नवदुर्गा के नौ स्वरूप नवरात्रि: शक्ति उपासना का पर्व | Navdurga ke nau svaroop navaraatri: shakti upaasana ka parv

नवदुर्गा के नौ स्वरूप नवरात्रि: शक्ति उपासना का पर्व

नवरात्रि का अर्थ होता है, "नौ रातें"। हिन्दू धर्म में यह पर्व वर्ष में दो बार आता है - एक शरद माह की नवरात्रि और दूसरी बसंत माह की। इस पर्व के दौरान तीन प्रमुख हिंदू देवियों - पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ स्वरूपों की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। इन नौ स्वरूपों को नवदुर्गा कहा जाता है।

नवदुर्गा का महत्व और उनकी आराधना:

  1. प्रथम दुर्गा: श्री शैलपुत्री

    • पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन इनकी पूजा की जाती है।

  2. द्वितीय दुर्गा: श्री ब्रह्मचारिणी

    • ये घोर तपस्या करने वाली देवी हैं। भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए इन्होंने कठिन तप किया था।

  3. तृतीय दुर्गा: श्री चंद्रघंटा

    • इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण ये चंद्रघंटा कहलाती हैं। इनकी पूजा से साधक को अद्भुत सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

  4. चतुर्थ दुर्गा: श्री कुष्मांडा

    • ये अपने उदर से ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली देवी हैं। इनकी पूजा से भक्तों के सभी रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं।

  5. पंचम दुर्गा: श्री स्कंदमाता

    • भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता होने के कारण ये स्कंदमाता कहलाती हैं। इनकी आराधना से भक्तों को शांति और सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

  6. षष्ठम दुर्गा: श्री कात्यायनी

    • महर्षि कात्यायन की तपस्या के फलस्वरूप इनका जन्म हुआ था। इनकी पूजा से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है।

  7. सप्तम दुर्गा: श्री कालरात्रि

    • ये काल का नाश करने वाली देवी हैं। इनकी पूजा से साधकों को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

  8. अष्टम दुर्गा: श्री महागौरी

    • इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। इनकी उपासना से सभी कार्य सफल होते हैं।

  9. नवम दुर्गा: श्री सिद्धिदात्री

    • ये सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी हैं। नवमी के दिन इनकी आराधना से भक्तों को अपार सिद्धियां प्राप्त होती हैं।

दशहरा: बुराई पर अच्छाई की विजय

नवरात्रि के अंतिम दिन को रामनवमी कहा जाता है, और इसके अगले दिन विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। इस अवसर पर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

निष्कर्ष:

नवरात्रि शक्ति, भक्ति और साधना का पर्व है। यह हमें आत्मबल, नारी शक्ति और धैर्य का संदेश देता है। इस पावन अवसर पर माता रानी की कृपा सभी भक्तों पर बनी रहे।

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