श्री कल्कि अवतार और ऋषियों का संवाद
सूत जी का वर्णन
सूत जी ने कल्कि अवतार के मुनियों से हुए संवाद का वर्णन किया। परम धार्मिक और धर्म के ज्ञाता श्री कल्कि जी ने ऋषियों का स्वागत और पूजा विधिपूर्वक की और पूछा:
“हे महान मुनियो, आप सबका यहाँ आगमन किस पुण्य के कारण हुआ है? आपके दर्शन से मैं स्वयं को धन्य मानता हूँ। कृपया अपना परिचय दें।”
मुनियों का परिचय और वंदना
वामदेव, अत्रि, वसिष्ठ, नारद, परशुराम, अश्वत्थामा, कृपाचार्य जैसे ऋषियों ने अपनी उपस्थिति का कारण बताया। उन्होंने श्री कल्कि जी की स्तुति करते हुए कहा:
"हे जगन्नाथ, आप ही सृष्टि के रचयिता, पालक और संहारक हैं। आपकी कृपा से ही ब्रह्मा और देवता आपके चरणों की पूजा करते हैं।"
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श्री कल्कि पुराण तीसरा अंश \तीसरा अध्याय |
मरु द्वारा वंश परंपरा का वर्णन
मरु ने अपनी वंशावली का वर्णन किया, जिसमें उन्होंने सूर्यवंश के राजाओं का उल्लेख किया:
- इक्ष्वाकु वंश: इक्ष्वाकु, हरिश्चंद्र, सगर, भगीरथ से लेकर श्री राम तक।
- श्री राम की कथा: मरु ने श्री राम के जीवन, उनकी लीलाओं, सीता स्वयंवर, रावण वध, और रामराज्य की महिमा का वर्णन किया।
श्री राम कथा का विस्तार
मरु ने कहा:
"श्री रामचंद्र जी ने अपने जीवनकाल में धर्म की स्थापना की। उनके गुणों और यश का गान करना असंभव है, क्योंकि यह अनंत है। उनकी कथा सुनने मात्र से पापों का नाश हो जाता है।"
श्री राम का वनवास और रावण का वध
मरु ने वनवास की कथा सुनाई, जिसमें राक्षसों के विनाश, शूर्पणखा का प्रसंग, सीता हरण, और रावण वध की घटनाएँ शामिल थीं। श्री राम के करुणा और वीरता से प्रेरित होकर ऋषियों ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ मानव अवतार बताया।
गंगा जी की महिमा
मरु ने गंगा जी के पृथ्वी पर आगमन की कथा का भी वर्णन किया। उन्होंने बताया कि गंगा जी भागीरथ के प्रयास से पृथ्वी पर अवतरित हुईं और उनकी महिमा आज तक अमिट है।
निष्कर्ष
श्री कल्कि अवतार, ऋषियों का संवाद, और मरु द्वारा रामायण का वर्णन, सभी हिंदू धर्म की महानतम परंपराओं को दर्शाते हैं। इस कथा में श्री कल्कि जी के गुण, ऋषियों की भक्ति, और श्री राम के आदर्श चरित्र का वर्णन हमारे जीवन को प्रेरित करता है।
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