कल्कि भगवान का जीवन और धर्म का शिक्षाः एक आदर्श कथा | Life of Lord Kalki and Teachings of Dharma: An Ideal Story

कल्कि भगवान का जीवन और धर्म का शिक्षाः एक आदर्श कथा

श्रुत्वा नृपाणां भक्तानां वचनं पुरुषोत्तमः।
ब्रह्मण-क्षत्र-विट्-शूद्र-वर्णानां धर्मम् आह यत्॥१

परिचय

इस कथा में सूत जी ने बताया कि भगवान कल्कि ने नृपों और भक्तों के वचन सुनकर चारों वर्णों के धर्म का वर्णन किया। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र—इन चारों वर्गों के कर्तव्य क्या होने चाहिए, इसका विस्तार से ज्ञान दिया। कल्कि भगवान ने यह उपदेश दिया कि संसार में कर्मों के पालन और वेदों के आदर्शों के अनुसार ही धर्म का पालन करना चाहिए।

राजाओं के प्रश्नों के उत्तर में कल्कि ने उन सभी रहस्यों का वर्णन किया जो मनुष्यों के जन्म, जीवन के विभिन्न अवस्थाओं और सुख-दुःख के कारण होते हैं। इसके बाद, राजाओं ने अपने दिल की शांति के लिए भगवान से और ज्ञान प्राप्त करने की प्रार्थना की।

कल्कि और मुनि अनन्त का संवाद

राजाओं के प्रश्नों का उत्तर देने के बाद, कल्कि जी ने मुनि अनन्त को याद किया। मुनि अनन्त जो जीवन के रहस्यों को जानने के लिए भगवान से मार्गदर्शन चाहते थे, वे शीघ्र ही उपस्थित हुए। मुनि अनन्त ने कल्कि से पूछा कि उन्हें क्या करना चाहिए, ताकि वे अपने जीवन को सही दिशा में चला सकें।

कल्कि जी ने मुनि से कहा, "आपने हमारे किए गए सभी काम देखे हैं और आप को सब मालूम है। भाग्य को कोई नहीं पलट सकता और बिना काम किए किसी को फल नहीं मिलता।" यह वाक्य मुनि के लिए एक स्पष्ट मार्गदर्शन था कि धर्म और कर्म के पालन में ही जीवन की सफलता है।

📖 अद्भुत कथा का संपूर्ण वर्णन  | click to read 👇

श्री कल्कि पुराण दूसरा अंश \चौथा अध्याय |

वर्ण व्यवस्था और जीवन के प्रश्न

मुनि अनन्त ने बताया कि वह क्लीव (नपुंसक) पैदा हुए थे, लेकिन भगवान शिव की कृपा से उन्हें पुरुषत्व का वरदान मिला। इसके बाद उन्होंने गृहस्थ जीवन की ओर कदम बढ़ाया और पत्नी के साथ एक आदर्श जीवन बिताया।

एक बार जब उनके माता-पिता का निधन हुआ, तो उन्होंने भगवान विष्णु की आराधना की और उनके दर्शन से यह सीखा कि संसार में स्नेह और मोह केवल भगवान की माया हैं। इस समझ के बाद उन्होंने जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर बढ़ने का संकल्प लिया।

शिव और विष्णु की कृपा

कहानी में भगवान शिव और भगवान विष्णु की कृपा का उल्लेख किया गया है। शिव जी की पूजा से मुनि अनन्त को पुरुषत्व का वरदान मिला, और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें जीवन के वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान प्राप्त हुआ। यह बताते हुए मुनि अनन्त ने भगवान की माया को समझने की कोशिश की, परंतु वे एक समय में मोह के जाल में भी फंस गए।

समाप्ति

कहानी का यह अंश हमें यह शिक्षा देता है कि जीवन के प्रत्येक पहलू को समझने के लिए ईश्वर की कृपा की आवश्यकता होती है। भगवान कल्कि ने चारों वर्णों के धर्म का पालन करने का उपदेश दिया और मुनि अनन्त ने यह दर्शाया कि संसार के मोह और माया से परे जाकर ही आत्मा को शांति मिलती है।

भगवान विष्णु की माया का प्रभाव समझने के बाद मुनि अनन्त ने भगवान विष्णु की पूजा शुरू की और अपनी आत्मा की शांति की प्राप्ति की। इस कथा से यह सिखने को मिलता है कि अगर हम भगवान की माया और उनके सत्य को समझ लें, तो हमारे जीवन के सारे दुख और मोह समाप्त हो जाते हैं।

टिप्पणियाँ