चैत्र नवरात्रि 2025: माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, मंत्र, भोग और चमत्कारी लाभ | Chaitra Navratri 2025: Maa Kushmanda, kee pooja vidhi, mantr, bhog aur chamatkaaree laabh
चैत्र नवरात्रि 2025: माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, मंत्र, भोग और चमत्कारी लाभ
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा की जाती है। यह दिन विशेष रूप से शक्ति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि, मंत्र, भोग और चमत्कारी लाभों के बारे में जानें।
पूजा विधि:
सुबह की शुरुआत:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। हो सके तो पीले वस्त्र धारण करें।
देवी को स्नान:
देवी की प्रतिमा को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल) से स्नान करवाएं।
दीपक और धूप:
शुद्ध घी का दीपक जलाएं और धूप जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।
तिलक और फूल:
देवी को लाल फूल, कुमकुम और पीले चंदन का तिलक लगाएं।
भोग अर्पण:
माँ कूष्माण्डा को फल, मिठाई, हलवा और दही का भोग लगाएं।
आरती और मंत्र जाप:
भक्तिभाव से देवी की आरती करें और मंत्रों का जाप करें।
मंत्र जाप:
मुख्य मंत्र:
"ऊँ कूष्माण्डायै नमः"
बीज मंत्र:
"ऐं ह्रीं देव्यै नमः"
ध्यान मंत्र:
"वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्। सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥"
भोग:
- विशेष भोग:
हलवा, मालपुआ, दही, सफेद मिठाई और कुम्हड़े (कद्दू) का भोग विशेष रूप से देवी को प्रिय है।
- अन्य भोग:
फल, मिठाई और दूध से बनी मिठाइयाँ अर्पित करें।
चमत्कारी लाभ:
- अंधकार का नाश:
माँ कूष्माण्डा अपने भक्तों के जीवन से अंधकार का नाश करती हैं और ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं।
- धन और स्वास्थ्य:
देवी की कृपा से धन और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा:
माँ की पूजा से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- सुख-समृद्धि:
देवी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
इस चैत्र नवरात्रि, माँ कूष्माण्डा की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करें और अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि को आमंत्रित करें।
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