मां दुर्गा का अवतार: पौराणिक तथ्य | नवरात्र में कन्या-पूजन | कुमारी पूजन | दुर्गा पूजन | Maa durga ka avataar: pauraanik tathy | navaraatr mein kanya-poojan | kumaaree poojan | durga poojan
मां दुर्गा का अवतार: पौराणिक तथ्य
श्री दुर्गा की एक पौराणिक कथा के अनुसार, असुरों से पीड़ित देवताओं के उद्धार के लिए भगवान शंकर के तेज से माता का मुख प्रकट हुआ। यमराज के तेज से उनके सिर के बाल उत्पन्न हुए। श्री विष्णु भगवान के तेज से उनकी भुजाएँ बनीं, चंद्रमा के तेज से उनके दोनों स्तन, और इंद्र के तेज से कटिप्रदेश का निर्माण हुआ। देव वरुण के तेज से जंघा और पिंडली, पृथ्वी के तेज से नाभि भाग, ब्रह्मा के तेज से दोनों चरण, सूर्य के तेज से उंगलियाँ, देव वसु के तेज से हाथों की उंगलियाँ और कुबेर के तेज से नासिका प्रकट हुई। प्रजापति के तेज से दांत, तीनों नेत्र अग्नि के तेज से, भौहें संध्या के तेज से और कान वायु के तेज से उत्पन्न हुए। इस प्रकार, माता के अन्य अंग भी इसी प्रकार प्रकट हुए।
नवरात्र में कन्या-पूजन | कुमारी पूजन | दुर्गा पूजन
श्री दुर्गा पूजा वर्ष में दो बार चैत्र और अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जाती है। चैत्र मास के नवरात्र को 'वार्षिक नवरात्र' और अश्विन माह के नवरात्र को 'शारदीय नवरात्र' कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इन दिनों में कन्या या कुमारी पूजन किया जाता है।
एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तीन कन्याओं की पूजा करने से धर्म, अर्थ और काम की प्राप्ति होती है।
चार कन्याओं की पूजा करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है।
पांच कन्याओं की पूजा करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
छह कन्याओं की पूजा से छह प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
सात कन्याओं की पूजा से राज्य सुख की प्राप्ति होती है।
आठ कन्याओं की पूजा करने से धन-संपदा प्राप्त होती है।
नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी पर प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
कुमारी पूजन में दस वर्ष तक की कन्याओं का विधान है।
पूजन विधि
नवरात्रि के पावन अवसर पर अष्टमी और नवमी के दिन कुमारी कन्याओं का पूजन किया जाता है। यह पूजन विधि इस प्रकार है:
कन्या आमंत्रण: सामर्थ्य के अनुसार नौ दिनों तक या नवरात्रि के अंतिम दिन कन्याओं को भोजन के लिए आमंत्रित करें।
पाद प्रक्षालन: कन्याओं के पैर धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं।
मंत्रोच्चार: मंत्रों द्वारा कन्याओं का पंचोपचार पूजन करें।
तिलक एवं कलावा: कुंकुम तिलक करें और कलावा बांधें।
भोजन: हलवा, पूरी तथा अन्य पसंदीदा व्यंजन अर्पित करें।
आशीर्वाद: पूजन के उपरांत आशीर्वाद लें और यथासामर्थ्य भेंट एवं दक्षिणा देकर विदा करें।
कुमारी पूजन एवं उनके नाम
कुमारी (2 वर्ष की कन्या): दुःख-दरिद्रता दूर करने के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: कुमार्यै नम:
पूजन मंत्र: कुमारस्यच तत्त्वानिया सृजत्यपिलीलया। कादीनपिचदेवांस्तांकुमारींपूजयाम्यहम्॥
त्रिमूर्ति (3 वर्ष की कन्या): धर्म, अर्थ, काम की सिद्धि के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: त्रिमूर्त्यै नम:
पूजन मंत्र: सत्त्वादिभिस्त्रिमूर्तिर्यातैर्हिनानास्वरूपिणी। त्रिकालव्यापिनीशक्तिस्त्रिमूर्तिपूजयाम्यहम्॥
कल्याणी (4 वर्ष की कन्या): विद्या, विजय एवं समस्त कामनाओं की पूर्ति के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: कल्याण्यै नम:
पूजन मंत्र: कल्याणकारिणीनित्यंभक्तानांपूजितानिशम्। पूजयामिचतांभक्त्याकल्याणीम्सर्वकामदाम्॥
रोहिणी (5 वर्ष की कन्या): स्वास्थ्य लाभ और रोग निवारण के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: रोहिण्यै नम:
पूजन मंत्र: रोहयन्तीचबीजानिप्राग्जन्मसंचितानिवै। या देवी सर्वभूतानांरोहिणीम्पूजयाम्यहम्॥
कालिका (6 वर्ष की कन्या): शत्रु शमन एवं विजय के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: कालिकायै नम:
पूजन मंत्र: काली कालयतेसर्वब्रह्माण्डंसचराचरम्। कल्पान्तसमयेया तांकालिकाम्पूजयाम्यहम॥
चण्डिका (7 वर्ष की कन्या): धन-सम्पत्ति की प्राप्ति के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: चण्डिकायै नम:
पूजन मंत्र: चण्डिकांचण्डरूपांचचण्ड-मुण्डविनाशिनीम्। तांचण्डपापहरिणींचण्डिकांपूजयाम्यहम्॥
शाम्भवी (8 वर्ष की कन्या): निर्धनता नाश और वाद-विवाद में विजय के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: शाम्भव्यै नम:
पूजन मंत्र: अकारणात्समुत्पत्तिर्यन्मयै:परिकीर्तिता।यस्यास्तांसुखदांदेवींशाम्भवींपूजयाम्यहम्॥
दुर्गा (9 वर्ष की कन्या): संकट निवारण और कठिन कार्य सिद्धि के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: दुर्गायै नम:
पूजन मंत्र: दुर्गात्त्रायतिभक्तंया सदा दुर्गार्तिनाशिनी। दुज्र्ञेयासर्वदेवानांतांदुर्गापूजयाम्यहम्॥
सुभद्रा (10 वर्ष की कन्या): लोक-परलोक में सुख प्राप्ति के लिए पूजन किया जाता है।
नमस्कार मंत्र: सुभद्रायै नम:
पूजन मंत्र: सुभद्राणि चभक्तानांकुरुतेपूजितासदा। अभद्रनाशिनींदेवींसुभद्रांपूजयाम्यहम्॥
कन्या पूजन से माँ भगवती अत्यंत प्रसन्न होती हैं और भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
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