नवरात्र में नौ दिन या नौ रात को गिना जाना चाहिए | Navratri mein nau din ya nau raat ko gina jaana chaahie
नवरात्र में नौ दिन या नौ रात को गिना जाना चाहिए ?
नवरात्र में नौ दिन या नौ रात गिने जाने को लेकर प्रायः भ्रम बना रहता है। नवरात्र का शाब्दिक अर्थ होता है ‘नौ रातों का समूह’। यह पर्व अमावस्या की रात से अष्टमी तक या प्रतिपदा से नवमी की दोपहर तक चलता है।
रातों की गिनती करने का कारण यह है कि शरीर को नौ द्वारों वाला माना गया है और इसके भीतर निवास करने वाली जीवनी शक्ति का नाम ही दुर्गा देवी है। इन नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नौ दिन तक मनाया जाता है। यह शुद्धि प्रक्रिया शरीर, मन और आत्मा के स्तर पर होती है, जिससे व्यक्ति में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहता है।
नवरात्रि और आत्मशुद्धि
नवरात्रि व्रत के दौरान सात्त्विक आहार, नियमबद्ध दिनचर्या और भक्ति के माध्यम से शरीर एवं मन की पूर्ण शुद्धि की जाती है। यह पर्व हर छह माह में आता है, जिससे शरीर की संपूर्ण सफाई हो सके और व्यक्ति स्वस्थ जीवन जी सके। सात्त्विक आहार, मन की शुद्धि और उत्तम विचारों से उत्तम कर्म की प्रेरणा मिलती है, जिससे चरित्र और आत्मा का उत्थान होता है।
नवरात्रि के दो प्रमुख रूप
हिंदू धर्म में वर्ष में चार बार नवरात्रि आती है, जिनमें से चैत्र और आश्विन नवरात्रि का विशेष महत्व है।
चैत्र नवरात्रि - विक्रम संवत की शुरुआत चैत्र नवरात्रि से होती है।
शारदीय नवरात्रि - देवी भक्ति का प्रमुख पर्व शारदीय नवरात्रि होता है।
इन दोनों नवरात्रियों में विशेष ऊर्जा प्रवाहित होती है, जिसका लाभ भक्तजन शक्ति उपासना के रूप में उठाते हैं। इन नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूप
प्रत्येक दिन एक देवी के स्वरूप की पूजा की जाती है:
शैलपुत्री - पर्वतराज हिमालय की पुत्री।
ब्रह्मचारिणी - तपस्या की प्रतीक।
चंद्रघंटा - आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति की दाता।
कूष्मांडा - ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली।
स्कंदमाता - भगवान कार्तिकेय की माता।
कात्यायनी - महर्षि कात्यायन की पुत्री।
कालरात्रि - सभी भय और नकारात्मकता को नष्ट करने वाली।
महागौरी - शांति और शुद्धि की देवी।
सिद्धिदात्री - सभी सिद्धियों की दाता।
नवरात्रि का समापन और विजयदशमी
नवमी के दिन नवरात्रि समाप्त होती है, जिसे रामनवमी भी कहा जाता है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाकर असत्य पर सत्य की जीत का संदेश दिया जाता है।
नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि काल में रात्रि का विशेष महत्व होता है। यह पर्व शक्ति उपासना का महोत्सव है, जिसमें श्रीरामचंद्रजी द्वारा समुद्र तट पर पहली बार शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ किया गया था। इसके उपरांत उन्होंने दशमी को लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की, जिससे विजयदशमी की परंपरा शुरू हुई।
इस प्रकार, नवरात्रि केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि, आत्मसंयम और आध्यात्मिक जागरण का पर्व भी है।
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