शिव पुराण विद्येश्वर संहिता संपूर्ण
इस पुराण में २४,००० श्लोक है तथा इसके 7 भाग (संहिताएं) हैं ! जो क्रमश: इस प्रकार हैं-
- विद्येश्वर संहिता (Vidyeshwara Samhita)
- रुद्र संहिता (Rudra Samhita)
- शतरुद्र संहिता (Shatarudra Samhita)
- कोटिरुद्र संहिता (Kotirudra Samhita)
- उमा संहिता (Uma Samhita)
- कैलाश संहिता (Kailash Samhita)
- वायवीय संहिता (Vayviy Sanhita)
इनमें से रुद्र संहिता के पांच खंड हैं तथा वायवीय संहिता के दो खंड।
शिव पुराण माहात्म्य
पहला अध्याय
दूसरा अध्याय
तीसरा अध्याय
चौथा अध्याय
पांचवा अध्याय
छठा अध्याय
सातवा अध्याय
शिव पुराण विद्येश्वर संहिता [ PDF ]
पहला अध्याय
दूसरा अध्याय
तीसरा अध्याय
चौथा अध्याय
पांचवा अध्याय
छठा अध्याय
सातवां अध्याय
नवा अध्याय
बारहवां अध्याय
चौदहवां अध्याय
पंद्रहवां अध्याय
सोलहवां अध्याय
सत्रहवां अध्याय
अठारहवां अध्याय
उन्नीसवां अध्याय
तेईसवां अध्याय
चौबीसवां अध्याय
पच्चीसवां अध्याय
॥ विद्येश्वर संहिता संपूर्ण ॥ ॥ ॐ नमः शिवाय ॥
श्रीरुद्र संहिता प्रथम खंड
पहला अध्याय
चौथा अध्याय
सृष्टि की उत्पत्ति दक्ष और प्रसूति से चौबीस कन्या का विवाह धर्म से कर दिया
पांचवा अध्याय
फल प्राप्त ,पुष्पों द्वारा शिवजी की पूजा के माहात्म्यछठा अध्याय
सृष्टि एवं उससे संबंधित वर्णनसातवां अध्याय
नारद जी का ब्रह्माजी से प्रश्न, भगवान शिव के संपूर्ण वृत्तांतआठवां अध्याय
परमब्रह्म ब्रह्माजी द्वारा शिवतत्व का वर्णननवा अध्याय
ब्रह्मा-विष्णु के मध्य विवादग्रस्त सर्वदा सब लोकों में पूजनीय और मान्य होगे
तेरहवां अध्याय
शिव पुराण में शिव पूजन की सर्वोत्तम विधिचौदहवां अध्याय
देवी उमा एवं भगवान शिव का प्राकट्य एवं उपदेश देना विष्णु, ब्रह्मा और रुद्र तीनों एकरूप
पंद्रहवां अध्याय
स्वर्गलोक उत्पन्न ब्रह्मा-विष्णु को भगवान शिव के दर्शनसोलहवां अध्याय
ऋषि-मुनियों की तपस्या का नाश करने वाले कामदेव को भस्म ,सत्रहवां अध्याय
उन्नीसवां अध्याय
बीसवां अध्याय
श्रीरुद्र संकेत-लिपि द्वितीय खंड
- सदाशिव योगी विवाह करके गृहस्थ कैसे हो गए जानिए
- सती के चरित्र में
- शिव-सती का पवित्र चरित्र
- कामदेव को ब्रह्माजी द्वारा शाप देना
- काम को शिव बाण से भस्म
- कामदेव और रति का विवाह सोल्लास संपन्न
- संध्या का चरित्र चंद्रभागा नदी का आरंभ
- संध्या की तपस्या भगवान शिव बहुत प्रसन्न
- पवित्र देवी संध्या का चरित्र
- शिवजी को मोहने में काम की हार
- भगवान शिव पर कामदेव का कोई प्रभाव नहीं
- ब्रह्मा का शिव विवाह हेतु प्रयत्न
- शिव पुराण में ब्रह्मा-विष्णु संवाद
- ब्रह्माजी की काली देवी से प्रार्थना
- प्रजापति दक्ष ने तपस्या करके
- देवी से कौन-सा वरदान प्राप्त किया
- प्रजापति दक्ष मानसिक सृष्टि की रचना
- देवी उमा भगवान शिव की भक्ति में ही लीन,
- दक्ष की साठ कन्याओं का विवाह
- देवी सती की भक्ति यात्रा
- भगवान शिव का तपस्या और देवी सती के साथ
- उनके विवाह की उत्कृष्ट घटना
- सती को शिव से वर की प्राप्ति
- भगवान शिव और देवी सती के
- विवाह की सुंदर रूपरेखा को वर्णित
- ब्रह्मा और विष्णु द्वारा शिव की महिमा की स्तुति
- भगवान शिव और देवी सती के विवाह का पूरा विवरण
- भगवान शिव और देवी सती का विवाह
- के पश्चात जीवन कैसा व्यतीत हुआ जानिए
- भगवान शिव और देवी सती के पर्वत गमन का वर्णन
- शिव द्वारा ज्ञान और मोक्ष का वर्णन
- शिव की आज्ञा से सती द्वारा श्रीराम की परीक्षा
- शिव-विष्णु समर्थन और समर्पण,
- श्रीराम का सती के संदेह को दूर करना
- दक्ष का भगवान शिव को शाप देना
- दक्ष द्वारा महान यज्ञ का आयोजन
- देवी सती का दक्ष के यज्ञ में आना
- दक्ष के यज्ञशाला में सती का अपमान
- सती द्वारा योगाग्नि से शरीर को भस्म करना
- दक्ष के उस महान यज्ञ आकाशवाणी
- शिवजी का क्रोध
- महाबली वीरभद्र प्रकट , महाकाली उत्पन्न
- दक्ष के यज्ञ का विनाश दक्ष
- दक्ष और देवताएं भयभीत होकर
- विष्णु जी से जीवन की रक्षा की प्रार्थना
- वीरभद्र अपनी अजय सेना के साथ
- यज्ञ मण्डप में आ पहुंचा।
- श्रीहरि और वीरभद्र का युद्ध
- दक्ष के सिर को वीरभद्र ने अग्निकुंड में डाल
- दधीचि क्षुव विवाद
- श्रीहरि विष्णु और दधीचि मुनि के बीच हुए विवाद का वर्णन
- श्रीहरिअन्य देवता एवं ऋषि-मुनि आदि कैलाश
- पर्वत की ओर चल शिव से क्षमा याचना
- भगवान शिव और दक्ष के बीच हुए घटनाक्रम
- शिव द्वारा दक्ष को जीवित करना
- दक्ष ने भगवान शिव की अनेकों बार स्तुति , यज्ञ को पूर्ण करना
श्रीरुद्र संहिता तृतीय खंड
- हिमालय विवाह
- पूर्व कथ
- देवताओं का हिमालय के पास जाना
- देवी जगदंबा के दिव्य स्वरूप का दर्शन
- मैना हिमालय का तप व वरदान प्राप्ति
- पार्वती जन्म
- पार्वती का नामकरण
- मैना और हिमालय की बातचीत
- पार्वती
- भीम-जन्म
- भगवान शिव की गंगावतरण तीर्थ में तपस्या
- पार्वती को सेवा में रखने के लिए हिमालय का शिव को मनाना
- पार्वती शिव का दार्शनिक संवाद
- चांग का जन्म एवं पुत्र प्राप्ति का वर मांगना
- तारकासुर का जन्म व उसका तप
- तारक का स्वर्ग त्याग
- कामदेव का शिव को मोहने के लिए प्रस्थान
- कामदेव का भरम होना
- शिव क्रोधाग्नि की शांति
- शिवजी के विछोह से पार्वती का शोक
- पार्वती की तपस्या
- देवताओं का शिवजी के पास जाना
- शिव से विवाह करने का अनुरोध
- सप्तऋषियों द्वारा पार्वती की परीक्षा
- शिवजी द्वारा पार्वती जी की तपस्या की परीक्षा करना
- पार्वती को शिवजी से दूर रहने का आदेश
- पार्वती जी का क्रोध से ब्राह्मण को फटकारना
- शिव-पार्वती संवाद
- शिवजी द्वारा हिमालय से पार्वती को मांगना
- बाह्मण वेष में पार्वती के घर जाना
- सप्तऋषियों का आगमन और हिमालय को समझाना
- वशिष्ठ मुनि का उपदेश
- अनरण्य राजा की कथा
- पद्मा पिप्पलाद की कथा
- हिमालय का शिवजी के साथ पार्वती के विवाह का निश्चय करना
- सप्तऋषियों का शिव के पास आगमन
- हिमालय का लग्न पत्रिका भेजना
- विश्वकर्मा द्वारा दिव्य मंडप की रचना
- शिवजी का देवताओं को निमंत्रण
- भगवान शिव की बारात का हिमालयपुरी की ओर प्रस्थान
- मंडप वर्णन व देवताओं का भय
- बारात की अगवानी और अभिनंदन
- शिवजी की अनुपम लीला
- मैना का विलाप एवं हठ
- शिव का सुंदर व दिव्य स्वरूप दर्शन
- शिव का परिछन व पार्वती का सुंदर रूप देख प्ररान होना
- वर-वधू द्वारा एक-दूसरे का पूजन
- शिव-पार्वती का विवाह आरंभ
- ब्रह्माजी का मोहित होना
- विवाह संपन्न और शिवजी से विनोद
- रति की प्रार्थना पर कामदेव को जीवनदान
- भगवान शिव का आवासगृह में शयन
- बारात का ठहरना और हिमालय का बारात को विदा करना
- पार्वती को पतिव्रत धर्म का उपदेश
- बारात का विदा होना तथा शिव-पार्वती का कैलाश पर निवास
श्रीरुद्र संहिता (पंचम खंड)
- तारकपुत्रों की तपस्या एवं वरदान प्राप्ति
- देवताओं की प्रार्थना
- भगवान शिव का देवताओं को विष्णु के पास भेजना
- नास्तिक शास्त्र का प्रादुर्भाव
- नास्तिक मत से त्रिपुर का मोहित होना
- त्रिपुर सहित उनके स्वामियों के वध की प्रार्थना
- देवताओं द्वारा शिव-स्तवन
- दिव्य रथ का निर्माण
- भगवान शिव की यात्रा
- त्रिपुरासुर वध
- भगवान शिव द्वारा देवताओं को वरदान
- वर पाकर मय दानव का वितल लोक जाना
- इंद्र को जीवनदान व बृहस्पति को 'जीव' नाग देना
- जलंधर की उत्पत्ति
- देव जलंधर युद्ध
- श्रीविष्णु का लक्ष्मी को जलंधर का वध न करने का वचन देना
- श्रीविष्णु जलंधर युद्ध
- नारद जी का कपट जाल
- दूत-संवाद
- शिवगणों का असुरों से युद्ध
- द्वंद्व-युद्ध
- शिवजलंधर युद्ध
- वृंदा का पतिव्रत भंग
- जलघर का वध
- देवताओं द्वारा शिव स्तुति
- धात्री, मालती और तुलसी का आविर्भाव
- शंखचूर्ण की उत्पत्ति
- शंखचूड़ का विवाह
- शंखचूड़ के राज्य की प्रशंसा
- देवताओं का शिवजी के पास जाना
- शिवजी द्वारा देवताओं को आधारान
- पुष्पदंत शंखचूड़ वार्ता
- भगवान शिव की युद्ध यात्रा
- शंखचूड़ की युद्ध यात्रा
- शंखचूड़ के दूत और शिवजी की वार्ता
- देव-दानव युद्ध
- शंखचूड़ युद्ध
- भद्रकाली शंखचूड़ युद्ध
- शंखचूड़ की सेना का संहार
- शिवजी द्वारा शंखचूड़ वध
- तुलसी द्वारा विष्णुजी को शाप
- हिरण्याक्ष-वध
- हिरण्यकशिपु की तपस्या और नृसिंह द्वारा उसका बच
- अंधक की अंधता
- युद्ध आरंभ
- युद्ध की समाप्ति
- शिव द्वारा शुक्राचार्य को निगलना
- शुक्राचार्य की मुक्ति
- अंधक को गणत्व की प्राप्ति
- शुक्राचार्य को मृत संजीवनी की प्राप्ति
- बाणासुर आख्यान
- बाणासुर को शाप व उषा चरित्र
- अनिरुद्ध को बाण द्वारा नागपाश में बांधना तथा दुर्गा की कृपा से उसका मुक्त होना
- श्रीकृष्ण द्वारा राक्षस सेना का संहार
- बाणासुर की भुजाओं का विध्वंस
- बाणासुर को गण पद की प्राप्ति
- गजासुर की तपस्या एवं वध
- दुभिनिर्ह्राद का वध
- विदन और उत्पल नामक दैत्यों का वध
शिव पुराण श्रीकोटिरुद्र संहिता
- द्वादश ज्योतिर्लिंग एवं उपलिंगों की महिमा
- पूर्व दिशा स्थित लिंग
- अनुसुइया एवं अनि मुनि का तप
- अविश्वर की महिमा का वर्णन\
- नन्दकेश की महिमा का वर्णन
- ब्राह्मण की सद्गति व मुक्ति
- नंदिकेश्वर लिंग की उत्पत्ति
- महाबली शिव महात्म्य
- चाण्डालिनी की मुक्ति
- लोकहितकारी शिव-महात्म्य दर्शन
- पशुपतिनाथ लिंग महात्म्य
- लिंगरूप का कारण
- बटुकनाथ की उत्पत्ति
- सोमेश्वर की उत्पत्ति
- मल्लिकार्जुन की उत्पत्ति
- महाकालेश्वर का आविर्भाव
- महाकाल महात्म्य
- ओंकारेश्वर महात्म्य
- केदारेश्वर महात्म्य
- भीम बदमाश का वर्णन
- भीमशंकर ज्योतिर्लिंग का माहात्म्य
- काशीपुरी का महात्म्य
- श्री विश्वेश्वर महिमा
- गौतम-प्रभाव
- महर्षि गौतम को गौहत्या का दोष
- गौतमी गंगा का प्राकट्य
- श्रीगंगाजी के दर्शन एवं गौतम ऋषि का शाप
- वैद्यनाथेश्वर शिव महात्म्य
- दारूका राक्षस एवं राक्षसों का अपराधी
- नागेश्वर लिंग की उत्पत्ति एवं महात्म्य
- रामरात्रि महिमा का वर्णन
- सुदेहा सुश्रात्मा की कथा
- घुमेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति एवं महात्म्य
- श्रीविष्णु को सुदर्शन चक्र की प्राप्ति
- शिव सहस्रनाम स्तोत्र
- शिवसहस्रनाम का फल
- शिवभक्तों की कथा
- शिवरात्रि का व्रत विधान
- शिवरात्रि व्रत उद्यापन की विधि
- नाशाद चरित्र
- मुक्ति वर्णन
- विष्णु रुद्र एवं शिव के स्वरूपों का वर्णन
- ज्ञाननिरूपण
श्री कैलाश संहिता प्रारंभ
- व्यासजी एवं शौनक जी की बातचीत
- पार्वती जी का शिवजी से प्रश्नोत्तरी
- प्रणव विधि
- संत का आचार-व्यवहार
- संत मंडल की विधि
- निश्राम वर्णन
- शिव ध्यान एवं पूजन
- वर्ण पूजा
- शिव के अनेक नाम और ओंकार
- सुतोपदेश वर्णन
- वाग्देव द्वारा बाहा निरूपण
- साक्षात शिव स्वरूप ही प्रणव है
- प्रार्थना मंत्रों का बीज रूप है
- शिवरूप वर्णन
- पूजन मूर्ति
- शिव तत्व विवेचन
- शिव ही प्रकृति का कारण है
- शिष्य धर्म
- योगपट्ट विवरण
- क्षौर एवं स्नान विधि
- योगियों को उत्तरायण प्राप्त
- पुरानी क्रियाविधि
- शिष्य वर्ग का वर्णन
श्रीवायवीय संहिता (पूर्वार्द्ध) प्रथम अध्याय
- पुराणों और विद्यावतार का वर्णन
- बह्माजी से मुनियों का प्रश्न पूछना
- नैमिषारण्य कथा
- वाघु आगमन
- शिवतत्व वर्णन
- शिव तत्व ज्ञान का वर्णन
- सातवां अध्याय
- काल महिमा
- आठवाँ अध्याय
- त्रिदेवों की आयु
- प्रलयकर्ता का वर्णन
- रचना रचना वर्णन
- सृष्टि उत्पत्ति का वर्णन
- सृष्टि वर्णन
- ब्रह्मा विष्णु की सृष्टि का वर्णन
- रुद्र की उत्पत्ति
- शिव-शिव की स्तुति
- माहीषी सृष्टि की उत्पत्ति
- मनु की रचना का वर्णन
- दक्ष का श्राप
- वीरान का यज्ञ में जाना
- दक्ष यज्ञ का वर्णन
- श्रीहरि विष्णु एवं वीरभद्र का युद्ध
- देवताओं पर शिव कृपा
- मंदराचल पर निवास
- कालिका उत्पत्ति
- सिंह पर दया
- छब्बीसवां अध्याय
- गौरी मिलाप
- सोम अमृत अग्नि का ज्ञान
- छः गागों का वर्णन
- महेश्वर के सगुण और निर्गुण भेद
- ज्ञानोपदेश
- अनुष्ठान का विधान
- पाशुपत व्रत का रहस्य
- उपमन्यु की भक्ति
- उपमन्यु की कथा
शिव पुराण श्रीवायवीय संहिता उत्तरार्द्ध दूसरा अध्याय
- श्रीकृष्ण को पुत्र प्राप्ति
- शिवगुणों का वर्णन
- अष्टमूर्ति वर्णन
- गौरी शंकर की विभूति
- पशुपति ज्ञान योग
- शिव तत्व वर्णन
- शिव-शक्ति वर्णन
- व्यासावतार
- शिव शिष्यों का वर्णन
- शिवोपासना निरूपण
- ब्रह्मण कर्म निरूपण
- पंचाक्षर मंत्र की महिमा
- कलिनाशक मंत्र
- व्रत ग्रहण करने का विधान
- दीक्षा विधि
- शिव भक्त वर्णन
- शिव-तत्व साधक
- पठध्वशोधन विधि
- साधन मेद निरूपण
- अभिषेक
- कर्मनिरूपण
- पूजन का न्याय निरूपण
- मानसिक पूजन
- पूजन निरूपण
- नित्य कृत्य विधि
- सांगोपांग पूजन
- अग्नि कृत्य विधान
- नैमित्तिक पूजन विधि
- काम्य कर्म निरूपण
- आवरण पूजन विधान
- शिव-स्तोत्र निरूपण
- सिद्धि कर्मों का निरूपण
- लिंग स्थापना से फलागम
- लिंग स्थापना से शिव प्राप्ति
- ब्रह्मा-विष्णु मोह
- शिवलिंग प्रतिष्ठा विधि
- योग निरूपण
- योग गति में विघ्न
- योग वर्णन
- मुनियों का नैमिषारण्य गमन
- मुनियों को मोटा
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