सूर्य वंश और चन्द्र वंश का वर्णन तथा इलाका वृत्तान्त | soory vansh aur chandr vansh ka varnan tatha ilaaka vrttaant

सूर्य वंश और चन्द्र वंश का वर्णन तथा इलाका वृत्तान्त

ऋषियों ने एक बार सूतजी से सूर्यवंश और चन्द्रवंश के इतिहास को सुनने की प्रार्थना की। वे चाहते थे कि सूतजी उन्हें इन दोनों वंशों की क्रमवार कहानी विस्तार से सुनाएँ।

सूर्यवंश की उत्पत्ति

सूतजी ने बताया कि महर्षि कश्यप के द्वारा अदिति को विवस्वान (सूर्य) के रूप में पुत्र प्राप्त हुआ। विवस्वान के तीन पत्नियाँ थीं - संज्ञा, राज्ञी और प्रभा। संज्ञा ने विवस्वान से वैवस्वत मनु, यम और यमुना को जन्म दिया। यम और यमुना जुड़वा भाई-बहन थे।

संज्ञा का रूप इतना तेजस्वी था कि वह इसे सहन नहीं कर सकी, और उसने अपनी छाया उत्पन्न की, जिसे 'छाया' नाम से जाना गया। छाया ने विवस्वान से एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम 'सावर्णि' रखा गया। इसके बाद छाया से शनि, तपती और विष्टि नामक संतानों का जन्म हुआ।

यम का शाप और तपस्या

यम ने छाया से उत्पन्न होने के कारण उसकी माता के रूप में अवहेलना महसूस की, और उन्होंने छाया को शाप दे दिया। छाया ने यम को शाप दिया कि उसके पैरों में कीड़े लगेंगे। यम ने इस शाप को सहन नहीं किया और महादेव से वरदान प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की। महादेव ने उन्हें लोकपालत्व, पितरों का आधिपत्य और धर्म-अधर्म के निर्णायक का पद दिया।

संज्ञा और सूर्य के संबंध

संज्ञा के शापित रूप को जानकर सूर्य देव ने एक दिन अपनी पत्नी को पहचान लिया और उसके साथ स्वर्ग लौट गए। यम और अन्य संतानों के साथ उनकी कथा यहाँ तक पहुंची।

इल का राजा बनना और स्त्री रूप में परिवर्तन

एक दिन, सूर्यवंश के प्रमुख राजा इल घोड़ा दौड़ाते हुए भगवान शिव के उपवन में पहुँचे, जहाँ उन्होंने एक विशेष शर्त के तहत प्रवेश किया। इससे उनका रूप स्त्री रूप में बदल गया और उन्हें इल से 'इला' नाम मिला। इला का रूप अत्यंत सुंदर था और वह मनुष्य रूप में जीवन जीने के बाद बुध से विवाह कर जीवन की नई दिशा में अग्रसर हुईं।

उपसंहार

इस कहानी से यह स्पष्ट होता है कि सूर्य और चंद्रवंश के इतिहास में न केवल महान संतानों का जन्म हुआ, बल्कि कई घटनाएँ और शाप भी थे जिन्होंने इन वंशों के भविष्य को आकार दिया। इन कथा-कहानियों में हमें आंतरिक संघर्ष, तपस्या, और परमात्मा की कृपा से मिले वरदानों का संदेश मिलता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करता है।

यह विस्तृत वृत्तान्त हमें उन महान ऋषियों और देवताओं के कार्यों और सिद्धांतों से अवगत कराता है जिन्होंने अपने तप से जीवन के मार्ग को स्पष्ट किया।

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