विष्णु और लक्ष्मी का क्या संबंध है /What is the relationship between Vishnu and Lakshmi

विष्णु और लक्ष्मी का क्या संबंध है

भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक तरफ श्रीहरि विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है, तो वहीं देवी लक्ष्मी को सृष्टि का संचालक। मान्यता है कि जिस भी व्यक्ति पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसे संसार में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा है। इन्हीं कृपा से व्यक्ति को जीवन में धन-धान्य की प्राप्ति होती है। मां लक्ष्मी विष्णु प्रिया भी हैं। यही वजह है कि माता लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के साथ वैकुण्ठ धाम में विराजती हैं। भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। एक तरफ श्रीहरि विष्णु को सृष्टि का पालनहार माना जाता है, तो वहीं देवी लक्ष्मी को सृष्टि का संचालक। मान्यता है कि जिस भी व्यक्ति पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उसे संसार में समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। अक्सर धार्मिक तस्वीरों में देखा जाता है कि मां लक्ष्मी विष्णु जी के चरणों के निकट बैठती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि धन की देवी होने के बावजूद भी मां लक्ष्मी विष्णु जी चरणों के निकट क्यों बैठती हैं? चलिए जानते हैं रोचक तथ्य के बारे में

मां लक्ष्मी विष्णु जी चरणों के निकट क्यों बैठती हैं?

भगवान विष्णु और धन की देवी लक्ष्मी 


माँ लक्ष्मी विष्णु जी के पैर लिए दबाती हैं क्योंकि शास्त्रों के अनुसार महिलाओं के हाथ में देवगुरु बृहस्पति वास करते हैं और पुरुषों के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य का वास होता हैं. इसलिए जब कोई भी महिला अपने पति के पैरों को दबाती हैं तो देव और दानवों के मिलन से धन लाभ होता है. हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को त्रिदेवों में स्थान प्राप्त हैं. भगवान विष्णु को इस सृष्टि का पालनहार कहते हैं. भगवान विष्णु वैकुंठ में निवास करते हैं और उनका शयन शेषनाग के ऊपर है. वैकुंठ में श्रीहरि के साथ उनकी पत्नी मां लक्ष्मी भी निवास करती हैं. धार्मिक शास्त्रों में मां लक्ष्मी का भगवान विष्णु के चरण दबाते हुए का वर्णन मिलता है. लेकिन मां लक्ष्मी विष्णु जी के पैर क्यों दबाती हैं? इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं . पंडित इंद्रमणि घनस्याल से जानते हैं

 मां लक्ष्मी व विष्णु जी की पौराणिक कथा.  

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार नारद जी ने मां लक्ष्मी से पूछा कि आप श्रीहरि के पैर क्यों दबाती रहती हैं? तब मां लक्ष्मी ने बताया कि चाहे मनुष्य हो या फिर देवता, ग्रहों के प्रभाव से कोई नहीं बच पाया है. महिलाओं के हाथ में देवगुरु निवास करते हैं, जबकि पुरुष के पैरों में दैत्यगुरु शुक्राचार्य निवास करते हैं, इसलिए जब भी एक स्त्री पुरुष के चरण स्पर्श करती है तो देव व दानव का मिलन होता है और इससे धनलाभ होता है. इस कारण मां लक्ष्मी श्रीहरि के चरण दबाती रहती हैं. अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं. वह बिल्कुल भी आकर्षक नहीं हैं, उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत हैं. यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती थीं. 

अपनी बहन का ये बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने अलक्ष्मी से कहा कि तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती. इस पर अलक्ष्मी ने कहा कि कोई मेरी आराधना नहीं करता, मेरा पति भी नहीं है, इसलिए तुम जहां जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी. इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं , ताकि अलक्ष्मी उनके निकट न आ सकें. इस तरह वे पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं.

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