शिव नामवल्यष्टकम् (पीडीएफ) | Shiva Namavalyashtakam (PDF)

शिव नामावल्यष्टकम् PDF

विषय सूची

  • Shri Shiv Namavalyashtakam Mahatv
  • शिव नामावल्यष्टकम् अर्थ एवं महिमा
  • शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ विधि
  • शिव नामावल्यष्टकम् पाठ के नियम
  • शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने के लाभ
  • शिव नामावल्यष्टकम् स्तुति !
  • निष्कर्ष
  • शिव नामवल्यष्टकम् (PDF)

Shri Shiv Namavalyashtakam Mahatv

शिव नामावल्यष्टकम् एक अष्टक स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव के विभिन्न नामों और उनके दिव्य गुणों की महिमा का वर्णन है। यह स्तोत्र भक्त को संसार के कष्टों और दुखों से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव की कृपा का आह्वान करता है। इसमें शिव के प्रमुख स्वरूपों और उनकी महानता का गुणगान किया गया है।

यह स्तोत्र 8 श्लोकों में विभाजित है और प्रत्येक श्लोक भगवान शिव के एक विशेष रूप, गुण और शक्ति को व्यक्त करता है। इसका नियमित पाठ या सुनना भक्तों के लिए आत्मिक शांति, मानसिक बल, और बुराइयों से मुक्ति का कारण बनता है।

स्तुति का अर्थ एवं महिमा

भगवान शिव को चन्द्रचूड़, मदनान्तक (कामदेव का संहारक), शूलपाणि (त्रिशूल धारण करने वाले), स्थाणु (स्थिर), महेश, शम्भु, भूतेश आदि विशेषणों से विभूषित किया गया है। शिव का स्मरण हमें सांसारिक दुखों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में शिव को पार्वती के प्रिय, त्रिनेत्रधारी, वामदेव, रुद्र, नीलकण्ठ, प्रमथनाथ और लोकनाथ के रूप में याद किया गया है। यह प्रार्थना शिव की करुणा और दया का आह्वान करती है कि वे हमें संसार के दुखों और कष्टों से सुरक्षित रखें।

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ विधि

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने के लिए विशेष विधि अपनाई जा सकती है। इस स्तोत्र का पाठ श्रद्धा और भक्ति के साथ करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है। यहाँ पाठ विधि दी गई है:

  1. स्नान एवं पवित्रता: सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पाठ के लिए शुद्ध और शांत स्थान का चयन करें।

  2. शिवलिंग का पूजन: यदि संभव हो, तो शिवलिंग या शिव की प्रतिमा के सामने बैठें। शिवलिंग का गंगा जल, दूध, शुद्ध जल और पंचामृत से अभिषेक करें। बेलपत्र, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, फल और फूल अर्पित करें।

  3. दीप जलाना: भगवान शिव के सामने घी का दीपक जलाएं। दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  4. आसन पर बैठें: कुश या सूती आसन पर बैठकर शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करें। पाठ करते समय मन को एकाग्र रखें और भगवान शिव के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखें।

  5. पाठ प्रारंभ: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ प्रारंभ करें। हर श्लोक के अंत में भगवान शिव से संसार के दुखों से रक्षा की प्रार्थना करें।

  6. जप माला का प्रयोग: यदि संभव हो, तो रुद्राक्ष माला लेकर पाठ करें। प्रत्येक श्लोक के पाठ के बाद माला के एक मनके पर "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें।

  7. पाठ की संख्या: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ कम से कम 11 बार या अपनी श्रद्धा अनुसार अधिक बार करें। सोमवार, प्रदोष व्रत, या महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।

  8. अंतिम प्रार्थना और आरती: पाठ के अंत में भगवान शिव से अपनी रक्षा, सुख-समृद्धि और दुखों से मुक्ति की प्रार्थना करें। इसके बाद शिव आरती करें।

  9. प्रसाद वितरण: पाठ समाप्ति के बाद भगवान शिव को अर्पित प्रसाद (फल, मिष्ठान्न) का वितरण करें।

इस विधि से शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, दुखों का नाश होता है और मन को शांति मिलती है।

शिव नामावल्यष्टकम् पाठ के नियम

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करने से इसका प्रभाव अधिक होता है। यहाँ पाठ के कुछ महत्वपूर्ण नियम दिए गए हैं:

  1. पवित्रता बनाए रखें: पाठ के समय तन और मन दोनों की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें, और शांत तथा स्वच्छ स्थान का चयन करें।

  2. भक्ति और श्रद्धा: पाठ में मन की शुद्धि और भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा अति आवश्यक है। मन में शुद्ध और पवित्र भाव रखें और पूरी श्रद्धा से शिव नामों का उच्चारण करें।

  3. सही समय का चयन: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ सुबह ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 4-6 बजे) में करना उत्तम माना गया है। इस समय वातावरण शुद्ध और शांत होता है। यदि ब्रह्ममुहूर्त में पाठ संभव न हो, तो किसी भी शुभ समय पर पाठ कर सकते हैं।

  4. नियमितता: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ नियमित रूप से करने का प्रयास करें। सोमवार, प्रदोष व्रत, या महाशिवरात्रि के दिन इसका विशेष फल मिलता है, लेकिन इसे प्रतिदिन करने से भी अधिक लाभ प्राप्त होता है।

  5. सही उच्चारण: पाठ करते समय हर श्लोक का सही उच्चारण करें। शब्दों का सही उच्चारण करने से पाठ का आध्यात्मिक प्रभाव बढ़ता है।

  6. माला का प्रयोग: यदि संभव हो, तो रुद्राक्ष माला के साथ पाठ करें। एकाग्रता बनाए रखने के लिए हर श्लोक के बाद माला के एक मनके पर "ॐ नमः शिवाय" का जप कर सकते हैं।

  7. आसन का उपयोग: पाठ करते समय कुश या सूती आसन का उपयोग करें। सीधे आसन में बैठें और अपने मन को शिव भक्ति में एकाग्रित रखें।

  8. प्रसाद अर्पण: शिव नामावल्यष्टकम् के पाठ के बाद भगवान शिव को जल, बेलपत्र, धूप और प्रसाद अर्पित करें। प्रसाद में शुद्ध फल या मिठाई का उपयोग करें।

  9. संयमित आहार और जीवनशैली: पाठ के दिनों में तामसिक और अहितकर भोजन से दूर रहें। सात्विक आहार और संयमित जीवनशैली का पालन करें ताकि पाठ का अधिक प्रभाव हो।

  10. निष्काम भाव: पाठ करते समय भगवान शिव से किसी विशेष फल की कामना न रखें। शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ निष्काम भाव से करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

इन नियमों का पालन करते हुए शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा, आशीर्वाद और सुरक्षा प्राप्त होती है।

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने के लाभ

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ भगवान शिव की स्तुति करने का अत्यंत प्रभावी और फलदायी स्तोत्र है। इसे करने से साधक को अनेक आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ प्राप्त होते हैं। यहाँ इस पाठ के प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

  1. संसारिक दुःखों से मुक्ति: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ संसार के गहन दुःखों, कष्टों और कठिनाइयों से मुक्ति प्रदान करता है। भगवान शिव को ‘संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष’ कहते हुए प्रार्थना करने से जीवन के संकट दूर होते हैं।

  2. मानसिक शांति और एकाग्रता: नियमित पाठ से मन को शांति मिलती है और तनाव, चिंता एवं अवसाद से मुक्ति मिलती है। भगवान शिव का स्मरण मन को स्थिरता और एकाग्रता प्रदान करता है।

  3. आध्यात्मिक उन्नति: शिव नामावल्यष्टकम् के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, जो साधक को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। इसके पाठ से साधक का आत्मबल और आत्मज्ञान बढ़ता है।

  4. भय और बाधाओं से रक्षा: शिव को “भीतभयसूदन” और “अंधकारिपु” कहकर संबोधित किया गया है, जो भय और शत्रुओं का नाश करने वाले हैं। इस पाठ से जीवन की विपत्तियाँ, शत्रु बाधाएँ और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

  5. स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति: भगवान शिव को 'नीलकंठ' और 'मृत्युञ्जय' कहा गया है, जो जीवन में स्वास्थ्य प्रदान करने वाले और रोगों को नष्ट करने वाले हैं। इस पाठ का अभ्यास साधक के शारीरिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने में सहायक होता है।

  6. धन, समृद्धि और सौभाग्य: शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ करने से आर्थिक परेशानियाँ दूर होती हैं और समृद्धि बढ़ती है। भगवान शिव की कृपा से परिवार में सुख-शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।

  7. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: इस पाठ में शिव के अनेकों दिव्य नामों का उच्चारण होता है, जिससे आसपास की नकारात्मकता दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

  8. मोक्ष की प्राप्ति: भगवान शिव को मोक्ष का दाता माना गया है। शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ मोक्ष की प्राप्ति की ओर ले जाता है और जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्रदान करता है।

  9. परिवार की सुरक्षा और समृद्धि: इस पाठ से भगवान शिव की कृपा पूरे परिवार पर बनी रहती है। परिवार के सदस्यों की रक्षा, उनके कल्याण और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

  10. शिव कृपा का आशीर्वाद: शिव नामावल्यष्टकम् का नियमित पाठ साधक को भगवान शिव का आशीर्वाद प्रदान करता है। यह स्तोत्र भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति, विश्वास और समर्पण को दर्शाता है, जिससे भगवान शिव की कृपा जल्दी प्राप्त होती है।

इन लाभों के कारण शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ शिव भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है और इसे नियमित रूप से करने की सलाह दी जाती है।

शिव नामावल्यष्टकम् ! Shri Shiv Namavalyashtakam

हे चन्द्रचूड मदनान्तक शूलपाणे
स्थाणो गिरीश गिरिजेश महेश शम्भो ।

भूतेश भीतभयसूदन मामनाथं
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ १॥

हे पार्वतीहृदयवल्लभ चन्द्रमौले
भूताधिप प्रमथनाथ गिरीशचाप ।

हे वामदेव भव रुद्र पिनाकपाणे
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ २॥

हे नीलकण्ठ वृषभध्वज पञ्चवक्त्र
लोकेश शेषवलय प्रमथेश शर्व ।

हे धूर्जटे पशुपते गिरिजापते मां
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ३॥

हे विश्वनाथ शिव शङ्कर  देवदेव
गङ्गाधर प्रमथनायक नन्दिकेश ।

बाणेश्वरान्धकरिपो हर लोकनाथ
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ४॥

वाराणसीपुरपते मणिकर्णिकेश
वीरेश दक्षमखकाल विभो गणेश ।

सर्वज्ञ सर्वहृदयैकनिवास नाथ
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ५॥

श्रीमन्महेश्वर कृपामय हे दयालो
हे व्योमकेश शितिकण्ठ गणाधिनाथ ।

भस्माङ्गराग नृकपालकलापमाल
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ६॥

कैलासशैलविनिवास वृषाकपे हे
मृत्युञ्जय त्रिनयन त्रिजगन्निवास ।

नारायणप्रिय मदापह शक्तिनाथ
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ७॥

विश्वेश विश्वभवनाशक विश्वरूप
विश्वात्मक त्रिभुवनैकगुणाधिकेश ।

हे विश्वनाथ करुणामय दीनबन्धो
संसारदुःखगहनाज्जगदीश रक्ष ॥ ८॥

गौरीविलासभवनाय महेश्वराय
पञ्चाननाय शरणागतकल्पकाय ।

शर्वाय सर्वजगतामधिपाय तस्मै
दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छङ्करभगवतः कृतौ शिवनामावल्यष्टकं सम्पूर्णम् ॥

निष्कर्ष

शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ भगवान शिव की अनन्य भक्ति और उनकी असीम कृपा प्राप्त करने का प्रभावशाली माध्यम है। यह स्तोत्र साधक को जीवन की कठिनाइयों, भय, रोग, और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति दिलाने में सहायक है। इसके नियमित पाठ से न केवल मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि साधक और उसके परिवार की सुरक्षा, समृद्धि और कल्याण भी सुनिश्चित होता है। भगवान शिव को समर्पित यह पाठ मोक्ष की प्राप्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अतः, शिव नामावल्यष्टकम् का पाठ एक संपूर्ण साधना है, जो जीवन के हर पहलू में शिव की कृपा और आशीर्वाद के रूप में परम लाभ प्रदान करता है।

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