श्री विष्णु चालीसा (PDF) | Shri Vishnu Chalisa (PDF)

श्री विष्णु चालीसा | Shri Vishnu Chalisa Lyrics

श्री विष्णु चालीसा भगवान विष्णु के भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया जाने वाला एक अद्भुत पाठ है। यह चालीसा भगवान विष्णु की महिमा, उनके स्वरूप, और उनके अवतारों का वर्णन करती है। इसके नियमित पाठ से मन की शांति और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

श्री विष्णु चालीसा करने की विधि

श्री विष्णु चालीसा का पाठ विधिपूर्वक और सच्चे मन से करने से भगवान विष्णु की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। इस चालीसा के पाठ की विधि निम्नलिखित है:


1. स्नान और शुद्धि

  • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें।
  • अपने तन और मन को शुद्ध करें।
  • स्वच्छ और पवित्र स्थान पर पूजा के लिए बैठें।

2. पूजा स्थल की तैयारी

  • पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या उनकी तस्वीर को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
  • एक चौकी पर पीला कपड़ा बिछाएं और उस पर विष्णु जी की प्रतिमा रखें।

3. वस्त्र और पूजन सामग्री

  • पीले वस्त्र पहनना शुभ माना जाता है।
  • पूजा सामग्री में निम्न वस्तुएं रखें:
    • दीपक (गाय के घी का दीपक श्रेष्ठ है)।
    • अगरबत्ती या धूप।
    • पीले रंग के फूल।
    • तुलसी के पत्ते (विष्णु पूजा में अनिवार्य)।
    • फल (विशेषकर केले)।
    • पीली मिठाई (प्रसाद के लिए)।
    • हल्दी युक्त पानी से भरा हुआ कलश।

4. पूजा विधि

  1. पूजा स्थान पर आसन लगाकर बैठें।
  2. भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।
  3. अगरबत्ती या धूप जलाकर विष्णु जी का ध्यान करें।
  4. भगवान को पीले फूल, तुलसी के पत्ते, और केले अर्पित करें।
  5. मिठाई का भोग लगाएं, जिसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें।

5. श्री विष्णु चालीसा का पाठ

  • शांत मन से भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए चालीसा का पाठ करें।
  • पाठ करते समय पूरी श्रद्धा और भक्ति से भगवान विष्णु का स्मरण करें।
  • पाठ समाप्त होने के बाद "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

6. आरती और प्रसाद वितरण

  • पाठ के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
  • भोग स्वरूप अर्पित प्रसाद को घर के सभी सदस्यों में बांटें।

7. विशेष नियम

  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ नियमित रूप से करें।
  • विशेष अवसरों जैसे एकादशी, गुरुवार, या व्रत के दिन इसका पाठ अधिक फलदायी होता है।
  • पाठ के दौरान भगवान विष्णु के प्रति अपनी श्रद्धा और आस्था बनाए रखें।

महत्वपूर्ण टिप्स

  • पाठ करते समय किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या अधीरता न रखें।
  • पूजा के दौरान मोबाइल फोन या अन्य ध्यान भटकाने वाली चीजों से बचें।
  • यदि संभव हो, तो परिवार के साथ मिलकर चालीसा का पाठ करें।

श्री विष्णु चालीसा का पाठ भगवान विष्णु की कृपा पाने का सरल और प्रभावशाली माध्यम है। इसे अपनाकर जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त करें।

श्री विष्णु चालीसा के नियम

श्री विष्णु चालीसा का पाठ करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना शुभ माना जाता है। यह नियम आपके मन और पूजा स्थल को शुद्ध रखते हैं और आपकी भक्ति को प्रभावशाली बनाते हैं:

1. शुद्धता बनाए रखें

  • चालीसा का पाठ सुबह के समय स्नान के बाद करना उत्तम माना जाता है।
  • शरीर और मन को शुद्ध करके ही पाठ आरंभ करें।
  • साफ वस्त्र, विशेषकर पीले वस्त्र पहनें।

2. पूजा स्थल की तैयारी

  • पूजा स्थल को स्वच्छ और व्यवस्थित रखें।
  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को साफ करके पूजा स्थान पर रखें।
  • वहां दीपक, धूप, और अगरबत्ती का उपयोग करें।

3. पूजा सामग्री

  • पीले रंग के फूल, तुलसी के पत्ते, और केले जैसे फल भगवान को अर्पित करें।
  • भोग में हल्दी डालकर तैयार किया गया प्रसाद और गाय के घी का दीपक उपयोग करें।
  • तुलसी का पत्ता विष्णु पूजन में अनिवार्य है।

4. चालीसा का पाठ

  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से करें।
  • पाठ के समय शांत वातावरण बनाए रखें।
  • हो सके तो पाठ के लिए विष्णु सहस्त्रनाम या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप करें।

5. पाठ की निरंतरता

  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ एक बार शुरू करने के बाद इसे नियमित करें।
  • विशेष रूप से गुरुवार को इसका पाठ शुभ और फलदायी माना जाता है।
  • नियमित रूप से पाठ करने से भगवान विष्णु की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

6. संकल्प और भक्ति भाव

  • पाठ आरंभ करने से पहले भगवान विष्णु को अपने कष्ट और इच्छाओं का निवेदन करें।
  • अपने मन में विश्वास रखें कि भगवान विष्णु आपके जीवन को संवार देंगे।

7. पारिवारिक पाठ

  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ पूरे परिवार के साथ करना शुभ माना जाता है।
  • यह पारिवारिक सुख और समृद्धि में वृद्धि करता है।

8. विशेष अवसर

  • विशेष अवसर जैसे एकादशी, विष्णु पूजा, या व्रत के दौरान पाठ करना अत्यधिक फलदायी माना जाता है।
  • दीपावली या देवउठनी एकादशी के दिन इसका पाठ विशेष महत्व रखता है।

सावधानियां:

  • पाठ के दौरान किसी भी तरह की नकारात्मकता या अधीरता न रखें।
  • मन को शांत और केंद्रित रखें।
  • भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा में कमी न आने दें।

इन नियमों का पालन करने से श्री विष्णु चालीसा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, और भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का अनुभव होता है।

श्री विष्णु चालीसा करने के लाभ

भगवान विष्णु का ध्यान और चालीसा का पाठ उनके भक्तों को आध्यात्मिक, मानसिक, और भौतिक सुख प्रदान करता है। यह पाठ कई स्तरों पर जीवन को समृद्ध बनाता है:

1. आध्यात्मिक लाभ

  • भगवान विष्णु की कृपा से भक्ति मार्ग में उन्नति होती है।
  • मोक्ष प्राप्ति और जीवन के कष्टों से छुटकारा मिलता है।
  • यह पाठ भगवान के प्रति आस्था को दृढ़ करता है।

2. मानसिक शांति

  • चालीसा का नियमित पाठ तनाव और चिंता को दूर करता है।
  • मन को स्थिर और शुद्ध बनाने में सहायक है।
  • नकारात्मक विचारों को समाप्त करके सकारात्मकता का संचार करता है।

3. पारिवारिक सुख

  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ घर में सुख-शांति बनाए रखता है।
  • पारिवारिक विवाद और कलह को खत्म करता है।
  • समृद्धि और ऐश्वर्य का वास होता है।

4. धन-धान्य में वृद्धि

  • भगवान विष्णु को लक्ष्मीपति माना जाता है।
  • उनके चालीसा का पाठ धन-संपत्ति और आर्थिक समृद्धि लाता है।
  • व्यापार और नौकरी में सफलता प्राप्त होती है।

5. कठिनाइयों का समाधान

  • जीवन में आने वाले कष्टों और समस्याओं का समाधान होता है।
  • पापों का नाश होता है और शुभ कर्मों की प्रेरणा मिलती है।
  • स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन में सुधार होता है।

6. भगवान विष्णु की कृपा

  • भगवान विष्णु की पूजा से सभी प्रकार के दोषों और संकटों का अंत होता है।
  • श्री विष्णु चालीसा का पाठ शुभ मुहूर्त और व्रत के दिनों में करने से इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

श्री विष्णु चालीसा | Shri Vishnu Chalisa Lyrics

|| दोहा ||

विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

|| चालीसा ||

नमो विष्णु भगवान खरारी ।
कष्ट नशावन अखिल बिहारी ॥१॥

प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी ।
त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥२॥

सुन्दर रूप मनोहर सूरत ।
सरल स्वभाव मोहनी मूरत ॥३॥

तन पर पीताम्बर अति सोहत ।
बैजन्ती माला मन मोहत ॥४॥

शंख चक्र कर गदा विराजे ।
देखत दैत्य असुर दल भाजे ॥५॥

सत्य धर्म मद लोभ न गाजे ।
काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥६॥

सन्तभक्त सज्जन मनरंजन ।
दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ॥७॥

सुख उपजाय कष्ट सब भंजन ।
दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥८॥

पाप काट भव सिन्धु उतारण ।
कष्ट नाशकर भक्त उबारण ॥९॥

करत अनेक रूप प्रभु धारण ।
केवल आप भक्ति के कारण ॥१०॥

धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा ।
तब तुम रूप राम का धारा ॥११॥

भार उतार असुर दल मारा ।
रावण आदिक को संहारा ॥१२॥

आप वाराह रूप बनाया ।
हिरण्याक्ष को मार गिराया ॥१३॥

धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया ।
चौदह रतनन को निकलाया ॥१४॥

अमिलख असुरन द्वन्द मचाया ।
रूप मोहनी आप दिखाया ॥१५॥

देवन को अमृत पान कराया ।
असुरन को छवि से बहलाया ॥१६॥

कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया ।
मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ॥१७॥

शंकर का तुम फन्द छुड़ाया ।
भस्मासुर को रूप दिखाया ॥१८॥

वेदन को जब असुर डुबाया ।
कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ॥१९॥

मोहित बनकर खलहि नचाया ।
उसही कर से भस्म कराया ॥२०॥

असुर जलन्धर अति बलदाई ।
शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ॥२१॥

हार पार शिव सकल बनाई ।
कीन सती से छल खल जाई ॥२२॥

सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी ।
बतलाई सब विपत कहानी ॥२३॥

तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी ।
वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥२४॥

देखत तीन दनुज शैतानी ।
वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ॥२५॥

हो स्पर्श धर्म क्षति मानी ।
हना असुर उर शिव शैतानी ॥२६॥

तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे ।
हिरणाकुश आदिक खल मारे ॥२७॥

गणिका और अजामिल तारे ।
बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥२८॥

हरहु सकल संताप हमारे ।
कृपा करहु हरि सिरजन हारे ॥२९॥

देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे ।
दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥३०॥

चाहता आपका सेवक दर्शन ।
करहु दया अपनी मधुसूदन ॥३१॥

जानूं नहीं योग्य जब पूजन ।
होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥३२॥

शीलदया सन्तोष सुलक्षण ।
विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ॥३३॥

करहुं आपका किस विधि पूजन ।
कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥३४॥

करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण ।
कौन भांति मैं करहु समर्पण ॥३५॥

सुर मुनि करत सदा सेवकाई ।
हर्षित रहत परम गति पाई ॥३६॥

दीन दुखिन पर सदा सहाई ।
निज जन जान लेव अपनाई ॥३७॥

पाप दोष संताप नशाओ ।
भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥३८॥

सुत सम्पति दे सुख उपजाओ ।
निज चरनन का दास बनाओ ॥३९॥

निगम सदा ये विनय सुनावै ।
पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥४०॥

॥ श्री हरि भगवान विष्णु जी ॥


निष्कर्ष

श्री विष्णु चालीसा का पाठ भगवान विष्णु की महिमा और उनकी कृपा को याद करने का एक प्रभावशाली माध्यम है।

  • यह पाठ न केवल मानसिक शांति और आत्मिक बल प्रदान करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।
  • जो भक्त इसे सच्चे मन और श्रद्धा के साथ करते हैं, वे भगवान विष्णु की कृपा से जीवन के सभी सुखों को प्राप्त करते हैं।

"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" का जाप और श्री विष्णु चालीसा का पाठ एक ऐसा माध्यम है, जो भक्तों के जीवन को धन, धर्म, और आध्यात्मिक संतोष से भर देता है।

आप इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और भगवान विष्णु की अनंत कृपा प्राप्त करें।

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