भगवान विष्णु केश्रीराम कीअवतार कथा /Incarnation story of Lord Vishnu Shriram

भगवान विष्णु केश्रीराम कीअवतार कथा  

भगवान विष्णु के दस अवतारों में एक अवतार श्रीराम थे। रामायण में राम की कथा विस्तारपूर्वक वर्णित है। इसका आधार वाल्मीकि ऋषि की रचित एक प्राचीन काव्य "रामायण" है। रामायण में राम के जीवन की कई घटनाएं, विचार, और उनके अद्भुत लीलाएं वर्णित हैं।
रामायण के अनुसार, श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था। उनके माता-पिता का नाम दशरथ और कौशल्या था। राम ने सीता माता और लक्ष्मण भगवान के साथ अपने भाई के रूप में आश्रम में वनवास गुजारा।
कुछ समय बाद, दशरथ ने राम को अयोध्या के राजा बनाने का निर्णय लिया, लेकिन राम के पत्नी सीता के अनुरोध पर राजकुमार भरत को राज्य स्वीकार करने कहा गया। भरत ने राम के खाली हुए पादुकाओं को अयोध्या के सिंहासन पर स्थापित करके उनका प्रतिष्ठान किया।
इसके बाद, राम, सीता, और लक्ष्मण वन में वनवास जीवन जीने चले गए। वन में उन्होंने अनेक राक्षसों के साथसंघर्ष किया,
 जैसे कि रावण, राक्षस राजा, और मेघनाद, उसके पुत्र।
इसके बाद राम और उनके साथी वनवास को पूरा करके अयोध्या लौटे। वहां उन्हें अपने पिता दशरथ की मृत्यु की खबर मिली और उन्हें राजसीता पर्यन्त दूसरी बार वनवास जाना पड़ा।
राम की कथा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं भगवान हनुमान के योगदान की। हनुमान, जो भगवान शिव के अवतार हैं, राम के वनवास के दौरान उनका सहायक बना। हनुमान ने राम को उनकी पत्नी सीता को बचाने में मदद की और उनकी सेना के साथ लंका पर युद्ध किया। इसके बाद राम ने रावण को मारकर सीता को उनके पास वापस लाया और अयोध्या में राज्य सुखीता से चला आया।
रामायण में राम के जीवन की बातें और उनके द्वारा दिखाए गए आदर्शों का वर्णन है, जो अधिकांश लोगों के द्वारा मान्यता प्राप्त हैं। रामायण महाकाव्य आध्यात्मिकता, धार्मिकता, और मानवीयता को संकल्पित करती है और उसे पठने और सुनने के द्वारा लोगआदर्श जीवन के मार्ग पर चलने का प्रयास करते हैं।

यह थी भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की कथा का संक्षेप में वर्णन। रामायण में इसके अतिरिक्त भी अनेक उपाख्यान और अद्भुत घटनाएं हैं जो राम के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को सम्मिलित करती हैं।

भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की कथा-[2]

भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की कथा रामायण के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है। रामायण वाल्मीकि महर्षि द्वारा लिखित एक प्राचीन काव्य है जिसमें श्रीराम के जीवन की घटनाएं, विजय, और उनके धार्मिक और मानवीय आदर्शों का वर्णन है।
कथा का आरंभ अयोध्या नगरी में हुआ, जहां राजा दशरथ और रानी कौशल्या ने भगवान विष्णु के अवतार के रूप में श्रीराम को जन्म दिया। राम के बाल्यकाल में उनके साथी बने भाई लक्ष्मण और बहन सीता हुईं।
राम ने सीता से विवाह किया और वनवास के दौरान उनकी पत्नी सीता को रावण नामक राक्षस ने अपहरण कर लिया। राम और लक्ष्मण ने वन में रहते हुए विभिन्न राक्षसों के साथ युद्ध किया और हनुमान की मदद से रावण के लंका नगरी पहुंचे। वहां राम ने रावण को मार डाला और सीता को स्वतंत्र कराया।
राम ने अपने वनवास के समाप्त होने के बाद अयोध्या लौटकर राजसत्ता स्थापित की, जिसे उन्होंने न्याय और सत्य
 के प्रतीक के रूप में संभाला। वे एक आदर्श पति, पुत्र, और राजा थे। उनके चरित्र, आदर्श, और मानवीय गुणों का वर्णन रामायण में किया गया है।
श्रीराम की कथा में धार्मिक और नैतिक सन्देश हैं जैसे वचनवद्धता, परिपक्वता, परिवार के प्रति समर्पण, और धर्म के पालन का महत्व। रामायण में श्रीराम के बारे में गाये गए भजन और उपदेश आज भी लोगों के जीवन में मार्गदर्शन करते हैं और उन्हें आदर्श पुरुष के रूप में मान्यता दी जाती है।

भगवानश्रीराम के बारे में गाए जाने वाले भजन

श्रीराम के बारे में गाए जाने वाले भजनों में कई प्रसिद्ध और प्रिय भजन हैं। ये भजन उनके गुणों, लीलाओं, और उनके भक्तों के प्रेम को व्यक्त करते हैं। यहां कुछ प्रमुख श्रीराम भजनों का उल्लेख किया गया है:
1. "रघुपति राघव राजाराम" - यह भजन श्रीराम को समर्पित है और श्रीरामचंद्र के नामों का जाप करता है। यह भजन सुनने वालों में भक्ति की भावना को जागृत करता है।
2. "हे राम जग में संसार के" - यह भजन श्रीराम के दिव्य रूप को गुणगान करता है और उनके दिव्यता की महिमा को प्रकट करता है।
3. "जय जगदीश हरे" - इस भजन में श्रीराम के नाम के साथ उनकी प्रशंसा की जाती है। यह भजन श्रीराम के पूजन में आदिकाल से उपयोगी है और भक्तों के द्वारा आदर्शता से गाया जाता है।
4. "जग में सुंदर हैं दो नाम" - यह भजन श्रीराम के चरित्र की प्रशंसा करता है और उनके सामर्थ्य को वर्णित करता है। इस भजन में भक्ति और देवों के प्रेम का संदेश है।
5. "सीताराम सीताराम कहिये" - यह भजन श्रीराम के नाम का जाप करता है और भक्तों को श्रीराम की प्रेम भक्ति में ले जाता है। इस भजन में श्रीराम और सीता के प्रेम की वीरता और अनन्यता का वर्णन है।
ये केवल कुछ उदाहरण हैं और भगवान श्रीराम के बारे में गाए गए भजनों की संख्या असंख्य है। ये भजन उनके भक्तों द्वारा उनकी पूजा, स्मरण और स्तुति के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं।

भगवान श्रीराम के बारे में पांच महत्वपूर्ण रोचक तथ्य 

श्रीराम, भगवान विष्णु के सातवें अवतार हैं और उनसे जुड़े कई रोचक तथ्य हैं। यहां श्रीराम के बारे में पांच महत्वपूर्ण तथ्यों का उल्लेख किया गया है:
1. एक आदर्श और परमप्रेमी: श्रीराम विश्व में प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने पूरे जीवन में सभी धर्मों की अद्भुत मूर्ति बनकर दिखाई दी है। उनका प्रेम सीता, लक्ष्मण, हनुमान और उनके भक्तों के प्रति अद्वितीय था।
2. वचनवद्धता के प्रतीक: श्रीराम का वचन उनकी सर्वोच्चता और विश्वासनीयता का प्रतीक है। वे हमेशा अपने दिए गए वचनों के पक्ष में खड़े रहते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहते हैं।
3. मानवीय गुणों के संग्रहशाली: श्रीराम मानवीय गुणों के प्रतीक माने जाते हैं। उन्होंने धर्म, न्याय, सच्चाई, संतुलन, और शांति के आदर्शों को पूरा किया और अपने जीवन में उन्हें प्रकट किया।
4. महान योद्धा: श्रीराम एक महान योद्धा थे और उन्होंने ध
र्म की रक्षा के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना किया। उन्होंने लंका के राक्षस राजा रावण का वध किया और अधर्म को पराजित करके सत्य की जीत की।
5. जीवन का आदर्श: श्रीराम का जीवन एक आदर्श बना हुआ है और उनके जीवन दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति धर्म, न्याय, प्रेम, और कर्तव्य की प्राथमिकता के साथ संतुष्ट होकर समृद्ध और खुशहाल जीवन जी सकता है।

ये तथ्य श्रीराम के जीवन के कुछ पहलुओं को दर्शाते हैं और उनके भक्तों को उनके महानत्व की अनुभूति कराते हैं। श्रीराम का जीवन और उनके गुण लोगों के द्वारा आदर्शता के रूप में मान्यता प्राप्त करते हैं।

भगवान श्रीराम की आराधना के लिए मंत्रों 

भगवान श्रीराम की आराधना के लिए कई मंत्रों का प्रयोग किया जाता है जो उनकी महिमा, गुणों, और आशीर्वाद को प्रकट करने में मदद करते हैं। यहां कुछ प्रमुख मंत्रों का उल्लेख किया गया है जिन्हें श्रीराम की आराधना में अधिकारिकता से प्रयोग किया जाता है:
1. "श्रीराम जय राम" (Shri Rām Jay Rām) - यह मंत्र भगवान श्रीराम की प्रशंसा करता है और उनके गुणों को स्मरण करते हुए उनकी आराधना में उपयोगी होता है। इसका जाप करने से भक्त की मानसिक शांति, आनंद, और सुख का अनुभव होता है।
2. "श्रीराम रामेति रामेति" (Shri Rām Rāmeti Rāmeti) - इस मंत्र का जाप श्रीराम की आराधना में किया जाता है और उनके सानिध्य का अनुभव करने में सहायता करता है। इस मंत्र के जाप से भक्त का मन शुद्ध होता है और भगवान के दिव्य रूप की अनुभूति होती है।
3. "श्रीराम जय राम जय जय राम" (Shri Rām Jay Rām Jay Jay Rām) - यह मंत्र श्रीराम की महिमा का गुणगान करता है और भक्त को आशीर्वाद प्रदान करता है।
 इसका जाप करने से भक्त को आत्मिक शांति, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
4. "राम राम" (Rām Rām) - यह सरल मंत्र भगवान श्रीराम की आराधना के लिए उपयुक्त होता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्त का मन शुद्ध होता है और श्रीराम के सानिध्य का अनुभव होता है।

ये मंत्र श्रीराम की आराधना में उपयोग किए जाने वाले प्रमुख मंत्र हैं, लेकिन यदि आप चाहें तो और भी अनेक मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं जो श्रीराम की भक्ति और सान्निध्य को बढ़ाते हैं। ध्यान और नियमितता के साथ इन मंत्रों का जाप करने से आप श्रीराम के प्रति अधिक समर्पण और आनंद की अनुभूति कर सकते हैं।

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