श्री विनायक विनती: श्री गणेश की स्तुति (पीडीएफ) | Sri Vinayaka Vinati: Praise of Lord Ganesha (PDF)

श्री विनायक विनती: श्री गणेश की स्तुति (PDF)

विषयसूची

  • श्री विनायक विनति: श्री गणेश की स्तुति से प्राप्त करें विघ्नविनाशक का आशीर्वाद
  • श्री विनायक विनतिः का पाठ करने की विधि
  • श्री विनायक विनतिः का पाठ के कुछ विशेष नियम
  • श्री विनायक विनतिः पाठ के लाभ
  • श्री विनायक विनति।श्री गणेश की स्तुति ! Shri Vinayak Vinati
  • निष्कर्ष
  • श्री विनायक विनती: श्री गणेश की स्तुति (PDF)

श्री विनायक विनति: श्री गणेश की स्तुति से प्राप्त करें विघ्नविनाशक का आशीर्वाद

हिंदू धर्म में भगवान गणेश का विशेष स्थान है। उन्हें हर शुभ कार्य से पहले पूजा जाता है, क्योंकि वे विघ्नों का नाश करने वाले देवता माने जाते हैं। श्री विनायक विनतिः एक ऐसा स्तोत्र है जो भगवान गणेश की महिमा और गुणों का गान करता है। इसके पाठ से न केवल विघ्नों से मुक्ति मिलती है, बल्कि बुद्धि, बल और समृद्धि का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

श्री विनायक विनतिः का पाठ करने की विधि

श्री विनायक विनतिः का पाठ करने की विधि सरल और प्रभावी है, जो भक्तों को भगवान गणेश की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायक होती है। इस पाठ की विधि में विशेष नियम और संकल्प का महत्व होता है, जिससे यह अधिक प्रभावशाली होता है। यहाँ श्री विनायक विनतिः का पाठ करने की संपूर्ण विधि दी जा रही है:

  • संकल्प लें

पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए एक संकल्प लें। इस संकल्प में आप भगवान गणेश से अपनी मनोकामना और पाठ करने का उद्देश्य बताते हैं। इस प्रकार का संकल्प पाठ की शक्ति को बढ़ाता है।

  • पूजा स्थल की सफाई करें

पाठ शुरू करने से पहले पूजा स्थल को स्वच्छ और पवित्र कर लें। भगवान गणेश का स्थान साफ और व्यवस्थित होना चाहिए।

  • पूजा सामग्री एकत्र करें

श्री विनायक विनतिः के पाठ के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित हो सकती है:

  • गणेश जी की प्रतिमा या चित्र
  • पुष्प, विशेष रूप से लाल या पीले फूल
  • दीपक और अगरबत्ती
  • प्रसाद, जैसे मोदक या मिठाई
  • सिंदूर और दूर्वा (दूब)

गणेश जी का आवाहन करें

पाठ से पहले भगवान गणेश का आवाहन करें और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रार्थना करें। इसके लिए "ॐ गणेशाय नमः" या "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप कर सकते हैं।

  • ध्यान और प्रार्थना करें

भगवान गणेश का ध्यान करें और उन्हें अपने मन में स्थापित करें। उनकी छवि को ध्यान में रखते हुए कुछ क्षणों के लिए शांत होकर प्रार्थना करें।

  • श्री विनायक विनतिः का पाठ करें

श्री विनायक विनतिः का पाठ आरंभ करें। पाठ को मनोयोग और श्रद्धा से करें। श्लोकों का उच्चारण स्पष्ट और शुद्ध हो, जिससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त हो सके।

  • पाठ के बाद आरती करें

पाठ समाप्त होने के बाद गणेश जी की आरती करें। गणेश जी की आरती गाते समय दीपक और अगरबत्ती जलाएं और उन्हें अर्पित करें।

  • गणेश जी को दूर्वा और मोदक अर्पित करें

आरती के बाद भगवान गणेश को दूर्वा और मोदक या अन्य मिठाई का प्रसाद अर्पित करें। गणेश जी को दूर्वा और मोदक विशेष प्रिय हैं।

  • प्रसाद वितरण करें

अंत में गणेश जी से आशीर्वाद प्राप्त करें और सभी को प्रसाद वितरित करें। इसे प्रसाद समझकर भक्तिमय भाव से ग्रहण करें।

  • मनोकामना के लिए प्रार्थना करें

अंत में, अपनी मनोकामना के लिए गणेश जी से प्रार्थना करें और उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। अपने संकल्प को फिर से दोहराएं और भगवान गणेश से सफलता और सुख-शांति की कामना करें।


इस विधि से श्री विनायक विनतिः का पाठ करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। नियमित रूप से इस पाठ का पालन करने से बुद्धि, बल, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

श्री विनायक विनतिः का पाठ के कुछ विशेष नियम

श्री विनायक विनतिः का पाठ करने के कुछ विशेष नियम और अनुशासन हैं, जिनका पालन करने से पाठ का प्रभाव बढ़ता है और भगवान गणेश की कृपा जल्दी प्राप्त होती है। ये नियम ध्यान और श्रद्धा से पालन किए जाने चाहिए:

1. पवित्रता का ध्यान रखें

  • पाठ से पहले स्नान कर लें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। शरीर और मन की पवित्रता बहुत महत्वपूर्ण है।
  • पाठ के दौरान केवल पवित्र स्थान पर बैठें। यदि संभव हो, तो घर के पूजा स्थल पर बैठकर ही पाठ करें।

2. ब्रह्म मुहूर्त में पाठ करें

  • श्री विनायक विनतिः का पाठ ब्रह्म मुहूर्त में (सुबह 4 से 6 बजे के बीच) करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह समय अध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्तम होता है।
  • यदि सुबह संभव न हो, तो किसी शांत और साफ-सुथरे समय में ही पाठ करें।

3. आहार संयम का पालन करें

  • पाठ के दिन सात्विक आहार ग्रहण करें और तामसिक भोजन जैसे मांस, प्याज, लहसुन से परहेज करें।
  • पाठ से पहले भोजन ना करें; यदि संभव हो तो खाली पेट पाठ करना अधिक शुभ होता है।

4. आसन का चयन

  • श्री विनायक विनतिः का पाठ करते समय एक ही आसन पर बैठें। इसका अर्थ है कि अपनी जगह बार-बार ना बदलें।
  • पाठ के दौरान आसन के लिए कुश या रेशम का आसन प्रयोग करना उत्तम होता है। यह मन को एकाग्र बनाए रखने में सहायक होता है।

5. उच्चारण की शुद्धता

  • पाठ करते समय श्लोकों का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। यदि संभव हो तो संस्कृत के श्लोकों का सही उच्चारण करने का प्रयास करें।
  • प्रत्येक शब्द और मंत्र को ध्यान से पढ़ें और श्रद्धा के साथ उच्चारण करें।

6. नियमितता का पालन करें

  • यदि आप किसी विशेष उद्देश्य या मनोकामना की सिद्धि के लिए श्री विनायक विनतिः का पाठ कर रहे हैं, तो इसे एक निश्चित संख्या में दिनों तक लगातार करना उचित होता है।
  • हर दिन एक ही समय पर पाठ करें और इसे निरंतरता से निभाएं।

7. मौन का पालन

  • पाठ के दौरान मौन रहें और पाठ समाप्त होने तक किसी से बातचीत न करें।
  • मन को एकाग्र रखने के लिए बाहरी विकारों से दूर रहें।

8. पूजा सामग्री का सही प्रयोग

  • भगवान गणेश को दूर्वा, मोदक, लाल फूल आदि अर्पित करें क्योंकि ये उन्हें प्रिय हैं।
  • दीपक जलाकर पाठ करें और गणेश जी की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर करें।

9. मनोकामना का संकल्प

  • पाठ शुरू करने से पहले भगवान गणेश को अपनी मनोकामना बताएं और संकल्प लें। यह पाठ के प्रभाव को बढ़ाता है।
  • संकल्प में भगवान गणेश से अपनी समस्या को हल करने या जीवन में सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।

10. पाठ समाप्ति के बाद आभार व्यक्त करें

  • पाठ समाप्त होने के बाद भगवान गणेश का आभार प्रकट करें और उन्हें धन्यवाद दें।
  • भगवान गणेश की आरती करें और उन्हें दूर्वा, मोदक, और प्रसाद अर्पित करें।

इन नियमों का पालन करने से श्री विनायक विनतिः का पाठ अत्यधिक लाभकारी होता है और भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

श्री विनायक विनतिः पाठ के लाभ

श्री विनायक विनतिः का पाठ करने से भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है। श्री गणेश विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता माने जाते हैं, और इस पाठ का नियमित रूप से पालन करने से भक्त को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। ये लाभ इस प्रकार हैं:

1. विघ्नों का नाश

  • श्री विनायक विनतिः का पाठ करने से जीवन के सभी प्रकार के विघ्न दूर हो जाते हैं। यह विशेष रूप से शुभ कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
  • किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले इस पाठ का पाठ करने से कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है।

2. सुख और समृद्धि में वृद्धि

  • इस पाठ को नियमित करने से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है। परिवार में शांति और आनंद का वातावरण बना रहता है।
  • आर्थिक समस्याओं में सुधार होता है, और धन का आगमन बढ़ता है।

3. विद्या और बुद्धि की प्राप्ति

  • विद्यार्थी और ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वालों के लिए यह पाठ अत्यंत लाभकारी है। गणेश जी का आशीर्वाद व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान और एकाग्रता प्रदान करता है।
  • इस पाठ को करने से मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है, जिससे पढ़ाई में सफलता मिलती है।

4. स्वास्थ्य लाभ

  • श्री विनायक विनतिः के पाठ से शरीर की बीमारियों और मन की चिंता दूर होती है। इस पाठ में गणेश जी की आराधना से रोगों का नाश होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • विशेष रूप से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जिससे व्यक्ति चिंता और तनाव से मुक्ति पाता है।

5. मान-सम्मान में वृद्धि

  • श्री गणेश का आशीर्वाद व्यक्ति के समाज में मान-सम्मान में वृद्धि करता है। इस पाठ को करने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा बढ़ती है और समाज में उसकी पहचान बेहतर होती है।
  • नौकरी या व्यवसाय में उन्नति और सम्मान मिलता है।

6. शुभता का संचार

  • इस पाठ के नियमित पाठ से हर कार्य में शुभता का संचार होता है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त होती है और कार्य में कोई अवरोध नहीं आता।
  • यह पाठ व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है, जिससे उसके जीवन में शुभता बढ़ती है।

7. दरिद्रता का नाश

  • गणेश जी का आशीर्वाद दरिद्रता को दूर करता है। श्री विनायक विनतिः का पाठ करने से आर्थिक तंगी समाप्त होती है और व्यक्ति के घर में धन और ऐश्वर्य का आगमन होता है।
  • यह पाठ जीवन में समृद्धि का द्वार खोलता है और दरिद्रता को नष्ट करता है।

8. कठिन समय में सहारा

  • जीवन में किसी भी प्रकार के कठिन समय, संकट, या चुनौतियों का सामना करते समय श्री विनायक विनतिः का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा से समस्या का हल प्राप्त होता है।
  • यह पाठ व्यक्ति को साहस और मानसिक शक्ति प्रदान करता है ताकि वह किसी भी संकट का डटकर सामना कर सके।

9. भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति

  • श्री विनायक विनतिः के पाठ से न केवल भौतिक सुख बल्कि आध्यात्मिक शांति और संतोष भी प्राप्त होता है। यह व्यक्ति के मन को शांति और संतुलन प्रदान करता है।
  • आत्मज्ञान और आत्मिक उन्नति की प्राप्ति होती है, जो जीवन के सभी पहलुओं में सुखद अनुभव लाता है।

10. मनोकामना पूर्ति

  • किसी विशेष मनोकामना की पूर्ति के लिए श्री विनायक विनतिः का पाठ अत्यधिक लाभकारी है। गणेश जी को विघ्नहर्ता और सिद्धिदाता कहा गया है, इसलिए वे भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
  • श्री विनायक विनतिः का पाठ करके भगवान गणेश से मनोकामना की प्रार्थना करने से वे शीघ्र ही उसे पूरा करने की कृपा करते हैं।

इस प्रकार, श्री विनायक विनतिः का पाठ न केवल व्यक्तिगत विकास में सहायक है, बल्कि समस्त परिवार और समाज के कल्याण में भी योगदान देता है।

श्री विनायक विनति।श्री गणेश की स्तुति ! Shri Vinayak Vinati

हेरम्बमम्बामवलम्बमानं लम्बोदरं लम्ब-वितुण्ड-शुण्डम् । 
उत्सङ्गमारोपयितुं ह्यपर्णां हसन्तमन्तर्हरिरूपमीडे ॥१॥

 मिलिन्द वृन्द गुञ्जनोल्लसत्कपोल - मण्डलं 
श्रुति प्रचालन स्फुरत्समीरवीजिताननम् ।

वितुण्ड - शुण्डमण्डल प्रसार शोभिविग्रहं  
निवारिताघ विघ्नराशिमङ्कलालपं भजे ॥२॥

गजेन्द्र-मौक्तिकालि-लग्न-कम्बुकण्ठ-पीठकं 
सुवर्णबल्लि मण्डली विधानबद्ध दन्तकम् ।

प्रमोदि मोदकाञ्चितं करण्डकं कराम्बुजे - 
दधानमम्बिकामनो विनोद मोद - दायकम् ॥३॥

गभीर-नाभि-तुन्दिलं सुपीत-पाट-धौतकं 
प्रतप्त हाटकोपवीत शोभिताङ्क संग्रहम् ।

सुराऽसुरार्चितानिकं शुभक्रिया सहायकं 
महेशचित्त चायकं विनायकं नमाम्यहम् ॥४॥

गजाननं गणेश्वरं गिरीशजा कुमारकं 
महेश्वरात्मजं मुनीन्द्र मानसाधि धावकम् 
मतिप्रकर्ष मण्डितं सुभक्त चित्त - मोदकं 
भजज्ञ्जनालिघोर विघ्नघातकं भजाम्यहम् ॥५॥

लसल्ललाट चन्द्रकं क्रियाकृतेऽस्त तन्द्रकं 
महेन्द्रवन्ध पादुकं षडाननाग्रजानुजम् ।
अहिं निवार्य मूषकाधिरक्षकं मयूरकं 
विलोक्य सुप्रसन्नमानसं गणाधिपं भजे ॥६॥

हरिं निरीक्ष्य भीतिचञ्चलाक्षमेत्य मातरं 
निजावनाय पार्श्वमागतां विलोक्य सत्त्वरम् ।
तदीय-वक्षसि प्रविश्य सुस्थिरं परे वरे 
नमामि सेवकालिशोक शोषकं निरन्तरम् ॥७॥

निलिम्प - लौकमण्डली प्रपूर्ण पूजनीयकं 
सुभक्त भक्तिभावना विभाविताखिलप्रदम् ।

प्रभूत- भूमि भावकं दुरूह दुःख पावकं 
ब्रजेश्वरांश सम्भवं विधुप्रभासितालिकम् ॥८॥

गिरीन्द्र नन्दिनी कराम्बुज प्रसाधिताऽलकं 
विलोल-शुण्ड-चुम्बितोग्र-भालचन्द्र बालकम् ।

निजाखु खेलनापरं कखन्त  मस्तचापलं 
नमामि सिद्धि बुद्धिहस्त चालि पञ्चचामरम् ॥९॥

विनायकस्य विनतिं पठतां शृण्वतां सताम् ।
सिद्धि-बुद्धि- प्रदां सन्ति मङ्गलानि पदे पदे ॥१०॥

इति पण्डित-श्रीशिवप्रसादद्विवेदि-विरचिता विनायक-विनतिः समाप्ता ॥

निष्कर्ष

भगवान गणेश का ध्यान और स्तुति जीवन के हर पहलू में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक है। श्री विनायक विनतिः का नियमित पाठ करने से जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गणेश जी की महिमा का यह स्तोत्र हमें हर प्रकार की विघ्न-बाधाओं से मुक्त करता है और हमारे जीवन को सकारात्मकता से भर देता है।

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