व्रत त्योहार

 हिंदू व्रत और त्योहार /Hindu fasts and festivals / hindoo vrat aur tyohaar,


व्रत-त्योहार जनवरी का महीना 2024 

4 जनवरी 2024==गुरुवार==कालाष्टमी 

 जानिए 04 जनवरी 2024 को मासिक कालाष्टमी के बारे में -

कालाष्टमी भगवान शिव को समर्पित है। यह प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। 

कालाष्टमी के दिन पूजा करते समय कुछ मंत्रों का जाप किया जाता

मासिक कालाष्टमी क्या  है  मासिक कालाष्टमी महत्व और व्रत अनुष्ठान कालाष्टमी  की कथा -मासिक कालाष्टमी, हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाने वाला एक त्योहार है

कालाष्टमी के बारे में कुछ रोचक तथ्य महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार: कालाष्टमी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण एक त्योहार है जो भगवान शिव और माँ काली को समर्पित है।

शिव का त्योहार: कालाष्टमी कालाष्टमी पूजा विधि कालाष्टमी व्रत कथा -बहुत पुराने समय की बात है, एक गांव में एक गरीब व्यक्ति था जिसका नाम सुधामा था। वह बहुत ईमानदार और भगवान शिव के भक्त थे


फरवरी में कालाष्टमी व्रत 
माघ, कृष्ण अष्टमी शक्रवार ,03 फरवरी 2024 

कालाष्टमी व्रत मार्च में
फाल्गुन, कृष्ण अष्टमी रविवार, 04 मार्च 2024 

कालाष्टमी व्रत अप्रैल में
चैत्र, कृष्ण अष्टमी रविवार, 04 अप्रैल 2024 

कालाष्टमी व्रत मई में
वैशाख, कृष्ण अष्टमी बुधवार, 2 मई 2024
ज्येष्ठ, कृष्ण अष्टमी  गुरुवार, 31 मई 2024

कालाष्टमी व्रत जून में
आषाढ़, कृष्ण अष्टमी शुक्रवार, 29 जून 2024

कालाष्टमी व्रत जुलाई में
श्रावण, कृष्ण अष्टमी शनिवार, 28 जुलाई 2024

कालाष्टमी व्रत अगस्त में
भाद्रपद, कृष्ण अष्टमी सोमवार, 27 अगस्त 2024

कालाष्टमी व्रत सितंबर में
अश्विन, कृष्ण अष्टमी मंगलवार, 25 सितंबर 2024

कालाष्टमी व्रत अक्टूबर में
कार्तिक, कृष्ण अष्टमी गुरुवार, 25 अक्टूबर 2024

कालाष्टमी व्रत नवंबर में
मार्गशीर्ष, कृष्ण अष्टमी ( कालभैरव जयंती )शुक्रवार, 23 नवंबर 2024

कालाष्टमी व्रत दिसंबर में
पौष, कृष्ण अष्टमी रविवार, 23 दिसंबर 2024 


7 जनवरी 2024==रविवार==सफला एकादशी

सफला एकादशी का व्रत पूजा विधि 7 जनवरी 2024 को सफला एकादशी का मंत्रोंसंकल्प: व्रत की शुरुआत में संकल्प लें, जिसमें आप यह स्पष्ट करें कि आप सफला एकादशी का व्रत क्यों रख रहे हैं और भगवान विष्णु की पूजा कर रहे हैं।

सफला एकादशी का शुभ मुहूर्त  पूजा से फायदा प्राप्त सफला एकादशी हिन्दू पंचांग में महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है। यह एकादशी तिथि के दिन मनाई जाती है और इसे कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आयोजित किया जाता है

भगवान विष्णु को अर्पित  सफला एकादशी पूजा महत्व सफला एकादशी कथा सफला एकादशी पूजा में भगवान विष्णु को अर्पित किया जाता है। इस पूजा को विशेष ध्यान और श्रद्धा के साथ की जाती है।

 21 जनवरी 2024, रविवार -पौष पुत्रदा एकादशी, शुक्ल पक्ष

6 फरवरी 2024, मंगलवार- षटतिला एकादशी, कृष्ण पक्ष  

20 फरवरी 2024, मंगलवार-जया एकादशी, शुक्ल पक्ष

6 मार्च 2024, बुधवार- विजया एकादशी, कृष्ण पक्ष 

20 मार्च 2024, बुधवार-आमलकी एकादशी, शुक्ल पक्ष

5 अप्रैल 2024, शुक्रवार -पापमोचिनी एकादशी, कृष्ण पक्ष 

19 अप्रैल 2024, शुक्रवार -कामदा एकादशी, शुक्ल पक्ष: 

 4 मई 2024, शनिवार -बरूथिनी एकादशी, कृष्ण पक्ष  

19 मई 2024, रविवार -मोहिनी एकादशी, शुक्ल पक्ष

2 जून 2024, रविवार अपरा एकादशी, कृष्ण पक्ष 

18 जून 2024, मंगलवार निर्जला एकादशी, शुक्ल पक्ष

2 जुलाई 2024, मंगलवार -योगिनी एकादशी, कृष्ण पक्ष 

17 जुलाई 2024, बुधवार-देवशयनी एकादशी, शुक्ल पक्ष 

31 जुलाई 2024, बुधवार -कामिका एकादशी, कृष्ण पक्ष

 16 अगस्त 2024, शुक्रवार-सावन पुत्रदा एकादशी, शुक्ल पक्ष  

29 अगस्त 2024, गुरुवार -अजा एकादशी, कृष्ण पक्ष

14 सितंबर 2024, शनिवार-परिवर्तिनी एकादशी, शुक्ल पक्ष 

28 सितंबर 2024 शनिवार-इंदिरा एकादशी, कृष्ण पक्ष: 

13 अक्टूबर 2024  रविवार-पापांकुशा एकादशी, शुक्ल पक्ष 

28 अक्टूबर 2024,सोमवार -रमा एकादशी, कृष्ण पक्ष

12 नवंबर 2024, रविवार -देवउठनी एकादशी, शुक्ल पक्ष 

26 नवंबर 2024, मंगलवार -उत्पन्ना एकादशी, कृष्ण पक्ष

11 दिसंबर 2024, बुधवार -मोक्षदा एकादशी, शुक्ल पक्ष

  9 जनवरी 2024==मंगलवार==प्रदोष व्रत, मासिक शिवरात्रि

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार प्रदोष व्रत कथा ,मंत्र -कथा कहती है कि एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण थे जिनका नाम सुदामा था। सुदामा ने अपने परिवार के साथ शिव मंदिर में शिवलिंग की

ॐ नमः शिवाय" (Om Namah Shivaya): यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है 

प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के लाभ और  रोचक तथ्य  महत्व  प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि के पूजन से अनेक लाभ होते हैं। यह व्रत और पूजन भगवान शिव की प्राप्ति, आशीर्वाद, और अच्छे स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इन पूजाओं के लाभ में से कुछ हैं:

जानिए प्रदोष व्रत मासिक शिवरात्रि के बारे में 9 जनवरी 2024  प्रदोष व्रत कौन कौन रह सकता , प्रदोष व्रत के दिन कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए:- प्रदोष व्रत को कोई भी शिव भक्त और भगवान शिव की पूजा करने वाला रख सकता है। यह व्रत सामान्यतः शिव भक्तों द्वारा ध्यान, पूजा, और आराधना के लिए रखा जाता है, और इसमें कोई विशेष शर्त नहीं होती।

जनवरी 2024 में प्रदोष व्रत
9 जनवरी 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
23 जनवरी 2024-प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

फरवरी 2024 में प्रदोष व्रत
7 फरवरी 2024- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
21 फरवरी 2024-प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

मार्च 2024 में प्रदोष व्रत
8 मार्च 2024-प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
22 मार्च 2024-प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

अप्रैल 2024 में प्रदोष व्रत
6 अप्रैल 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
21 अप्रैल 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

मई 2024 में प्रदोष व्रत
5 मई 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
20 मई 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

जून 2024 में प्रदोष व्रत
4 जून 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
19 जून 2024- प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

जुलाई 2024 में प्रदोष व्रत
3 जुलाई 2024- प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
18 जुलाई 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)

अगस्त 2024 में प्रदोष व्रत
1 अगस्त 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
17 अगस्त 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
31 अगस्त 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

सितंबर 2024 में प्रदोष व्रत
15 सितंबर 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
29 सितंबर 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

अक्टूबर 2024 में प्रदोष व्रत
15 अक्टूबर 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
29 अक्टूबर 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

नवंबर 2024 में प्रदोष व्रत
13 नवंबर 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
28 नवंबर 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

दिसंबर 2024 में प्रदोष व्रत
13 दिसंबर 2024 - प्रदोष व्रत (शुक्ल पक्ष)
28 दिसंबर 2024 - प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)

11 जनवरी 2024==गुरुवार==पौष अमावस्या

पौष अमावस्या पर पूजा का महत्व धार्मिक दृष्टि से बहुत उच्च माना जाता है। इस दिन पितृदोष निवारण और पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करने के लिए विशेष पूजा की जाती है।
यहां कुछ काम पौष अमावस्या  के दिन नहीं करते हैं  पौष अमावस्या को कुछ विशेष कार्यों का अत्यंत आवश्यक रूप से अचरण किया जाता है ताकि पितृदोष निवारण और पूर्वजों की शांति को सम्मानित किया जा सके। यहां कुछ काम हैं जो लोग पौष अमावस्या के दिन नहीं करते हैं:

11 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को 
पौष अमावस्या

09 फरवरी 2024 दिन शुक्रवार को 
माघ अमावस्या

10 मार्च 2024 दिन रविवार को 
फाल्गुन अमावस्या

08 अप्रैल 2024 दिन सोमवार को 
चैत्र अमावस्या

08 मई 2024 दिन बुधवार को 
वैशाख अमावस्या

06 जून 2024 दिन गुरुवार को 
ज्येष्ठ अमावस्या

05 जुलाई 2024 दिन शुक्रवार को 
आषाढ़ अमावस्या

04 अगस्त 2024 दिन रविवार को 
श्रावण अमावस्या

02 सितंबर 2024 दिन सोमवार को 
भाद्रपद अमावस्या

02 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को 
अश्विन अमावस्या

01 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को दिवाली, 
कार्तिक अमावस्या

01 दिसंबर 2024 दिन रविवार को 
मार्गशीर्ष अमावस्या

 30 दिसंबर 2024 दिन सोमवार को 
पौष अमावस्या

13 जनवरी 2024==शनिवार==पंचक शुरू

पंचक पूजा 13 जनवरी 2024 सम्पूर्ण जानकारी शनिवार को 13 जनवरी 2024 को पंचक शुरू होता है। पंचक वेदिक ज्योतिष में एक विशेष समयावधि होती है जिसमें कुछ कार्यों को न करने की सिफारिश की जाती है। यहां कुछ कार्य हैं जो व्यक्ति इस समय में टाल सकते हैं:
पंचक पूजा के कई लाभ पंचक पूजा विधि पंचक पूजा का महत्व पंचक पूजा का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत अधिक होता है। इस समय में कुछ विशेष सिफारिशें और मान्यताएं होती हैं जो इसे अनूठा बनाती हैं:

जनवरी 2024 पंचक आरम्भ 
शनिवार (13 जनवरी 2024) रात 11:35 बजे
पंचक समाप्त :
गुरुवार (18 जनवरी 2024) प्रातः 03:33 बजे

फ़रवरी 2024 पंचक आरम्भ 
शनिवार (10 फरवरी 2024) सुबह 10:02 बजे
पंचक समाप्त :
रविवार (14 फरवरी 2024) सुबह 10:43 बजे

मार्च 2024 पंचक आरम्भ 
शुक्रवार (8 मार्च 2024) रात्रि 09:20 बजे
पंचक समाप्त :
मंगलवार (12 मार्च 2024) रात्रि 08:29 बजे

अप्रैल 2024 पंचक आरम्भ 
शुक्रवार (5 अप्रैल 2024) प्रातः 07:12 बजे
पंचक समाप्त :
मंगलवार (9 अप्रैल 2024) प्रातः 07:32 बजे

मई 2024पंचक आरम्भ 
गुरुवार (2 मई 2024) दोपहर 02:32 बजे
पंचक समाप्त :
सोमवार (6 मई 2024) शाम 05:43 बजे

मई 2024 पंचक आरम्भ 
रविवार (29 मई 2024) रात्रि 08:06 बजे
पंचक समाप्त :
सोमवार (3 जून 2024) प्रातः 01:40 बजे

जून 2024 पंचक आरम्भ 
रविवार (26 जून 2024) प्रातः 01:49 बजे
पंचक समाप्त :
रविवार (30 जून 2024) प्रातः 07:34 बजे

जुलाई 2024 पंचक आरम्भ 
मंगलवार (23 जुलाई 2024) सुबह 09:20 बजे
पंचक समाप्त :
शनिवार (27 जुलाई 2024) दोपहर 01:00 बजे

अगस्त 2024 पंचक आरम्भ 
सोमवार (19 अगस्त 2024) शाम 07:00 बजे
पंचक समाप्त :
शुक्रवार (23 अगस्त 2024) शाम 07:54 बजे

सितंबर 2024 पंचक आरम्भ 
सोमवार (16 सितंबर 2024) सुबह 05:44 बजे
पंचक समाप्त :
शुक्रवार (20 सितंबर 2024) सुबह 05:15 बजे

अक्टूबर 2024 पंचक आरम्भ 
रविवार (13 अक्टूबर 2024) दोपहर 03:44 बजे
पंचक समाप्त :
गुरुवार (17 अक्टूबर 2024) शाम 04:20 बजे

नवंबर 2024 पंचक आरम्भ 
शनिवार (9 नवंबर 2024) रात 11:27 बजे
पंचक समाप्त :
गुरुवार (14 नवंबर 2024) सुबह 03:11 बजे

दिसंबर 2024 पंचक आरम्भ 
शनिवार (7 दिसंबर 2024) सुबह 05:07 बजे
पंचक समाप्त :
बुधवार (11 दिसंबर 2024) सुबह 11:48 बजे


14 जनवरी 2024==रविवार==विनायक चतुर्थी

जानिए 2024 के सभी माह की शुक्ल चतुर्थी तिथि -

विनायक चतुर्थी का महत्त्व विनायक चतुर्थी हिंदू धर्म में गणेश जी को समर्पित एक महत्वपूर्ण त्योहार है। इसे भारत और भारतीय संस्कृति में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 

शुभ मुहूर्तविनायक चतुर्थी के व्रत का मुहूर्त तथा पूजा का समय तारीख और समय के अनुसार निर्धारित किया जाता है। आपके दिए गए तारीखों के अनुसार, जनवरी 14, 2024, को सुबह 11 बजकर

विनायक चतुर्थी  जनवरी   14 जनवरी 2024, (रविवार)
पौष, शुक्ल चतुर्दशी 

 विनायक चतुर्थी  फरवरी   13 फरवरी 2024, मंगलवार
 माघ, शुक्ल चतुर्थी 

 विनायक चतुर्थी मार्च    13 मार्च 2024, बुधवार
फाल्गुन, शुक्ल चतुर्थी

 विनायक चतुर्थी अप्रैल    12 अप्रैल, शुक्रवार
चैत्र, शुक्ल चतुर्थी

विनायक चतुर्थी मई 11 मई 2024, शनिवार
 वैशाख, शुक्ल चतुर्थी

विनायक चतुर्थी जून  10 जून 2024, सोमवार
ज्येष्ठ, शुक्ल चतुर्थी 

विनायक चतुर्थी जुलाई  9 जुलाई, मंगलवार
आषाढ़, शुक्ल चतुर्थी

विनायक चतुर्थी अगस्त  8 अगस्त 2024, बृहस्पतिवार
श्रावण, शुक्ल चतुर्थी

विनायक चतुर्थी सितंबर  7 सितंबर 2024, शनिवार 
भाद्रपद, शुक्ल चतुर्थी 

विनायक चतुर्थी अक्टूबर  6 अक्टूबर 2024, रविवार  
आश्विन, शुक्ल चतुर्थी

विनायक चतुर्थी नवंबर  5 नवंबर 2024, मंगलवार
कार्तिक, शुक्ल चतुर्थी 

विनायक चतुर्थी दिसंबर  5 दिसंबर 2024, बृहस्पतिवार 
मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्थी

15 जनवरी 2024==सोमवार==मकर संक्रांति, पोंगल, उत्तरायण

2024 जानिए 15 जनवरी सोमवार मकर संक्रांति , पोंगल,  के बारे में   15 जनवरी 2024 को सोमवार को ही मकर संक्रांति मनाई जाएगी। यह एक हिंदू त्योहार है जो उत्तरायण सूर्य की गति के प्रमुख बदलाव का प्रतीक है। इस दिन को पूरे भारत में खुशी और उत्साह के साथ मनाया जाता है। 
मकर संक्रांति और पोंगल के  पूजा से कई लाभ  मकर संक्रांति और पोंगल के त्योहारों के पूजन से कई लाभ होते हैं, जो मानव जीवन को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करते हैं।

17 जनवरी 2024==बुधवार==गुरु गोविंद सिंह जयंती

गुरु गोविंद सिंह जयंती निबंध महत्त्वपूर्ण तथ्य - गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती भारतीय कैलेंडर में 17 जनवरी को मनाई जाती है। यह एक महत्वपूर्ण पर्व है जिसे उनके जीवन और उनके स्वतंत्रता संग्राम में उनके महान योगदान की याद में मनाया जाता है।
गुरु गोविंद सिंह जी की जयंती का महत्त्व- गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की, सिख समुदाय को संगठित किया, और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया।

18 जनवरी 2024==गुरुवार==मासिक दुर्गाष्टमी

मासिक दुर्गा अष्टमी  मासिक दुर्गा अष्टमी एक विशेष दिन है जब देवी दुर्गा की पूजा की जाती है, और इसे मासिक (मास) दुर्गा अष्टमी कहा जाता है। इस अष्टमी को मासिक नवरात्रि के दौरान मनाया जाता है
दुर्गा अष्टमी कथा:-कहानी एक सुखद गाँव की है, जहां एक विशेष रूप से भक्तिभावना रखने वाला शक्ति पूजक रहता था जिसका नाम धनुष था। धनुष ने अपने गाँव में दुर्गा पूजा को बड़े श्रद्धा भाव से मनाने का आयोजन किया।

दुर्गा अष्टमीप्रार्थना ध्यान विशेषताएँ आराधना के लाभ दुर्गा अष्टमी प्रार्थना- यह प्रार्थना माता महागौरी की प्रशंसा और आराधना के लिए है। इस प्रार्थना के माध्यम से भक्त माता के शक्तिशाली और शुद्ध स्वरूप की प्रशंसा करता है।
दुर्गा अष्टमीध्यान यह ध्यान दुर्गा अष्टमी के अवसर पर माँ महागौरी की आराधना और समर्पण के लिए है। इस ध्यान में दुर्गा माता के सुंदर और महाशक्तिशाली स्वरूप की महिमा का वर्णन है।

स्तुति माता महागौरी  यह स्तुति माता महागौरी को समर्पित है और उसकी महिमा और शक्ति की प्रशंसा करती है। यह स्तुति माता दुर्गा के आठवें स्वरूप, महागौरी, की महत्वपूर्णता को बयान करती है।



18 जनवरी 2024, गुरुवार पौष, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 10:06:57 अपराह्न, 17 जनवरी
समाप्त – 08:44:57 अपराह्न, 18 जनवरी
16 फ़रवरी 2024, शुक्रवार माघ, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 08:55:00 पूर्वाह्न, 16 फरवरी
समाप्त – 08:16:21 पूर्वाह्न, 17 फरवरी
17 मार्च 2024, रविवार फाल्गुन, शुक्ल अष्टमी
प्रारंभ – 09:39:00 अपराह्न, 16 मार्च
समाप्त – 09:53:25 अपराह्न, 17 मार्च
16 अप्रैल 2024, मंगलवार चैत्र, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 12:12:07 अपराह्न, 15 अप्रैल
समाप्त – 01:24:35 अपराह्न, 16 अप्रैल
15 मई 2024 बुधवार वैशाख, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 04:19:42 पूर्वाह्न, 15 मई
समाप्त – 06:23:21 पूर्वाह्न, 16 मई
14 जून 2024, शुक्रवार ज्येष्ठ, शुक्ल अष्टमी
प्रारंभ – 09:33:40 अपराह्न, 13 जून
समाप्त – 12:04:10 पूर्वाह्न, 15 जून
14 जुलाई 2024, रविवार आषाढ़, शुक्ल अष्टमी
प्रारंभ – 03:05:41 अपराह्न, 13 जुलाई
समाप्त – 05:26:02 अपराह्न, 14 जुलाई
12 अगस्त 2024, सोमवार श्रावण, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 07:55:23 पूर्वाह्न, 12 अगस्त
समाप्त – 09:31:26 पूर्वाह्न, 13 अगस्त
11 सितम्बर 2024, बुधवार भाद्रपद, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 11:12:07 अपराह्न, 10 सितंबर
समाप्त – 11:46:45 अपराह्न, 11 सितंबर
11 अक्टूबर 2024, शुक्रवार आश्विन, शुक्ल अष्टमी
प्रारंभ – 12:32:02 अपराह्न, 10 अक्टूबर
समाप्त – 12:06:59 अपराह्न, 11 अक्टूबर
09 नवंबर 2024, शनिवार कार्तिका, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 11:56:46 अपराह्न, 8 नवंबर
समाप्त - रात्रि 10:45:30 बजे, नवंबर 91
08 दिसम्बर 2024, रविवारमार्गशीर्ष, शुक्ल अष्टमी
आरंभ – 09:44:42 पूर्वाह्न, 8 दिसंबर
समाप्त – 08:03:05 पूर्वाह्न, 9 दिसंबर

21 जनवरी 2024==रविवार==पौष पुत्रदा एकादशी

शुभ मुहूर्त पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 20 जनवरी है और संध्याकाल 07:26 प्रारंभ होकर अगले दिन 21 जनवरी को संध्याकाल में

पुत्रदा एकादशी व्रत पूजा विधि .लाभ ,फल , शुभ योग, निर्जला व्रत.पौष पुत्रदा एकादशी व्रत को आचरण करते समय निम्नलिखित पूजा विधि का पालन किया जा सकता है। यह एक साधारित पूजा विधि है

22 जनवरी 2024==सोमवार==कूर्म द्वादशी

 कूर्म द्वादशी -कूर्म द्वादशी, हिन्दू पंचांग के अनुसार हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को आता है, 

जनवरी में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी 08 जनवरी, 12:46 पूर्वाह्न - 08 जनवरी, 11:59 अपराह्न
शुक्ल पक्ष द्वादशी ( कूर्म द्वादशी व्रत ) 21 जनवरी, शाम 7:27 बजे - 22 जनवरी, शाम 7:52 बजे

फरवरी में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी 06 फरवरी, 4:07 अपराह्न - 07 फरवरी, 2:02 अपराह्न
शुक्ल पक्ष द्वादशी 20 फरवरी, सुबह 9:56 बजे से 21 फरवरी, सुबह 11:28 बजे तक

मार्च में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी मार्च 07, 4:14 पूर्वाह्न - मार्च 08, 1:20 पूर्वाह्न
शुक्ल पक्ष द्वादशी ( गोविंद द्वादशी ) 21 मार्च, 2:23 पूर्वाह्न - 22 मार्च, 4:44 पूर्वाह्न

अप्रैल में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी 05 अप्रैल, दोपहर 1:29 बजे - 06 अप्रैल, सुबह 10:19 बजे तक
शुक्ल पक्ष द्वादशी 19 अप्रैल, 8:05 अपराह्न - 20 अप्रैल, 10:42 अपराह्न

मई में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी 04 मई, 8:39 अपराह्न - 05 मई, 5:42 अपराह्न
शुक्ल पक्ष द्वादशी 19 मई, दोपहर 1:50 बजे - 20 मई, दोपहर 3:59 बजे

जून में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी जून 03, 2:41 पूर्वाह्न - जून 04, 12:18 पूर्वाह्न
शुक्ल पक्ष द्वादशी ( राम लक्ष्मण द्वादशी ) 18 जून, प्रातः 6:25 - 19 जून, प्रातः 7:28

जुलाई में द्वादशी तिथि
कृष्ण पक्ष द्वादशी जुलाई 02, प्रातः 8:42 - जुलाई 03, प्रातः 7:10
शुक्ल पक्ष द्वादशी 17 जुलाई, रात 9:03 बजे - 18 जुलाई, रात 8:44 बजे
कृष्ण पक्ष द्वादशी 31 जुलाई, 3:56 अपराह्न - 01 अगस्त, 3:29 अपराह्न

अगस्त में द्वादशी तिथि
शुक्ल पक्ष द्वादशी 16 अगस्त, सुबह 9:40 - 17 अगस्त, सुबह 8:06
कृष्ण पक्ष द्वादशी 30 अगस्त, 1:38 पूर्वाह्न - 31 अगस्त, 2:25 पूर्वाह्न

सितंबर में द्वादशी तिथि
शुक्ल पक्ष द्वादशी 14 सितंबर, 8:41 अपराह्न - 15 सितंबर, 6:12 अपराह्न
कृष्ण पक्ष द्वादशी 28 सितंबर, 2:50 अपराह्न - 29 सितंबर, 4:48 अपराह्न

अक्टूबर में द्वादशी तिथि
शुक्ल पक्ष द्वादशी14 अक्टूबर, प्रातः 6:41 - 15 अक्टूबर, प्रातः 3:42
कृष्ण पक्ष द्वादशी ( गोवत्स द्वादशी , गुरु द्वादशी ) 28 अक्टूबर, सुबह 7:51 - 29 अक्टूबर, सुबह 10:32 बजे

नवंबर में द्वादशी तिथि
शुक्ल पक्ष द्वादशी 12 नवंबर, 4:05 अपराह्न - 13 नवंबर, 1:01 अपराह्न
कृष्ण पक्ष द्वादशी  27 नवंबर, 3:48 पूर्वाह्न - 28 नवंबर, 6:24 पूर्वाह्न

दिसंबर में द्वादशी तिथि
शुक्ल पक्ष द्वादशी 12 दिसंबर, 1:09 पूर्वाह्न - 12 दिसंबर, 10:26 अपराह्न
कृष्ण पक्ष द्वादशी 27 दिसंबर, 12:44 पूर्वाह्न - 28 दिसंबर, 2:27 पूर्वाह्न

23 जनवरी 2024==मंगलवार==प्रदोष व्रत

2024 प्रदोष व्रत, प्रदोषम का आचरण पूजा विधि प्रदोष व्रत का आचरण स्थान आधारित होता है और इसे प्रतिमा व्रत भी कहा जाता है, जो कि श्रावण मास के कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को आचरण किया जाता है। 

क्या है प्रदोष व्रत  और उनसे मिलने वाले लाभ,महत्व,कथा प्रदोष व्रत एक हिन्दू धार्मिक परंपरागत व्रत है जो भगवान शिव को समर्पित है। इस व्रत को प्रदोष के दिन, यानी हिन्दी पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि को आचरण किया जाता है। 

25 जनवरी 2024==गुरुवार==पौष पूर्णिमा व्रत, गुरु पुष्य योग 

जानिए 25 जनवरी 2024 पौष पूर्णिमा व्रत, गुरु पुष्य योग ,शुभ मुहूर्त   पौष पूर्णिमा व्रत भारतीय हिन्दू पर्व और व्रतों में से एक है, जो पौष मास के पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और भक्तगण इस दिन विशेष रूप से उनकी कृपा को प्राप्त करने के लिए व्रत करते हैं।

25 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को 
पौष पूर्णिमा व्रत
24 फरवरी 2024 दिन शनिवार को 
माघ पूर्णिमा व्रत
25 मार्च 2024 दिन सोमवार को 
फाल्गुन पूर्णिमा व्रत
23 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को 
चैत्र पूर्णिमा व्रत
23 मई 2024 दिन गुरुवार को 
वैशाख पूर्णिमा व्रत
22 जून 2024 दिन शनिवार को 
ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
21 जुलाई 2024 दिन रविवार को 
आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
19 अगस्त 2024 दिन सोमवार को 
श्रावण पूर्णिमा व्रत
18 सितंबर 2024 दिन बुधवार को 
भाद्रपद पूर्णिमा व्
17 अक्टूबर 2024 दिन गुरुवार को 
अश्विन पूर्णिमा व्रत
15 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को 
कार्तिक पूर्णिमा व्रत
15 दिसंबर 2024 दिन रविवार को 
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत

26 जनवरी 2024==शुक्रवार==माघ माघ शुरू

माघ महीना  हिन्दी पंचांग में होने वाले एक महीने का नाम है, जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ मास कहलाता है। 

29 जनवरी 2024==सोमवार==सकट चौथ, लंबोदर सकंष्टी चतुर्थी

संकष्टी चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस व्रत का आयोजन चतुर्थी तिथि को किया जाता है, जो हर माह की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को आती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा विशेष भाव से की जाती है 

29 जनवरी 2024 (सोमवार) 
लंबोदर संकष्टी चतुर्थी
28 फरवरी 2024 (बुधवार) 
द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी
29 मार्च 2024 (शुक्रवार) 
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी
27 अप्रैल 2024 (शनिवार)
 विकट संकष्टी चतुर्थी
26 मई 2024 (रविवार) 
एकदंत संकष्टी चतुर्थी
25 जून 2024 (मंगलवार) 
कृष्णापिंगला संकष्टी चतुर्थी
24 जुलाई 2024 ( बुधवार)  
गजानन संकष्टी चतुर्थी
22 अगस्त 2024 (गुरुवार) 
हेरम्बा संकष्टी चतुर्थी
21 सितंबर 2024 (शनिवार) 
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी
20 अक्टूबर 2024 (रविवार) 
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी
19 नवंबर 2024 (मंगलवार) 
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी
18 दिसंबर 2024 (बुधवार) 
अखुरठा संकष्टी चतुर्थी


 


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