हर हर महादेव का अर्थ /बेलपत्र का वृक्ष शुभ क्यूँ माना जाता है /Meaning of Har Har Mahadev / Why is Belpatra tree considered auspicious /

हर हर महादेव का अर्थ /बेलपत्र का वृक्ष शुभ क्यूँ माना जाता है


हर हर महादेव का अर्थ

हम जब भी भगवान शिव की पूजा करते है या भगवान शिव को पुकारते हैतो हर हर महादेव का उपचारण करते है, सबसे पोराणिक वेद ऋग्वेद में जीवन का सार बताया गया है.

 वेदों में बताया गया है की ब्रह्मा ही परम चेतना है, और आत्मा ही ब्रह्मा है. हमारी पोराणिक कथाओ में हर हर महादेव का अर्थ ये बताया गया है की हर किसी में महादेव, इसका मतलब है की हर इंसान में महादेव बसते है.

संस्कृत में ‘हर’ का मतलब होता है नष्ट करना. इसका एक अर्थ ये भी निकल कर आता है की शिव का आराधक अपने अंदर के सारे दोषों को नष्ट करे अर्थात् अपने अंदर की सारी बुराइयों का त्याग करे.

हर हर महादेव का अर्थ है हर किसी में महादेव अर्थात् शिव है. इसका दूसरा मतलब है महादेव शिव हर किसी के दोष हर लेते है. और सभी को दोष रहित पवित्र कर देते है. महादेव की पूजा मात्र कर…

हर हर महादेव

 बेलपत्र का वृक्ष शुभ क्यूँ माना जाता है और यह भगवान शिव को प्रिय क्यों है?

और यह भगवान शिव को प्रिय क्यों है?एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। माता पार्वती के पसीने से बेल के पेड़ का उद्भव हुआ।

इसमें माता पार्वती के सभी रूप बसते हैं। वे पेड़ की जड़ में गिरिजा के स्वरूप में, इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरूप में और शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में रहती हैं, फलों में कात्यायनी स्वरूप व फूलों में गौरी स्वरूप निवास करता है।

इस सभी रूपों के अलावा, मां पार्वती का रूप समस्त वृक्ष में निवास करता है। बेलपत्र में माता पार्वती का प्रतिबिंब होने के कारण इसे भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है।

भगवान शिव पर बेल पत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। जो व्यक्ति किसी तीर्थस्थान पर नहीं जा सकता है अगर…

 शिवलिंग कोई साधारण (मूर्त्ति) नहीं है पूरा विज्ञान है..

 शिवलिंग में विराजते हैं तीनों देव:

हम में लगभग लोग यही जानते हैं कि शिवलिंग में शिव जी का वास है। परंतु क्या आप जानते हैं इसमें तीनों देवताओं का वास है। कहा जाता है शिवलिंग को तीन भागों में बांटा जा सकता है। सबसे निचला हिस्सा जो नीचे टिका होता है, दूसरा बीच का हिस्सा और तीसरा शीर्ष सबसे ऊपर जिसकी पूजा की जाती है।

सबसे निचला हिस्सा जो नीचे टिका होता है वह ब्रह्म है, दूसरा बीच का हिस्सा वह भगवान विष्णु का प्रतिरूप और तीसरा शीर्ष सबसे ऊपर जिसकी पूजा की जाती है वह देवा दी देव महादेव का प्रतीक है, शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है तथा अन्य मान्यताओं के अनुसार, शिवलिंग का निचला नाली नुमा भाग माता पार्वती को समर्पित तथा प्रतीक के रूप में पूजनीय है... अर्थात शिवलिंग के जरिए ही त्रिदेव की आराधना हो जाती है। अन्य मान्यता के अनुसार, शिवलिंग का निचला हिस्सा स्त्री और ऊपरी हिस्सा पुरुष का प्रतीक होता है। अर्थता इसमें शिव और शक्ति, एक साथ में वास करते हैं।

शिवलिंग का अर्थ:-
शास्त्रों के अनुसार 'लिंगम' शब्द 'लिया' और 'गम्य' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ 'शुरुआत' व 'अंत' होता |तमाम हिंदू धर्म के ग्रंथों में इस बात का वर्णन किया गया है कि शिव जी से ही ब्रह्मांड का प्राकट्य हुआ है और एक दिन सब उन्हीं में ही मिल जाएगा।


शिवलिंग की अंडाकार संरचना:-

कहा जाता है शिवलिंग के अंडाकार के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक, दोनों कारण है। अगर आध्यात्मिक दृष्टि से देखा जाए तो शिव ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं। अर्थात शिव ही वो बीज हैं, जिससे पूरा संसार उपजा है। इसलिए कहा जाता है यही कारण है कि शिवलिंग का आकार अंडे जैसा है। वहीं अगर वैज्ञानिक दृष्टि से बात करें तो 'बिग बैंग थ्योरी' कहती है कि ब्रह्मांड का निमार्ण अंडे जैसे छोटे कण से हुआ है। 

ॐ नम:शिवाय: ,हर-हर महादेव, 



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