प्रति सोमवार व्रत कितने करने चाहिए?
भगवान शिव की कृपा पाने के लिए 16 सोमवार का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह व्रत सावन के पहले सोमवार से शुरू किया जाता है और 17वें सोमवार को इसका उद्यापन किया जाता है। यदि सावन मास में सोमवार न हों, तो चैत्र, वैशाख, कार्तिक, और मार्गशीर्ष के महीने में भी यह व्रत किया जा सकता है।
16 सोमवार व्रत करने की विधि:
संकल्प लेना:
सावन के पहले सोमवार को स्नान करके भगवान शिव के सामने व्रत का संकल्प लें।
संकल्प लेने के लिए हाथ में पान का पत्ता, सुपारी, जल, अक्षत, और एक सिक्का लेकर शिव जी के मंत्र का उच्चारण करें।
सभी पूजन सामग्री भगवान शिव को समर्पित करें।
पूजन विधि:
भगवान शिव को भांग, बेलपत्र, जल, धूप, दीप, गंगाजल, धतूरा, इत्र, सफ़ेद चंदन, रोली, अष्टगंध, सफ़ेद वस्त्र, और नैवेद्य अर्पित करें।
पूरे दिन व्रत रखते हुए शिव जी की आराधना करें।
उद्यापन विधि (17वें सोमवार को):
16 जोड़ों (16 स्त्री-पुरुषों) को भोजन कराएं और उन्हें दक्षिणा दें।
यदि 16 जोड़ों को भोजन कराना संभव न हो, तो 16 कन्याओं को भी भोजन कराया जा सकता है।
16 सोमवार व्रत के लाभ:
इस व्रत को करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
कुंवारी कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है।
दांपत्य जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
आर्थिक परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
निष्कर्ष: 16 सोमवार व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक अचूक उपाय है। इस व्रत को विधि पूर्वक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
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