वृन्दावन की होली उत्सव का महत्व,Importance of Holi festival of Vrindavan

वृन्दावन की होली उत्सव का महत्व

वृन्दावन की होली 

वृंदावन के सुंदर मंदिर होली के अवसर पर रंगों और फूलों के साथ सजाए जाते हैं और भक्त और पर्यटक समान रूप से इकट्ठा होते हैं एवं रंगों और पानी के साथ त्योहार मनाते हैं। वृंदावन में एकादशी के साथ ही होली प्रारम्भ हो जाती है।

Importance of Holi festival of Vrindavan

वृन्दावन होली 2024 तिथियाँ और उत्सव

रंगों का त्योहार होली , भारत में हजारों वर्षों से मनाया जाता रहा है और अब इसे गैर-हिंदू समुदायों सहित दक्षिण एशिया के विभिन्न समुदायों द्वारा भी मनाया जाता है। उत्तर प्रदेश में होली 2024 रविवार, 24 मार्च को शुरू होगी और सोमवार, 25 मार्च को समाप्त होगी। अगले सप्ताहांत को संयुक्त किया जा सकता है, और यह सभी के लिए एक बढ़िया छुट्टी विकल्प बन जाता है।

यहाँ भी पढ़े क्लिक कर के- 

वृन्दावन में होली कैसे मनाई जाती है

वैसे होली एक ऐसा त्यौहार है जो कि सब जगह अलग अलग तरह से मनाई जाती है. क्या आप यह जानते है कि वृन्दावन में होली कैसे मनाई जाती है. तो आपको बता दे कि जब मथुरा वृंदावन में होलिका दहन होता है, तो इस दिन यहां फूलों वाली होली मनाई जाती है. इस दिन  बांके बिहारी मंदिर के पट खोल दिए जाते है. सभी दूर दूर से आए श्रद्धालु  बांके बिहारी के दर्शन कर फुल चढ़ाते है. पूरा वृंदावन फूलों से सजाया जाता है. लोग भजन के साथ साथ झूमते हुए नजर आते हैं. एक दुसरे को विविध रंगों से रंगकर नाचते गाते हुए दिखाई देते है.
बांकेबिहारी के भव्य मंदिर में रंग की होली रंगभरनी एकादशी से शुरू होती है. ठाकुर जी को लगाने के लिए एक टेसू के फूलों से खास तरह का रंग तैयार किया जाता है. जिसे केवल ठाकुर जी को हो चढ़ाया जाता है.

यहाँ भी पढ़े क्लिक कर के-
वृन्दावन की होली उत्सव का महत्व

वृन्दावन होली का महत्व

होली का पावन पर्व पूरे भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी धूम धाम से मनाया जाता है. लेकिन सबसे खास बात तो यह कि यहां मथुरा वृन्दावन होली का अपना अलग ही महत्व है. तो आइए अब जानते है कि वृन्दावन होली का महत्व क्या है. आपको बता दे कि जब बसंत पंचमी आती है तभी से यहां के लोग होली के रंगो में रंगना शुरू कर देते है. शास्त्रों में माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था और उन्होंने अपना बचपन वृन्दावन में बिताया था. कुछ पौराणिक कथाओं के आधार श्री कृष्ण अपनी मां यशोदा के पास जाकर राधा के गोरे होने की शिकायत करते है, साथ ही वह कहते है की मैं क्यों सांवला हूं. इसी के चलते उनकी मां यशोदा ने उन्हें राधा पर रंग लगाने के लिए कहती है. इसीलिए भगवान कृष्ण और उनके दोस्त राधा और अन्य गोपियों पर रंग लगाने के लिए राधा के गांव बरसाना गए. गोपियाँ इस खेल खेल में उन पर लाठियों से प्रहार करती थीं. जिसके चलते यह एक परम्परा ही बन गई, जो कई वर्षों से चली आ रही है और यही कारण है कि आज भी यहां लठमार होली मनाई जाती है.
वही वृन्दावन में होली के दिन बांके बिहारी मंदिर में होली से पहले एकादशी को फूलों वाली होली मनाई जाती है. यह होली पारंपरिक रंगों से अलग फूलों के साथ मनाई जाती है. हजारों श्रद्धालु  बांके बिहारी की केवल एक झलक से मंत्रमुग्ध हो जाते है. दर्शन के लिए मंदिर के द्वार शाम 4 बजे के आसपास खोले जाते हैं और तभी पुजारी दूर दूर से आए सभी श्रद्धालु पर फूलो की बरसात कर देते है. यह भव्य वातावरण एक भक्त को वृंदावन की तरफ हर साल खींच कर ले आता है.

टिप्पणियाँ