मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पहली किरण प्रतिमा पर पड़ती /On the day of Makar Sankranti, the first ray of Sun God falls on the idol.

मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की पहली किरण प्रतिमा पर पड़ती

इस मंदिर में मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव की प्रतिमा पर पड़ती है सूर्य की पहली किरणआज पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. इस दिन लोग स्नान कर दान पूण्य का कार्य करता हैं. इस दिन भगवान सूर्य की अर्चना की जाती है. बहुत से लोग आज के दिन सूर्य मंदिर जाकर सूर्य भगवान की पूजा करते हैं. मध्य प्रदेश के खरगौन में सूर्य भगवान का एक ऐसा मंदिर जहा मकर संक्रांति के दिन सूर्य की पहली किरण, सूर्य प्रतिमा पर पड़ती है. इस दिन सूर्य भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की लंबी कतार लगती है. 


प्रसिद्ध नवग्रह मंदिर के पुजारी लोकेश जागीरदार का कहना है कि मकर संक्रांति, सूर्य की आगवानी का पर्व होता है. नवग्रह मंदिर सूर्य प्रधान है. यहां गर्भग्रह में सूर्य की मूर्ति बीच में विराजित है, मूर्ति के आसपास अन्य ग्रह है. मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की पूजा की जाती है तो नवग्रह की कृपा होती है, वर्षभर के लिए हमें ग्रहशांति का फल मिलता है. 

सूर्योदय की पहली किरण जिसे "उदय किरण" भी कहा जाता है, सुबह के समय आती है जब सूर्य की प्रकाशमान होने की शुरुआत होती है। यह एक अत्यंत सुंदर और शांतिपूर्ण दृश्य होता है जो कई लोगों के लिए प्राकृतिक सौंदर्य की अनुभूति का स्रोत बनता है।

यह पहली किरण नीली, गहरी लाल और नारंगी रंगों में दिखाई देती है, जो सूर्य के प्रकाश के प्रतिस्थानिक विविधता को प्रकट करता है। धीरे-धीरे, जब सूर्य ऊँचाई पर बढ़ता है, तो इसके साथ-साथ रंगों का भी बदलाव होता है और यह आसमान को अपने रंगीनी पैटर्न में बदल देता है।
सूर्योदय की पहली किरण का दृश्य सबसे बेहद महत्वपूर्ण और शांतिदायक होता है, जो लोगों को नयी उम्मीद और एक नये दिन की शुरुआत की भावना देता है। यह दृश्य बड़ी संवादिकता, आनंद, और शांति की भावना को उत्पन्न करता है जो सूर्य के प्रति मानवता के संबंध को दर्शाता है।
सूर्योदय की पहली किरण को अनुभव करने के लिए लोग पहाड़ों की चोटियों पर, समुंदर के किनारों पर, या खुले मैदानों पर जाते हैं, जहाँ से उन्हें सूर्य के उदय का सुंदर दृश्य देखने का आनंद मिलता है।

 नवग्रह मंदिर की रचना

प्राचीन ज्योतिष के सिद्धांतों के अनुसार मंदिर की रचना की गई है.  हैं.  
मकर संक्रांति पर सूर्य मंदिर में सूर्य की पहली किरण, मंदिरमंदिर में प्रवेश करते समय सात सीढ़ियां हैं जो सात वार का प्रतीक हैं. इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु स्वरूप के रूप में मां सरस्वती, श्रीराम और पंचमुखी महादेव के दर्शन होते हैं, फिर गर्भगृह में जाने के लिए जहां 12 सीढ़ियां उतरना होती हैं जो 12 महीने का प्रतीक के गुंबद से होते हुए भगवान सूर्य की मूर्ति पर पड़ती है. संक्रांति पर प्राचीन नवग्रह मंदिर में सुबह 3 बजे से लोगों की भीड़ लग जाती है. देशभर के श्रद्धालु यहां इस नजारे को देखने आते हैं. 
गर्भग्रह में नवग्रह के दर्शन होते हैं.इस प्रकार से सात दिन, 12 महीने, 12 राशियों और नवग्रह, इनके बीच में हमारा जीवन चलता है और उसी आधार पर मंदिर की रचना की गई है. ​इस मंदिर की वजह से खरगोन को नवग्रह नगरी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 600 साल पहले हुई है. इसकी स्थापना शेपाप्पा सुखावधानी वैरागकर ने की थी, जो मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले थे. वह अष्टम् महाविद्या बगलामुखी देवी के उपासकर थे |

 इसके बाद दूसरे मार्ग पर 

फिर 12 सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते हैं
 जो 12 राशि का प्रतीक है. 
इस प्रकार से सात वार,
 12 महीन,
 12 राशियां 
और नवग्रह, इनके बीच में हमारा जीवन चलता है और उसी आधार पर मंदिर की रचना की गई है

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