नवरात्रि का महत्व एवं मनाने का कारण | Navratri ka mahatv evan manaane ka kaaran

नवरात्रि का महत्व एवं मनाने का कारण

नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व शारदीय और वासंती दो प्रकार की होती है। नवरात्रि का अर्थ होता है 'नौ रातें', जिनमें शक्ति की उपासना विशेष रूप से की जाती है।

नवरात्रि का धार्मिक महत्व

नवरात्रि काल में रात्रि का विशेष महत्व होता है। यह पर्व प्रतिपदा से नवमी तक, निश्चित नौ तिथियों, नौ नक्षत्रों और नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सबसे पहले श्रीरामचंद्रजी ने समुद्र तट पर इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ किया और दशमी को लंका विजय प्राप्त कर असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक दशहरा मनाया जाने लगा।

नवरात्रि में पूजन विधि

नवरात्रि के दौरान माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिन्हें 'नवदुर्गा' के नाम से जाना जाता है।

  • नवरात्रि में रात्रि जागरण एवं हवन का विशेष महत्व होता है।

  • कन्या पूजन का विशेष स्थान है, जिसमें कन्याओं को भोजन एवं उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।

नवरात्रि व्रत विधि

नवरात्रि में भक्त श्रद्धा एवं नियमों के अनुसार व्रत रखते हैं। इस व्रत में:

  • प्रातः स्नान के बाद देवी दुर्गा का ध्यान और पूजा करें।

  • यदि दिनभर उपवास कठिन हो, तो एक समय फलाहार कर सकते हैं।

  • विशेष रूप से कन्याओं के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायक होता है।

गुप्त नवरात्रि का महत्व

हिन्दू धर्म में एक वर्ष में चार नवरात्रियाँ होती हैं:

  1. चैत्र नवरात्रि (वसंत ऋतु में)

  2. आषाढ़ नवरात्रि (गुप्त नवरात्रि)

  3. अश्विन नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि)

  4. माघ नवरात्रि (गुप्त नवरात्रि)

गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से गुप्त साधनाओं एवं सिद्धियों की प्राप्ति के लिए मनाई जाती है। साधक इन दिनों विशेष अनुष्ठान और साधना करके चमत्कारिक शक्तियाँ प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

कलश स्थापना एवं पूजन

  • नवरात्रि के प्रारंभ में कलश स्थापना की जाती है।

  • कलश में जल भरकर उस पर आम के पत्ते एवं नारियल रखा जाता है।

  • इसके साथ ज्वारे (गेहूं/जौ) बोए जाते हैं, जो जीवन में समृद्धि और उन्नति के प्रतीक होते हैं।

कन्या पूजन का महत्व

नवरात्रि के आठवें दिन (अष्टमी) महागौरी देवी की पूजा की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का विधान होता है, जिसमें 5, 7, 9 या 11 कन्याओं को भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है। कन्या पूजन से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

निष्कर्ष

नवरात्रि केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और शक्ति उपासना का एक दिव्य अवसर है। इस दौरान जो भी पुण्य कार्य किए जाते हैं, उनका अनंतगुना फल प्राप्त होता है। नवरात्रि व्रत एवं पूजन से व्यक्ति को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है

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