माँ कूष्माण्डा की पूजा से जीवन में लाएं सकारात्मकता और समृद्धि | Maa Kushmanda kee pooja se jeevan mein laen sakaaraatmakata aur samrddhi

माँ कूष्माण्डा की पूजा से जीवन में लाएं सकारात्मकता और समृद्धि

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की आराधना विशेष रूप से की जाती है। देवी दुर्गा के इस स्वरूप को ब्रह्मांड की सृष्टिकर्ता माना जाता है। इनकी उपासना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

माँ कूष्माण्डा का स्वरूप और महत्व

माँ कूष्माण्डा अष्टभुजा देवी के रूप में जानी जाती हैं। उनके आठ हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, अमृतकलश, चक्र, गदा, जप माला और कमल का फूल होता है। ये सिंह पर विराजमान रहती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।

ऐसा माना जाता है कि जब ब्रह्मांड का कोई अस्तित्व नहीं था, तब माँ कूष्माण्डा ने अपनी दिव्य मुस्कान से इस संसार की रचना की थी। इसलिए इन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है। इनकी उपासना से सभी कष्टों का निवारण होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि

नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। आइए जानते हैं पूजा की विधि:

  1. प्रातः स्नान और संकल्प:

    • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

    • माँ की पूजा करने का संकल्प लें।

  2. पूजा स्थल की तैयारी:
    • स्वच्छ स्थान पर चौकी रखें और माँ की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

    • चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर चावल रखें।

  3. कलश स्थापना और दीप प्रज्वलन:

    • जल से भरा कलश स्थापित करें और उसमें आम के पत्ते, सुपारी व सिक्का डालें।

    • दीप जलाएं और माँ का आह्वान करें।

  4. माँ कूष्माण्डा का पूजन:

    • गंगाजल से माँ को स्नान कराएं।

    • चंदन, कुमकुम, अक्षत, हल्दी, पुष्प अर्पित करें।

    • माँ को मालपुआ, पंचामृत या कद्दू (कुष्मांडा) से बने व्यंजन का भोग लगाएं।

    • धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।

  5. मंत्र जाप:

    • "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

    • ध्यान मंत्र: "वन्दे वंचित लाभाय चन्द्रार्धकृत शेखरम्। सिंहारूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डायश्च दारुणम्।।"

  6. आरती और क्षमा प्रार्थना:

    • माँ की आरती करें और पूरे परिवार के साथ उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

    • अंत में देवी से क्षमा याचना करें।

माँ कूष्माण्डा की उपासना के लाभ

  • रोगों से मुक्ति: इनकी पूजा करने से सभी रोगों और मानसिक परेशानियों का नाश होता है।

  • सुख-समृद्धि: माँ की कृपा से जीवन में धन, यश और सफलता प्राप्त होती है।

  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा: माँ कूष्माण्डा की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है।

  • मानसिक शांति: इनकी भक्ति से मन शांत और स्थिर रहता है।

निष्कर्ष

माँ कूष्माण्डा की पूजा से जीवन में अद्भुत सकारात्मक बदलाव आते हैं। उनकी आराधना करने से समस्त कष्ट दूर होते हैं और व्यक्ति सुख, समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर होता है। इस नवरात्रि, माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि का पालन करें और उनके दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को मंगलमय बनाएं।

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