और प्रसाद

  • कवच का पाठ समाप्त करने के बाद हनुमान जी की आरती करें।
  • अर्पित प्रसाद को ग्रहण करें और अपने परिवारजनों में बांटें।

10. नियमितता और संयम

  • इस कवच का पाठ हर मंगलवार या शनिवार को करें।
  • पाठ के दौरान सात्विक आहार लें और संयमित जीवन जीने का प्रयास करें।

विशेष बातें:

  • इस कवच का पाठ करते समय किसी भी नकारात्मक विचार से दूर रहें।
  • शुद्ध और शांत मन से हनुमान जी का ध्यान करें, इससे हनुमान जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
  • यह पाठ विशेष रूप से संकट, भय, रोग, और कष्ट निवारण के लिए अत्यंत लाभकारी है।

इस विधि से श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करने पर हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, और जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।

श्री एकादशमुख हनुमान कवच पाठ के नियम

श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है ताकि इसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। इन नियमों का पालन करने से पाठ के फल की सिद्धि शीघ्रता से प्राप्त होती है।

1. शुद्धता

  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करने से पहले शुद्धता का ध्यान रखें। प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पाठ के स्थान को साफ करें और वहाँ हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

2. पूजा स्थल का चयन

  • पाठ के लिए एकांत और शांत स्थान का चयन करें।
  • हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।

3. व्रत और उपवास

  • इस कवच के पाठ के दिन व्रत रखने का प्रयास करें, विशेषकर मंगलवार और शनिवार को।
  • सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करें, और तामसिक पदार्थों से दूर रहें।

4. ध्यान और एकाग्रता

  • पाठ के दौरान मन को शांत रखें और हनुमान जी का ध्यान करें।
  • पाठ करते समय किसी अन्य कार्य या विचारों में मन को भटकने न दें।

5. संकल्प

  • पाठ आरंभ करने से पहले अपनी मनोकामना और उद्देश्य के साथ संकल्प लें।
  • अपने सभी संकट, कष्ट, और समस्याओं से मुक्ति की कामना करते हुए पाठ का संकल्प लें।

6. पाठ की संख्या

  • नियमित लाभ के लिए प्रतिदिन 11 बार या 21 बार इस कवच का पाठ करें।
  • अगर किसी विशेष मनोकामना के लिए पाठ कर रहे हैं तो 40 दिनों तक नित्य पाठ करें।

7. समय का चयन

  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ सूर्योदय या सूर्यास्त के समय करना शुभ माना जाता है।
  • नियमित रूप से इसी समय पाठ करने से हनुमान जी की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

8. संयम और संयमित जीवन

  • पाठ के दौरान अपने विचारों और कर्मों में संयम रखें।
  • पाठ के समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता से दूर रहें और क्रोध, ईर्ष्या, और लोभ जैसे भावों को नियंत्रित करें।

9. प्रसाद और आरती

  • पाठ समाप्ति के बाद हनुमान जी की आरती करें।
  • हनुमान जी को गुड़ और चना का प्रसाद चढ़ाएं और सभी को बाँटें।

10. विनियोग और न्यास मंत्रों का उच्चारण

  • कवच पाठ के आरंभ में विनियोग मंत्र और हृदयादि न्यास मंत्र का विधिवत उच्चारण करें। इससे पाठ का प्रभाव और बढ़ता है।

11. नियमितता

  • इस कवच का पाठ नित्य करें और संभव हो तो इसे एक ही समय पर करें।
  • पाठ में नियमितता और श्रद्धा रखने से लाभ शीघ्र प्राप्त होता है।

12. निष्ठा और श्रद्धा

  • कवच पाठ करते समय हनुमान जी के प्रति पूर्ण निष्ठा और श्रद्धा रखें।
  • यह मानकर पाठ करें कि हनुमान जी आपकी हर मनोकामना को पूर्ण करेंगे और सभी संकटों का निवारण करेंगे।

ध्यान रखें: श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ बहुत ही शक्तिशाली और प्रभावी है। इसमें निहित मंत्रों में अत्यधिक ऊर्जा होती है, इसलिए इसे सही नियमों और विधि से करना आवश्यक है।

श्री एकादशमुख हनुमान कवच के लाभ

श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में अनेक सकारात्मक प्रभाव और लाभ मिलते हैं। इस कवच के पाठ से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जो हर तरह के संकट और कठिनाइयों से रक्षा करती है। निम्नलिखित कुछ प्रमुख लाभ हैं:

1. संकटों का निवारण

  • यह कवच विशेष रूप से सभी प्रकार के संकट, कष्ट, भय और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने के लिए प्रभावी है।
  • जीवन में किसी भी तरह की विपत्ति आने पर इसका पाठ करने से सुरक्षा मिलती है और संकट दूर होते हैं।

2. शत्रुओं से रक्षा

  • इस कवच का नियमित पाठ करने से व्यक्ति शत्रुओं और विरोधियों पर विजय प्राप्त करता है।
  • यदि किसी व्यक्ति पर शत्रु द्वारा अत्याचार या किसी प्रकार की नकारात्मक शक्ति का प्रभाव हो, तो इसका पाठ उस व्यक्ति की रक्षा करता है।

3. आध्यात्मिक उन्नति

  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • यह कवच व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है और भक्ति का भाव मजबूत बनाता है।

4. साहस और शक्ति में वृद्धि

  • इस कवच के पाठ से मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ती है।
  • यह पाठ हनुमान जी के आशीर्वाद से व्यक्ति को साहस, आत्मविश्वास और दृढ़ता प्रदान करता है।

5. भय और नकारात्मकता से मुक्ति

  • जिन लोगों के मन में भय, चिंता, और नकारात्मक विचार आते हैं, उनके लिए यह कवच अत्यधिक लाभकारी है।
  • इसका पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय दूर होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

6. स्वास्थ्य लाभ

  • इस कवच का पाठ करने से शारीरिक कष्ट और रोगों से भी राहत मिलती है।
  • यह विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखने में सहायक है।

7. धन-संपत्ति की प्राप्ति

  • श्री हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त होने से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक समृद्धि आती है।
  • यह कवच संपत्ति, सफलता और व्यवसायिक उन्नति के मार्ग खोलता है और आर्थिक कठिनाइयों को दूर करता है।

8. सद्गुणों का विकास

  • इस कवच का पाठ करने से मन में अच्छे विचारों का संचार होता है, जिससे व्यक्ति में सद्गुणों का विकास होता है।
  • व्यक्ति के चरित्र में सुधार होता है, और वह जीवन में अच्छे कार्यों की ओर अग्रसर होता है।

9. दुर्घटना और आकस्मिक संकटों से सुरक्षा

  • कवच का पाठ व्यक्ति को अचानक आने वाली दुर्घटनाओं और अनहोनी घटनाओं से सुरक्षित रखता है।
  • किसी भी तरह की अनिष्ट घटना से कवच पाठ की शक्ति व्यक्ति की रक्षा करती है।

10. सभी इच्छाओं की पूर्ति

  • श्री एकादशमुख हनुमान कवच को विशेष मनोकामना सिद्धि के लिए भी किया जाता है।
  • इसका नियमित पाठ करने से हनुमान जी की कृपा से सभी इच्छाएं और कामनाएं पूरी होती हैं।

11. मोक्ष की प्राप्ति

  • यह कवच पाठ व्यक्ति को जीवन-मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाने और मोक्ष की प्राप्ति में सहायक है।
  • हनुमान जी की भक्ति और आशीर्वाद से व्यक्ति सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठता है और मोक्ष प्राप्त करता है।

श्री एकादशमुख हनुमान कवच शुभारंभ

लोपामुद्रोवाच

कुम्भोद्भव दयासिन्धो श्रुतं हनुमतः परम्।
यन्त्रमंत्रादिकं सर्व त्वन्मुखोदीरितं मया ॥
दयां कुरुमयि प्राणनाथ वेदितुमुत्सहे ।
कवचं वायुपुत्रस्य एकादशमुखात्मनः ॥
इत्येवं  वचनं श्रुत्वा प्रियायाः प्रश्रयान्वितम्।
वक्तुं प्रचक्रमे तत्र लोपामुद्रापितः प्रभुः ॥
हे कुंभोद्भव, हे देवसिंधो, मैंने तुम्हारे मुंह से बोले गए हनुमान के सभी परम यंत्र-मंत्रादि सुने। हे प्राणनाथ, दया करके मुझे वायुपुत्र के एकादशमुख कवच के बारे में बताएं। प्रिया के ऐसे विनीत वचन सुनकर लोपामुद्रा से प्रभु (अगस्त्य) बोले !

अगस्त्योवाच

नमस्कृत्वा रामदूतं हनुमन्तं महामतिम् ।
 ब्रह्मप्रोक्तं तु कवचं शृणु सुन्दरि सादरम् ॥
 कवचं कामदं दिव्यं सर्वराक्षोनिर्बहणम् ॥
सनन्दनाय सुमहच्चतुराननभाषितम् ।
सर्वसम्पत्प्रदं पुण्यं मर्त्यानां मधुरस्वरे ॥

हे सुंदरि, रामदूत महामति हनुमान को नमस्कार करके ब्रह्मप्रोक्त कवच के बारे में आदरपूर्वक सुनो। प्रिये, चतुरानन ब्रह्मा ने सर्वकामनाओं को पूरा करने वाले, सर्वराक्षसों का निवारण करने वाले और सर्वसंपत्तियों को प्रदान करने वाले इस पुण्य कवच के बारे में सनंदनादि से मधुर वाणियों में बताया है।

विनियोग

ॐ अस्य श्री एकादश मुखि हनुमत्कवच मन्त्रस्य
सनन्दन ऋषिः, प्रसन्नात्मा एकादशमुखि श्री हनुमान देवता,
अनुष्टुप छन्दः, वायु सुत बीजम् |  मम सकल कार्यार्थे
प्रमुखतः मम प्राण शक्तिर्वर्द्धनार्थे जपे वा पाठे विनियोगः !!

हृदयादि न्यासः

ॐ स्फ्रें हृदयाय नमः !!
ॐ स्फ्रें शिर से स्वाहा !!
ॐ स्फें शिखायै वौषट् !!
ॐ स्फ्रें कवचाय हुम् !!
ॐ स्फ्रें नेत्र त्रयाय वौषट् !!
ॐ स्फ्रें कवचाय हुम् !!

करन्यासः 

ॐ स्फें बीज शक्तिधृक पातु शिरो में पवनात्मजा अंगुष्ठाभ्यां नमः !!
ॐ क्रौं बीजात्मानथनयोः पातु मां वानरेश्वरः तर्जनीभ्यां नमः !!
ॐ क्षं बीज रुप कर्णो मे सीता शोक निवाशनः मध्यमाभ्यां नमः !!
ॐ ग्लौं बीज वाच्यो नासां में लक्ष्मण प्राण प्रदायकः अनामिकाभ्यां नमः !!
ॐ व बीजार्थश्च कण्ठं मे अक्षय क्षय कारकः कनिष्ठिकाभ्यां नमः !!
ॐ रां बीज वाच्यो हृदयं पातु में कपि नायकः करतलकर पृष्ठाभ्यां नमः !!

!! कवचारम्भः !!

वंबीजकीर्तितः पातु बाहू में चाञ्जनीसुतः 
ह्रां बीजो राक्षसेन्द्रस्य दर्पहापातु चोदरम् ॥

ह्रसौं बीजमयो मध्यं पातु लङ्काविदाहकः । 
ह्रीं बीजधरो मां पातु गुह्यं देवेन्द्रवन्दितः ॥

रं बीजात्मा सदा पातु चोरुवारिधिलड्ङ्घनः । 
सुग्रीवसचिवः पातु जानुनी मे मनोजवः ॥

पादौ पादतले पातु द्रोणाचलधरो हरिः । 
आपदमस्तकंपातु रामदूतो महाबलः ।!

पूर्वे वानरवक्त्रो मामग्नेयां क्षत्रियान्कृत् । 
दक्षिणे नारसिंहस्तु नैर्ऋत्यां गणनायकः ॥

वारुण्यां दिशि मामव्यात्खगवक्त्रो हरीश्वरः । 
वायव्यां भैरवमुखः कौबेर्यां पातु मां सदा ॥

क्रोडास्यः पातु मां नित्यमी शान्यां रुद्ररूपधृक् । 
ऊर्ध्वं हयाननः पातु त्वध; शेषमुखस्तथा।!

रामास्यः पातु सर्वत्र सौम्यरूपी महाभुजः । 
इत्येवं रामदूतस्य कवचं प्रपठेत्सदा ॥

एकादशमुखस्यैतद् गोप्यंवैकीर्तितं मया । 
राक्षोघ्नं कामदं सौम्यं सर्वसम्पद्विधायकम् ॥

पुत्रदं धनंद चोग्रशत्रुसंघविमर्द्दनम् । 
स्वर्गापदर्गदं दिव्यं चिन्तितार्थप्रदं शुभम् ॥

एतत्कवचमज्ञात्वा मंत्रसिद्धिर्न जायते ।

!!अथ फलश्रुतिः!!

चत्वारिंशत्सहस्त्राणि पठेच्छुद्धात्मना नरः । 
एक वारं पठेन्नित्यं कवचं सिद्धिदं पुमान् ।!

द्विवारं वा त्रिवारं वा पठन्नायुष्यमाप्नुयात् !
क्रमादेकादशादेवमावर्तनजपात्सुधीः ।!

वर्षान्ते दर्शनं साक्षाल्लभते नात्र संशयः 
यंयं चिन्तयते चार्थं तंतं प्राप्नोति पुरुषः ।!

ब्रह्मोदीरितमेतद्धि तवाग्रे कथितं महत् !

इत्येव मुक्तत्वा कवचं महर्षिस्तूष्णी वभूवेन्दुमुखी निरीक्ष्य !
संहृष्ट चिताऽपि तदा तदीय पादौ ननामाऽति मुदास्व भर्तृ: !!   

नोट: श्री एकादशमुख हनुमान कवच का पाठ श्रद्धा, विश्वास और नियम के साथ करने से ही इन लाभों की प्राप्ति होती है। यह एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, और इसका पाठ करने से व्यक्ति को जीवन में सकारात्मकता, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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