माँ कूष्माण्डा की उपासना से हर संकट होगा दूर, जानें पूजा का सही तरीका | Maa Kushmanda kee upaasana se har sankat hoga door, jaanen pooja ka sahee tareeka
माँ कूष्माण्डा की उपासना से हर संकट होगा दूर, जानें पूजा का सही तरीका
माँ कूष्माण्डा का स्वरूप एवं महत्व माँ कूष्माण्डा नवरात्रि के चौथे दिन पूजी जाने वाली देवी हैं। उन्हें ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है, जिनकी मंद मुस्कान से संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति हुई। माँ कूष्माण्डा अष्टभुजा देवी के रूप में जानी जाती हैं, जिनके हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, अमृत कलश, चक्र, गदा, जपमाला और कमल का फूल रहता है। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और पराक्रम का प्रतीक है।
माँ कूष्माण्डा की उपासना करने से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह माना जाता है कि इनकी पूजा से मानसिक शांति प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं समाप्त होती हैं।
माँ कूष्माण्डा की पूजा विधि
प्रातः काल स्नान और संकल्प
ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
माँ कूष्माण्डा की पूजा का संकल्प लें और श्रद्धा भाव से व्रत रखें।
पूजा स्थल की तैयारी
एक साफ चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और माँ कूष्माण्डा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापना करें और उसमें जल, आम के पत्ते, सुपारी और सिक्का डालें।
पूजन सामग्री
लाल और पीले फूल
अक्षत (चावल)
रोली, कुमकुम, हल्दी
धूप, दीप और गंध
मालपुआ और कुम्हड़े (पेठा) का भोग
मंत्र जाप और हवन
माँ कूष्माण्डा के बीज मंत्र का जाप करें: "ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः"
दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और हवन में गाय के घी, गुड़ और कुम्हड़े का आहुति दें।
आरती और प्रसाद वितरण
माँ कूष्माण्डा की आरती करें और भक्तों को प्रसाद वितरित करें।
अंत में माँ से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु प्रार्थना करें।
माँ कूष्माण्डा की कृपा के लाभ
रोगों से मुक्ति और दीर्घायु प्राप्ति
सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति
समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति
भय और कष्टों से मुक्ति
नवरात्रि के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। उनकी कृपा से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और वे आत्मिक शुद्धि प्राप्त करते हैं।
टिप्पणियाँ