श्री महालक्ष्मी स्तुति PDF
श्री महालक्ष्मी स्तुति PDF 👇
श्री महालक्ष्मी स्तुति: महत्व, विधि और लाभ
श्री महालक्ष्मी स्तुति का अर्थ और महत्व
- आदि लक्ष्मी - परम ब्रह्म की स्वरूपिणी, जो हमें यश, धन, और सभी इच्छाओं को पूर्ण करने की शक्ति प्रदान करती हैं।
- सन्तान लक्ष्मी - संतान सुख प्रदान करने वाली, जिनसे हम पुत्र-पौत्र, धन, और सभी इच्छाओं की प्राप्ति की कामना करते हैं।
- विद्या लक्ष्मी - ब्रह्म विद्या स्वरूपिणी, जो ज्ञान और कलाओं की दात्री हैं।
- धन लक्ष्मी - धन की देवी, जो गरीबी को समाप्त करके हमें श्री और धन देती हैं।
- धान्य लक्ष्मी - अन्नपूर्णा रूप में सबको अन्न और धन की भरपूर मात्रा में देने वाली।
- मेधा लक्ष्मी - बुद्धि और प्रज्ञा प्रदान करने वाली, जो सभी मानसिक और आध्यात्मिक कष्टों का नाश करती हैं।
- गज लक्ष्मी - ऐश्वर्य और संपत्ति का प्रतीक, जो हमें घोड़े, गाय, और सभी समृद्धियों की प्राप्ति कराती हैं।
- धीर लक्ष्मी - पराशक्ति की स्वरूपिणी, जो हमें बल और शक्ति प्रदान करती हैं।
- जय लक्ष्मी - विजय और शुभता की देवी, जो जीवन में हर कार्य में सफलता का आशीर्वाद देती हैं।
- भाग्य लक्ष्मी - सौभाग्य और समृद्धि की दात्री, जो हमारे सौभाग्य को बढ़ाती हैं।
- कीर्ति लक्ष्मी - विष्णु के हृदय में स्थित, जो हमें कीर्ति और यश देती हैं।
- आरोग्य लक्ष्मी - स्वास्थ्य की देवी, जो सभी रोगों का नाश करती हैं।
- सिद्ध लक्ष्मी - सिद्धियों की प्रदात्री, जो हमें सभी प्रकार की सिद्धियों का आशीर्वाद देती हैं।
- सौन्दर्य लक्ष्मी - सौंदर्य और आकर्षण की देवी, जो हमें रूप, तेज और अलंकरण देती हैं।
- साम्राज्य लक्ष्मी - भोग और मोक्ष की प्रदात्री, जो हमें राज्य, समृद्धि और मुक्ति प्रदान करती हैं।
श्री महालक्ष्मी स्तुति का पाठ विधि
- स्थान: सुबह स्नान के बाद पूजा स्थल पर बैठकर श्री लक्ष्मी प्रतिमा के समक्ष इस स्तुति का पाठ करें।
- सामग्री: पूजा में दीपक, अगरबत्ती, पुष्प, और नैवेद्य अर्पित करें।
- मंत्र: स्तुति के प्रत्येक श्लोक का स्पष्ट उच्चारण करें, जिससे मनोकामना पूर्ण हो सके।
- ध्यान: पाठ के दौरान देवी लक्ष्मी का ध्यान करते हुए उनसे अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें।
श्री महालक्ष्मी स्तुति के लाभ
- धन और संपत्ति: धन लक्ष्मी और धन्य लक्ष्मी की कृपा से घर में धन और अन्न का अभाव नहीं रहता।
- ज्ञान और विद्या: विद्या लक्ष्मी की कृपा से शिक्षा, कला, और ज्ञान में उन्नति होती है।
- स्वास्थ्य: आरोग्य लक्ष्मी की कृपा से रोगों से मुक्ति मिलती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
- विजय और सफलता: जय लक्ष्मी का आशीर्वाद सभी कार्यों में सफलता प्रदान करता है।
- सौंदर्य और आकर्षण: सौन्दर्य लक्ष्मी का पूजन करने से सौंदर्य, आकर्षण, और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है।
- भाग्य वृद्धि: भाग्य लक्ष्मी की कृपा से सौभाग्य में वृद्धि होती है और जीवन में शुभता का आगमन होता है।
श्री लक्ष्मी स्तुति ! Shri Mahalakshmi Stuti
आदि लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्म स्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।1।।
सन्तान लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्र-पौत्र प्रदायिनि।
पुत्रां देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।2।।
विद्या लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु ब्रह्म विद्या स्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।3।।
धन लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व दारिद्र्य नाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।4।।
धान्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरण भूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।5।।
मेधा लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलि कल्मष नाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।6।।
गज लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेव स्वरूपिणि।
अश्वांश गोकुलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।7।।
धीर लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्ति स्वरूपिणि।
वीर्यं देहि बलं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।8।।
जय लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व कार्य जयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।9।।
भाग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमाङ्गल्य विवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।10।।
कीर्ति लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु विष्णुवक्ष स्थल स्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।11।।
आरोग्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व रोग निवारणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।12।।
सिद्ध लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्व सिद्धि प्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।13।।
सौन्दर्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कार शोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।14।।
साम्राज्य लक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्व कामांश्च देहि मे।।15।।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गल प्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।।16।।
सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवि नारायणि नमोऽस्तुते।।17।।
निष्कर्ष
जय माता लक्ष्मी!
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