आषाढ़ गुप्त नवरात्र जप, साधना और सिद्धि के नौ दिन / Ashadh Gupta Navratri Nine Days of Chanting, Sadhana and Siddhi

 आषाढ़ गुप्त नवरात्र जप, साधना और सिद्धि के नौ दिन

आज से आषाढ़ गुप्त नवरात्र शुरू हैं इन दिनों गुप्त स्थान पर गुप्त जप करने का विधान कहा जाता है। तंत्र मार्ग और शाक्त सम्प्रदाय के लोग इस समय आंतरिक ऊर्जा की प्राप्ति व मंत्रों की सिद्धि के लिए, विशेषकर जप आदि करते हैं, दस महाविद्या के मंत्र जप के साधन के ये एक उत्तम समय है। जिस भी शक्ति का साधन कारण चाहें,चित्र की जगह माता के यंत्र का प्रयोग करें।

सकाम साधकों के लिए दुर्गासप्तशती का पाठ निर्विवाद रूप से सर्वश्रेष्ठ है अथवा आप इसमें से अपनी समस्या या मनोकामना को सिद्ध करने वाला कोई एक मंत्र/श्लोक ले लें। 


अगर कार्य मे बार बार बाधाएं आ रही हैं तो

 सर्वाबाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि। 
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्दैरिविनाशनम्।।

हे सर्वेश्वरी – तीनों लोकों की माता! जब आप प्रसन्न होते हैं, तो आप सभी बाधाओं और परेशानियों को दूर करते हैं, और आपके आशीर्वाद से सभी (आंतरिक-बाहरी) शत्रु नष्ट हो जाते हैं।

शत्रु नष्ट

ॐ सर्व-बाधा विनिर्-मुक्तो, 
धन धान्यः सुतां-वितः।
मानुष्यो मत-प्रसादेन 
भविष्यति न संशयः ।।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो आपको प्रणाम करता है उसका भविष्य सभी बाधाओं से मुक्त होगा और धन, भोजन, और संतान।

रोगनाश के लिए मंत्र-

◆रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा 
तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां 
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥

अर्थ :- देवि! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर सभी अभीष्ट कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।

लड़को के शीघ्र विवाह के लिए मंत्र-

◆पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्। 
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥ 

अर्थ- हे देवी, मुझे मन की इच्छा के अनुसार चलने वाली मनोहर पत्‍‌नी प्रदान करो, जो दुर्गम संसार सागर से तारने वाली तथा उत्तम कुल में उत्पन्न हुई हो।

इसके अलावा आप हनुमान चालीसा का यथाशक्ति नौ दिन पाठ करें, प्रतिदिन सुन्दरकाण्ड, बाहुक आदि का पाठ करें।
कलश स्थापना,अखंड दीपक आदि सम्भव नही हैं तो नित्य पूजा के समय सरसों तेल का दीपक लगाएं।
जपकाल- रात्रि
आसन - लाल अथवा जप पर निर्भर पर ऊनी आसान लें।
माला- जप पर निर्भर (रुद्राक्ष, स्फटिक, कमलगट्टे, हल्दी आदि)
जप का समय निश्चित रखें रोज़ समय न बदलें। कुछ भी कठिन न करें, वो जो आसानी से उपलब्ध है उसके साथ पूर्ण भावना और शुद्धता पूर्वक नियमानुसार जप करें। कम बोलें अच्छा और मधुर बोलें, सुपाच्य और केवल एक समय भोजन करें, फल आदि लेते रहें, पानी पीते रहें।

याद रखें दूसरे को अच्छा बुरा बोलने/कोसने म् आप अपने पुण्यों/मंत्रजप से प्राप्त ऊर्जा का क्षय करते हैं इसलिए साधना काल मे मौन रहने का निर्देश दिया जाता है।

 आषाढ़ गुप्त नवरात्र जप,

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि, हिन्दू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने में आती है और नौ दिन तक चलती है। इस नवरात्रि के दौरान भगवान शिव और माता दुर्गा की पूजा की जाती है। इसे "गुप्त नवरात्रि" क्योंकि यह बिना बड़े उल्लास और शोर-शराबे के नवरात्रि के मुख्यत: अवधारणा में आता है, इसका अर्थ होता है।

इस पर्व के दौरान शिव और शक्ति की पूजा का विशेष महत्व होता है, और भक्त उनके जप, पूजा, और आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना भी की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री शामिल हैं।

आप आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान इन देवियों की पूजा के साथ-साथ शिव और दुर्गा मंत्रों का जप कर सकते हैं। यहां एक उदाहरण है:

1. **शिव मंत्र:**
   "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ नमः शिवाया" - यह मंत्र भगवान शिव की पूजा और आराधना में जपा जाता है।

2. **दुर्गा मंत्र:**
   "ॐ दुं दुर्गायै नमः" - यह मंत्र मां दुर्गा की पूजा और आराधना में जपा जाता है।

इसके अलावा, आप अपने श्रद्धा और आस्था के अनुसार अन्य मंत्रों और धार्मिक अभियानों का भी अनुसरण कर सकते हैं जो आपके आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के आयोजन में शामिल हो सकते हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्र साधना

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान साधना करने से आप आध्यात्मिक उन्नति और आनंद प्राप्त कर सकते हैं। यह साधना मां दुर्गा और भगवान शिव की कृपा को प्राप्त करने, अपने आत्मा को पवित्रता और ऊर्जा से भरने, और आध्यात्मिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए की जाती है। यहां कुछ सामान्य आदर्श आचरण के उपाय दिए गए हैं: 1. **मंत्र जप:** आप मां दुर्गा और भगवान शिव के मंत्रों का जप कर सकते हैं। यह मंत्र साधना की गहराईयों में आपको ले जाते हैं और आपकी मानसिक और आत्मिक शक्तियों को जागरूक कर सकते हैं। 2. **ध्यान और प्राणायाम:** आप ध्यान और प्राणायाम के अभ्यास से अपने मन को शांत और नियंत्रित कर सकते हैं। यह आपकी साधना को गहराईयों में ले जाने में मदद कर सकता है। 3. **पूजा और आराधना:** मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा और आराधना करने से आप उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं और आत्मा को उनके प्रति भक्ति और समर्पण में ले जा सकते हैं। 4. **व्रत और उपवास:** आप आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान व्रत और उपवास कर सकते हैं। यह आपकी आत्मा को शुद्धि और पवित्रता की ओर ले जाता है। 5. **सेवा:** आप इस समय में दान और सेवा करने का प्रयास कर सकते हैं, जैसे कि गरीबों की मदद करना, भूखे को खिलाना आदि। 6. **साधना में मनोनिग्रह:** साधना के दौरान मन को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है। ध्यान देने का प्रयास करें कि आपका मन शांत रहे और साधना में विशेष ध्यान दे सकें। आपकी साधना का मुख्य उद्देश्य आत्मा की उन्नति और आत्मानुभूति होनी चाहिए। ध्यान और सजगता के साथ साधना करने से आप आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के आयोजन में आध्यात्मिक उपलब्धि प्राप्त कर सकते हैं।

आषाढ़ गुप्त नवरात्र सिद्धि के नौ दिन

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों का सदुपयोग करके आप सिद्धियाँ प्राप्त करने और आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में अग्रसर हो सकते हैं। नौ दिनों के दौरान आपको मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और आराधना के साथ-साथ ध्यान, मंत्र जप, और साधना का भी पालन करना चाहिए। यहां आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों की सिद्धि के लिए एक आदर्श अनुसरण योजना दी गई है:

**पहला दिन (शैलपुत्री):** आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत में मां शैलपुत्री की पूजा करें। उन्हें नौवीं दिन भगवान शिव की आराधना करके समाप्त करें।

**दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी):** दूसरे दिन ध्यान करते हुए दुर्गा मां की पूजा करें और आपकी साधना को महत्वपूर्ण उपायों से विशेष रूप से प्रारंभ करें।

**तीसरा दिन (चंद्रघंटा):** तीसरे दिन चंद्रघंटा माता की पूजा करें और मन्त्र जप के साथ-साथ अपने आदर्श सिद्धि के प्रति प्रतिबद्ध रहें।

**चौथा दिन (कूष्मांडा):** चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा करें और अपने अंतर्यामी भावना को बढ़ावा दें।

**पांचवा दिन (स्कंदमाता):** पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा करें और आत्मा की ऊर्जा को बढ़ाने के उपाय अपनाएं।

**छठा दिन (कात्यायनी):** छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करते हुए ध्यान का अभ्यास करें और आत्मा को शुद्धि और प्रकाश से भरें।

**सातवा दिन (कालरात्रि):** सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा करें और निरंतर ध्यान के साथ साधना का अभ्यास जारी रखें।

**आठवां दिन (महागौरी):** आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करते समय साधना में पूरी निष्ठा और समर्पण बनाए रखें।

**नौवां दिन (सिद्धिदात्री):** नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करें और आपकी साधना के फल के लिए आभार प्रकट करें।

यह सिद्धि की प्राप्ति के लिए एक साधना योजना है। आपकी आध्यात्मिक अभियान की सफलता के लिए आपके मननशील और निष्ठापूर्ण प्रयास की आवश्यकता होती है।

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