नवरात्रों में माता की पूजा और नवग्रह शांति विधि | Navratri mein maata kee pooja aur navagrah shaanti vidhi
नवरात्रों में माता की पूजा और नवग्रह शांति विधि
नवरात्रों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा
नवरात्रों के नौ दिनों में माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रों के दौरान मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान श्रीराम और हनुमान जी की अराधना भी अत्यंत फलदायी मानी गई है। सुंदरकांड, रामचरितमानस और अखंड रामायण का पाठ करने से साधक को विशेष लाभ प्राप्त होता है, शत्रु बाधा दूर होती है और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। नवरात्रों में विधिपूर्वक मां भगवती का पूजन करने से कार्य सिद्ध होते हैं और चित्त को शांति मिलती है।
नवरात्रों में माता की पूजा विधि और समापन
नवरात्रों में मां भगवती के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इन स्वरूपों को शक्ति का प्रतीक माना गया है। नौ दिनों में क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री देवी की पूजा की जाती है।
प्रतिपदा तिथि में पूजा प्रारंभ करना
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को माता की पूजा प्रारंभ की जाती है। इसके लिए मां भगवती की प्रतिमा के सामने रेत से भरा पात्र रखा जाता है, जिसमें जौ बोए जाते हैं। एक ओर जल से भरा कलश स्थापित किया जाता है, जिस पर कच्चा नारियल रखा जाता है। कलश स्थापना के बाद अखंड ज्योति जलाई जाती है, जो पूरे नवरात्रि के दौरान जलती रहनी चाहिए।
पूजा में सबसे पहले भगवान श्री गणेश, फिर वरुण देव, विष्णु जी, शिव, सूर्य, चंद्र और नवग्रहों की पूजा की जाती है। इसके पश्चात देवी मां की आराधना की जाती है।
नवरात्रि के दौरान पाठ करने का महत्व
नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की उपासना के लिए दुर्गा सप्तशती और देवी महात्म्य का पाठ करना अति शुभ माना जाता है। मां दुर्गा को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे ज्ञान, क्रिया, बल, महिषासुरमर्दिनी, चंड-मुंड विनाशिनी, परमेश्वरी आदि। इन मंत्रों का जाप विशेष फलदायी होता है:
या देवी सर्व भूतेषु बुद्धि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
नवग्रह शांति पूजा विधि
नवरात्रि के दौरान नवग्रहों की शांति के लिए प्रतिदिन विशेष पूजा की जाती है:
प्रतिपदा: मंगल ग्रह
द्वितीया: राहु ग्रह
तृतीया: बृहस्पति ग्रह
चतुर्थी: शनि ग्रह
पंचमी: बुध ग्रह
षष्ठी: केतु ग्रह
सप्तमी: शुक्र ग्रह
अष्टमी: सूर्य ग्रह
नवमी: चंद्र ग्रह
इस पूजा के लिए पहले कलश स्थापना और माता की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद लाल वस्त्र पर एक यंत्र बनाकर उसमें नौ ग्रहों के प्रतीक अंकित किए जाते हैं। प्रत्येक ग्रह के लिए निम्न मंत्र का जाप किया जाता है:
सूर्य बीज मंत्र: "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
चंद्र बीज मंत्र: "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः"
मंगल बीज मंत्र: "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः"
बुध बीज मंत्र: "ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौ सः बुधाय नमः"
गुरु बीज मंत्र: "ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः"
शुक्र बीज मंत्र: "ॐ द्रां द्रीं द्रौ सः शुक्राय नमः"
शनि बीज मंत्र: "ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
राहु बीज मंत्र: "ॐ भ्रां भ्रीं भौं सः राहवे नमः"
केतु बीज मंत्र: "ॐ स्त्रां स्त्रीं स्त्रौं सः केतवे नमः"
नवरात्रों में ध्यान देने योग्य बातें
एक ही घर में तीन शक्तियों की पूजा नहीं करनी चाहिए।
माता को कनेर और सुगंधित फूल अर्पित करें।
कलश स्थापना दिन में ही करें।
माता की प्रतिमा को लाल वस्त्र से सजाएँ।
साधना करने वाले को लाल वस्त्र पहनकर पूजा करनी चाहिए।
नवरात्रि के उपवास में क्या न करें?
मांस और मदिरा का सेवन वर्जित है।
बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
केवल सात्विक भोजन ग्रहण करें।
नवरात्रि के अष्टमी या नवमी के दिन 10 वर्ष से कम उम्र की नौ कन्याओं और एक बालक (भैरव) को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
नवरात्रि के समापन की विधि
नवमी तिथि को कन्या पूजन करें और हवन कराएं।
जौ के पौधों को जल में विसर्जित करें।
कलश के जल का पूरे घर में छिड़काव करें।
नारियल को माता के प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
नवरात्रों में मां भगवती की पूजा, नवग्रह शांति और संकल्प साधना से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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