नवरात्रि 2025: माँ कूष्माण्डा की साधना से पाएं अष्ट सिद्धियां और नव निधियां | Navratri 2025: Maa Kushmanda kee saadhana se paen asht siddhiyaan aur nav nidhiyaan
नवरात्रि 2025: माँ कूष्माण्डा की साधना से पाएं अष्ट सिद्धियां और नव निधियां
माँ कूष्माण्डा को अष्ट सिद्धियों (अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) और नव निधियों (पद्म, महापद्म, नील, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, शंख और खर्व) का वरदान प्राप्त है। यही दिव्य शक्तियां हनुमान जी को भी प्राप्त हैं, जैसा कि हनुमान चालीसा में कहा गया है:
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता।
माँ कूष्माण्डा की आराधना करने से साधक को यह सिद्धियां और निधियां प्राप्त हो सकती हैं, जिससे वह अपने जीवन में सफलता, समृद्धि और आत्मिक उन्नति पा सकता है।
अष्ट सिद्धियां और उनका महत्व
अणिमा: अपने शरीर को अणु के समान अत्यंत छोटा करने की क्षमता।
महिमा: शरीर को अत्यंत विशाल बनाने की क्षमता।
गरिमा: शरीर को अत्यंत भारी बना देने की शक्ति।
लघिमा: शरीर को अत्यंत हल्का कर लेने की क्षमता।
प्राप्ति: बिना किसी बाधा के कहीं भी जाने की शक्ति।
प्राकाम्य: अपनी इच्छाओं को तुरंत पूरा करने की क्षमता।
ईशित्व: सभी वस्तुओं और प्राणियों पर नियंत्रण की शक्ति।
वशित्व: हर प्राणी और वस्तु को अपने वश में करने की शक्ति।
नव निधियां और उनका महत्व
माँ कूष्माण्डा की कृपा से प्राप्त होने वाली नव निधियां जीवन में धन, ऐश्वर्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। ये नौ निधियां निम्नलिखित हैं:
पद्म निधि – समृद्धि और सौभाग्य का स्रोत।
महापद्म निधि – अपार संपत्ति और ऐश्वर्य का दाता।
नील निधि – आध्यात्मिक उन्नति और ज्ञान का प्रतीक।
मुकुंद निधि – जीवन में सुख-शांति और मोक्ष की प्राप्ति।
नंद निधि – आनंद और मानसिक शांति प्रदान करने वाली निधि।
मकर निधि – व्यापार और आर्थिक स्थिरता प्रदान करने वाली निधि।
कच्छप निधि – रक्षा और स्थिरता प्रदान करने वाली निधि।
शंख निधि – विजय और यश प्रदान करने वाली निधि।
खर्व निधि – स्वास्थ्य और दीर्घायु प्रदान करने वाली निधि।
माँ कूष्माण्डा की साधना से सिद्धियों और निधियों की प्राप्ति
माँ कूष्माण्डा की साधना नवरात्रि में विशेष रूप से फलदायी होती है। जो साधक श्रद्धा और नियमपूर्वक माँ कूष्माण्डा की पूजा करता है, वह इन अष्ट सिद्धियों और नव निधियों को प्राप्त कर सकता है। माँ कूष्माण्डा की कृपा से व्यक्ति को जीवन में समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और उसे अपार ऐश्वर्य, सुख-समृद्धि एवं आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
माँ कूष्माण्डा के प्रमुख मंत्र
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः - जीवन में उन्नति और समृद्धि हेतु।
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। - माँ के संपूर्ण स्वरूप की स्तुति।
सुरासम्पूर्णकलशं, रुधिराप्लुतमेव च। दधाना हस्तपद्माभ्यां, कूष्मांडा शुभदास्तु मे।। - माँ कूष्माण्डा की कृपा प्राप्ति हेतु।
निष्कर्ष
माँ कूष्माण्डा ब्रह्मांड की रचनाकार हैं और उनकी आराधना से साधक को अष्ट सिद्धियां एवं नव निधियां प्राप्त हो सकती हैं। हनुमान जी को भी यही शक्तियां प्राप्त थीं, जो उन्होंने अपने भक्तों के कल्याण के लिए उपयोग कीं। नवरात्रि 2025 में माँ कूष्माण्डा की साधना करके आप भी अपने जीवन को सुख, समृद्धि और सफलता से भर सकते हैं।
मंत्र जाप की विशेष विधि
नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन 108 बार बीज मंत्र या मुख्य मंत्र का जाप करें।
माँ कूष्माण्डा को गुड़ और नारियल का भोग अर्पित करें।
साधना के दौरान पूर्ण श्रद्धा और विश्वास बनाए रखें।
माँ कूष्माण्डा की साधना से होने वाले लाभ
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरण
- धन, ऐश्वर्य और सुख-समृद्धि की प्राप्ति
- रोगों और कष्टों से मुक्ति
- सभी प्रकार के नकारात्मक प्रभावों का नाश
- जीवन में स्थिरता और आत्मबल की वृद्धि
माँ कूष्माण्डा की कृपा प्राप्त करने के लिए इस नवरात्रि विशेष रूप से उनकी साधना करें और अपने जीवन को सुख, समृद्धि और सफलता से भरपूर बनाएं।
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