पार्थिव लिंग की श्रेष्ठता तथा महिमा | paarthiv ling kee shreshthata tatha mahima

पार्थिव लिंग की श्रेष्ठता तथा महिमा

सूत जी का उपदेश

हे श्रेष्ठ महर्षियो! वैदिक कर्मों के प्रति श्रद्धाभक्ति रखने वाले मनुष्यों के लिए पार्थिव लिंग पूजा पद्धति ही परम उपयोगी एवं श्रेष्ठ है। यह भोग एवं मोक्ष दोनों प्रदान करने वाली होती है। इस पूजन की विधि अत्यंत सरल होते हुए भी अत्यधिक फलदायी मानी गई है।

पूजन की विधि

  1. स्नान और नित्यकर्म:

    • सर्वप्रथम स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।

    • सांध्योपासना के उपरांत ब्रह्मयज्ञ करें।

    • देवताओं, ऋषियों, मनुष्यों और पितरों का तर्पण करें।

    • शिव भगवान का स्मरण करते हुए भस्म एवं रुद्राक्ष धारण करें।

  2. पार्थिव लिंग का निर्माण:

    • किसी पवित्र स्थान पर पार्थिव लिंग का निर्माण करें, जैसे नदी या तालाब का किनारा, पर्वत, जंगल, शिवालय आदि।

    • ब्राह्मण श्वेत मिट्टी से, क्षत्रिय लाल मिट्टी से, वैश्य पीली मिट्टी से एवं शूद्र काली मिट्टी से शिवलिंग बनाएं।

    • गंगाजल से मिट्टी को शुद्ध कर लिंग का निर्माण करें।

  3. पूजन सामग्री एवं मंत्र:

    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजन सामग्री एकत्र करें।

    • 'भूरसि' मंत्र द्वारा क्षेत्र की सिद्धि करें।

    • जल का संस्कार कर, स्फटिक शिला का घेरा बनाएं और क्षेत्र शुद्धि करें।

    • वैदिक रीति से शिवलिंग की प्रतिष्ठा करें।

शिवलिंग का अभिषेक

  1. पंचामृत स्नान:

    • दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से शिवलिंग का अभिषेक करें।

    • मधु (शहद) और शक्कर से स्नान कराएं।

  2. वस्त्र एवं अलंकरण:

    • उत्तरीय धारण कराएं।

    • वस्त्र एवं यज्ञोपवीत अर्पित करें।

    • सुगंधित चंदन एवं रोली चढ़ाएं।

    • अक्षत, फूल एवं बेलपत्र अर्पित करें।

  3. नैवेद्य एवं आरती:

    • नैवेद्य और फल अर्पित कर ग्यारह रुद्रों का पूजन करें।

    • पूजन कर्म करने वाले पुरोहित को दक्षिणा दें।

    • भगवान शिव की आरती करें।

शिव को समर्पित प्रार्थना

"हे कृपानिधान, भूतनाथ शिव! आप मेरे प्राणों में बसते हैं। आपके गुण ही मेरे प्राण हैं। मेरा मन सदैव आपका ही चिंतन करता है। हे प्रभु! यदि मैंने कभी भूलवश अथवा जानबूझकर भक्तिपूर्वक आपका पूजन किया हो तो वह सफल हो जाए। मैं महापापी हूं, पतित हूं जबकि आप पतितपावन हैं। हे महेश्वर! कृपा कर मुझ पर प्रसन्न होइए और मेरी रक्षा कीजिए।"

पूजा का महत्व

हे मुनियो! इस प्रकार की गई भगवान शिव की पूजा भोग और मोक्ष प्रदान करने वाली तथा भक्तिभाव बढ़ाने वाली होती है। जो भी श्रद्धा और भक्ति से पार्थिव लिंग की पूजा करता है, उसे संपूर्ण मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

टिप्पणियाँ