भगवान शिव | Bhagwan Shiv

भगवान शिव के बारे अनेक स्तोत्र कवच आदि है

भगवान शिव के अनेक अवतार हैं प्रलयकाल के समय उनकेअवतार निराकार ब्रह्म जिन्हें किन्तुराखण्ड में निरंकार देवता के नाम से भी पूजा जाता है, ऐसे ही एक अन्य अवतार हैं भैरवनाथ अवतार जिन्हें भैरव या कालभैरव के नाम से पूजा जाता है।सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति एवं संहार के अधिपति शिव हैं। त्रिदेवों में भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं। शिव अनादि तथा सृष्टि प्रक्रिया के आदि स्रोत हैं और यह काल महाकाल ही ज्योतिषशास्त्र के आधार हैं। शिव का अर्थ यद्यपि कल्याणकारी माना गया है, लेकिन वे हमेशा लय एवं प्रलय दोनों को अपने अधीन किए हुए हैं।


शिव की परंपरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख हिस्सा है, जो पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण-पूर्व एशिया में पाई जाती है। भारत में भीमबेटका शैलाश्रयों में प्रारंभिक प्रागैतिहासिक चित्र, जो 10,000 ईसा पूर्व से पहले के हैं, में शिव को नृत्य करते हुए, उनके त्रिशूल और उनकी सवारी नंदी को दर्शाया गया है।
शिव और देवी पार्वती के विवाह का उत्सव महाशिवरात्रि के त्यौहार में मनाया जाता है, जो फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी को मनाया जाता है। कहा जाता है कि यह त्यौहार शिव और शक्ति या रचनात्मक शक्ति के मिलन का प्रतीक है, और इसे प्रकृति और पुरुषत्व के मिलन के रूपक के रूप में भी देखा जाता है।

भगवान शिव के बारे अनेक स्तोत्र कवच आदि है

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गुरु ! बृहस्पति प्रदोष व्रत कथा ] [ शुक्र प्रदोष व्रत कथा ] [ रवि प्रदोष व्रत कथा ] [ शनि प्रदोष व्रत कथा ]

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