पहले दिन की देवी माँ शैलपुत्री का रहस्य और महत्व | Pahale din kee devi Maa Shailputri ka rahasy aur mahatv
पहले दिन की देवी माँ शैलपुत्री का रहस्य और महत्व
हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का पहला दिन (Navratri First Day) यानी कि प्रतिपदा विशेष महत्व रखता है। इस दिन भक्त मां नवदुर्गा (Maa Nav Durga) के प्रथम स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय और मैना देवी की पुत्री हैं। इन्हें पूर्व जन्म में सती के नाम से भी जाना जाता था।
माँ शैलपुत्री की उपासना का महत्व
माँ शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि नवरात्रि में माँ के दर्शन और पूजन से अद्भुत फल प्राप्त होता है। साथ ही साधक को जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इस दिन कई लोग घर में कलश स्थापित कर व्रत रखते हैं, जिससे सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
माँ शैलपुत्री व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ शैलपुत्री का दूसरा नाम सती भी है। एक बार प्रजापति दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया, लेकिन भगवान शिव को निमंत्रण नहीं भेजा। सती को उम्मीद थी कि उनके पिता उन्हें आमंत्रित करेंगे, परंतु जब ऐसा नहीं हुआ, तो वे अत्यंत दुखी हो गईं।
उन्होंने भगवान शिव से अपने पिता के यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, लेकिन शिवजी ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया। बार-बार अनुरोध करने पर उन्होंने अनुमति दे दी। जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंचीं तो वहां उनका बहुत अपमान हुआ। उनके पिता दक्ष सहित सभी उपस्थित लोगों ने उनका तिरस्कार किया। इस अपमान को सहन न कर पाने के कारण सती ने यज्ञ अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए।
भगवान शिव इस घटना से अत्यंत क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने गणों के साथ दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया। बाद में सती ने पर्वतराज हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और शैलपुत्री के नाम से प्रसिद्ध हुईं। कहा जाता है कि माँ शैलपुत्री काशी (वाराणसी) में वास करती हैं।
माँ शैलपुत्री के मंत्र
माँ शैलपुत्री की कृपा पाने के लिए भक्तगण निम्नलिखित मंत्रों का जाप करते हैं:
ऊँ शं शैलपुत्री देव्यै नमः।
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्। वृषारूढ़ा शूलधरां यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ शैलपुत्री की आराधना का फल
माँ शैलपुत्री की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति, आत्मबल, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। उनकी पूजा से चंद्र दोष का निवारण होता है, जिससे मानसिक तनाव दूर होता है और जीवन में स्थिरता आती है। भक्तों का विश्वास है कि माँ शैलपुत्री का आशीर्वाद उन्हें आध्यात्मिक उन्नति, सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
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