रुद्राक्ष धारण करने का विधान और मंत्र | rudraaksh dhaaran karane ka vidhaan aur mantr

रुद्राक्ष धारण करने का विधान और मंत्र

रुद्राक्ष माहात्म्य

सूत जी कहते हैं

महाज्ञानी शिव स्वरूप शौनक! भगवान शंकर के प्रिय रुद्राक्ष का माहात्म्य मैं तुम्हें सुना रहा हूं। यह रुद्राक्ष परम पावन है। इसके दर्शन, स्पर्श एवं जप करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। इसकी महिमा स्वयं सदाशिव ने संपूर्ण लोकों के कल्याण के लिए देवी पार्वती को सुनाई है।

भगवान शिव बोले— हे देवी! तुम्हारे प्रेमवश भक्तों के हित की कामना से रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन कर रहा हूं। पूर्वकाल में मैंने मन को संयम में रखकर हजारों दिव्य वर्षों तक घोर तपस्या की। एक दिन अचानक मेरा मन क्षुब्ध हो उठा और मैंने अपने दोनों नेत्र खोल दिए। नेत्र खुलते ही मेरे नेत्रों से जल की झड़ी लग गई, जिससे गौड़ देश से लेकर मथुरा, अयोध्या, काशी, लंका, मलयाचल पर्वत आदि स्थानों में रुद्राक्षों के पेड़ उत्पन्न हो गए। तभी से इनका माहात्म्य बढ़ गया और वेदों में भी इनकी महिमा का वर्णन किया गया है। इसलिए रुद्राक्ष की माला समस्त पापों का नाश कर भक्ति-मुक्ति देने वाली है।

रुद्राक्ष धारण करने का विधान

ब्राह्मण, वैश्य, क्षत्रिय और शूद्र जातियों में जन्मे शिवभक्त सफेद, लाल, पीले या काले रुद्राक्ष धारण करें। मनुष्यों को जाति अनुसार ही रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

  • आंवले के फल के बराबर रुद्राक्ष को श्रेष्ठ माना जाता है।
  • बेर के फल के बराबर को मध्यम श्रेणी का और चने के आकार के रुद्राक्ष को निम्न श्रेणी का माना जाता है।
  • जो रुद्राक्ष आंवले के बराबर हैं, वह सभी अनिष्टों का विनाश करने वाला तथा सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला होता है।
  • चिकने, गोल, मजबूत, मोटे, कांटेदार रुद्राक्ष (उभरे हुए छोटे-छोटे दानों वाले) सब मनोरथ सिद्धि एवं भक्ति-मुक्ति दायक हैं।
  • कीड़ों द्वारा खाए गए, टूटे-फूटे, कांटों से युक्त तथा जो पूरा गोल न हो, इन पांच प्रकार के रुद्राक्षों का त्याग करें।
  • जिस रुद्राक्ष में अपने आप डोरा पिरोने के लिए छेद हो, वही उत्तम माना गया है।
  • जिसमें मनुष्य द्वारा छेद किया हो उसे मध्यम श्रेणी का माना जाता है।

रुद्राक्ष के प्रकार एवं उनका महत्व

मुख (मुखी)देवतालाभ
मुखशिवमोक्ष प्रदान करता है
मुखअर्धनारीश्वरशांति एवं समृद्धि देता है
मुखअग्निसाधना सिद्ध करता है
मुखब्रह्माज्ञान और विद्या देता है
मुखकालाग्निसमस्त कामनाएं पूर्ण करता है
मुखकार्तिकेयब्रह्महत्या दोष से मुक्ति देता है
मुखलक्ष्मीधन प्राप्ति कराता है
मुखभैरवलंबी आयु देता है
मुखदुर्गासभी वैभव प्रदान करता है
मुखविष्णुसमस्त मनोरथ पूर्ण करता है
मुखरुद्रसर्वत्र विजय देता है
मुखसूर्यअद्भुत तेज प्रदान करता है
मुखविश्वेदेवसौभाग्य और मंगल देता है
मुखशिवसमस्त पापों का नाश करता है

रुद्राक्ष धारण के मंत्र

रुद्राक्ष को धारण करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जप करना चाहिए:

  1. एक मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं नमः"

  2. दो मुखी रुद्राक्ष - "ॐ नमः"

  3. तीन मुखी रुद्राक्ष - "क्लीं नमः"

  4. चार मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं नमः"

  5. पांच मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं नमः"

  6. छः मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं हुं नमः"

  7. सात मुखी रुद्राक्ष - "ॐ हुं नमः"

  8. आठ मुखी रुद्राक्ष - "ॐ हुं नमः"

  9. नौ मुखी रुद्राक्ष - "ॐ हुं नमः"

  10. दस मुखी रुद्राक्ष - "ॐ हृ हुं नमः"

  11. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं हुं नमः"

  12. बारह मुखी रुद्राक्ष - "ॐ हुं नमः"

  13. तेरह मुखी रुद्राक्ष - "ॐ क्रीं क्षौरों नमः"

  14. चौदह मुखी रुद्राक्ष - "ॐ ह्रीं नमः"

रुद्राक्ष धारण के लाभ

  • रुद्राक्ष की माला धारण करने वाले व्यक्ति को देखकर भूत, प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी दूर भाग जाते हैं।
  • रुद्राक्ष धारण करने वाले को देखकर स्वयं भगवान शिव, विष्णु, देवी दुर्गा, गणेश, सूर्य तथा अन्य देवता प्रसन्न होते हैं।
  • मंत्रों द्वारा विधिवत् रुद्राक्ष धारण करने से समस्त पापों का नाश होता है।
  • जो मनुष्य इसे नित्य पढ़ते अथवा सुनते हैं, वे पुत्र-पौत्रादि के सुख भोगकर अंत में शिवरूप प्राप्त कर लेते हैं।

ॐ नमः शिवाय !

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