शिव का अर्थ





शिव का अर्थ "meaning of shiva

शिव

भगवान शिव का नाम संस्कृत शब्द "शिव" से आता है, जो 'मांगलिक' या 'शुभ' का अर्थ करता है। भगवान शिव को हिंदू धर्म में त्रिमूर्ति में एक माना जाता है, जो सृष्टि के लिए ब्रह्मा, पालन-पोषण के लिए विष्णु, और संहार या नष्ट के लिए शिव हैं। उन्हें भोलेनाथ, नीलकंठ, रुद्र, महादेव, आदि नामों से भी जाना जाता है। शिव को सातों जगतों के स्वामी और जीवन के उत्तम शिक्षक के रूप में भी माना जाता है। उनकी ध्यान और पूजा का मान्यताओं में विशेष महत्त्व है।

शिव को लेकर कुछ खास बातें

शिव, हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में से एक हैं। वे वैष्णव और शैव पंथों में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। शिव को महादेव, भोलेनाथ, नीलकंठ, रुद्र, शंकर आदि नामों से जाना जाता है।
शिव का प्रतीक त्रिशूल है, जिसका मान्यता से संसार की सृष्टि, स्थिति और संहार का प्रतीक है। उनकी तीसरी नेत्री भी विशेष है, जिसे नीलकंठ कहा जाता है।
शिव की पत्नी होने के कारण, पार्वती, उनके साथ जुड़ी कई कथाएं हैं। उनके बेटे गणेश और कार्तिकेय भी हैं, जो हिन्दू धर्म में बहुत पूजे जाते हैं।
शिव का ध्यान और तपस्या में रहने का जिक्र भी कई पुराणों और शास्त्रों में है। उन्हें ध्यान में लगे दिखाया जाता है, जो उनकी ध्यान और ध्यान की शक्ति को प्रतिनिधित करता है।
उन्हें गंगा नदी का पति माना जाता है, जिसका मान्यता है कि वे गंगा को अपने जटाओं में धारण करके पृथ्वी पर आये थे।
शिव ध्यान, संध्या, तापस्या, न्याय, तथा सामर्थ्य के देवता हैं। उनकी पूजा से मानव को मोक्ष की प्राप्ति होती है, और वे आत्मा के परम शांति और संयम के प्रतीक माने जाते हैं।
  1. शिव ध्यान पद्धतियां
  2. शिव: अनादि कहानियां

शिव की विशेष बातें

शिव भगवान हैं जिन्हें हिंदू धर्म में अनेक विशेषताओं से संबंधित माना जाता है। उनकी कई विशेषताओं में कुछ निम्नलिखित है:
  1. महादेव: शिव को महादेव के रूप में पूजा जाता है, जो सभी देवों में श्रेष्ठ माना जाता है।
  2. अर्धनारीश्वर रूप: शिव का अर्धनारीश्वर रूप उनके पुरुष और महिला दोनों स्वरूपों का प्रतीक है, जो पुरुष और प्रकृति का संयोजन दर्शाता है।
  3. अशुतोष: शिव को अशुतोष (जल्दी खुश नहीं होने वाले) माना जाता है, लेकिन उन्हें प्रिय और सहायक भक्तों की पूजा बहुत प्रिय होती है।
  4. नीलकंठ: शिव का नाम 'नीलकंठ' भी है, क्योंकि उनकी गली नीले रंग की थी, जो समुद्र मंथन के दौरान हाला हो गयी थी।
  5. गंगाधर: शिव को 'गंगाधर' भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने गंगा नदी को अपने जटाओं में समाहित किया था।
  6. भस्मांगर: वे अपने शरीर पर भस्म लगाते हैं, जो मृत्यु का प्रतीक होता है और संसार के परिवर्तन को दर्शाता है।
  7. ताण्डव: शिव का ताण्डव नृत्य उनकी शक्ति, सृष्टि, और संहार की प्रतीक है।
  8. शिव लिंग: शिव के पूजन में शिवलिंग विशेष महत्त्व रखता है, जो उनकी उन्नतता, शक्ति और उनके असीम स्वरूप का प्रतीक है।
शिव एक ऐसे देवता हैं जो संसार के संसार का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी भक्ति में अनंत शक्ति और शांति मिलती है।
  1. शिव पूजा के लाभ
  2. भगवान शिव की उत्पत्ति

शिव ध्यान पद्धतियां

शिव ध्यान करने के लिए कई तरह की ध्यान पद्धतियां होती हैं, जो भक्तों को उनके आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करती हैं। शिव ध्यान में कुछ प्रमुख तत्व होते हैं जैसे कि उसकी ध्यान मूर्ति, मंत्र या उसके गुणों का जाप, तापस्या, ध्यान और पूजा।  शिव ध्यान में, कुछ लोग शिव की मूर्ति या छवि को ध्यान करते हैं और उनके मंत्रों का जाप करते हैं। कुछ लोग शिव की ध्यान और मनन के लिए ध्यान पद्धतियां अनुसरण करते हैं जैसे कि तांत्रिक ध्यान या ध्यान सूत्र। 
ध्यान करते समय, ध्यानी को अपने मन को शांत और एकाग्र करने की कोशिश करनी चाहिए। ध्यान में शिव के गुणों और उनके आध्यात्मिक रूप का विचार करना और उनसे जुड़े मंत्रों का जाप करना भी महत्त्वपूर्ण होता है। यह ध्यान आत्मा को शांति, स्थिरता और आनंद प्रदान करने का उद्देश्य रखता है।  शिव ध्यान ध्यानाधारित प्राणायाम, मन्त्र जाप, आसन और ध्यान प्रक्रिया के माध्यम से आत्मा की उन्नति को प्रोत्साहित करने का एक अच्छा तरीका हो सकता है।

शिव जी के गुणों

शिव जी हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं। उन्हें त्रिदेवों में एक माना जाता है, जो कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) हैं। शिव जी के कई गुण हैं जो उन्हें अनुसरण करने वाले लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हैं।

शिव जी के गुणों में कुछ मुख्य हैं:
  • ध्यानशीलता: वे ध्यान में लीन रहते हैं और समाधि में व्यस्त रहते हैं।
  • दयालुता: शिव जी को उनकी महाकारुणिकता के लिए जाना जाता है।
  • त्यागी: उन्होंने संसारिक सुखों को त्याग कर तपस्या की है और अपनी अद्भुत तपस्या के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • आदियोगी: शिव जी को आदियोगी के रूप में भी जाना जाता है, जो कि योग के प्रमुख गुरु माने जाते हैं।
  • सर्वशक्तिमान: वे सृष्टि, स्थिति और संहार के देवता हैं, जिनकी अनन्त शक्ति है।
इन गुणों के माध्यम से, शिव जी को ध्यान में लाने, उनकी पूजा करने और उनके गुणों को अपने जीवन में अपनाने का मार्ग दिखाया जाता है।

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