११ मुखी हनुमान जी कथा
एक दिन, कृष्णपक्ष की एकादशी के दिन, ब्रह्मा जी और देवताओं ने देव राज इंद्र के सामने विनती की कि वे कारण बताएं कि सर्वशक्तिमान् हनुमान की उपासना से उन्हें कैसे अधिक आनंद मिल सकता है। इंद्र ने उन्हें बताया कि उन्होंने अपने साथियों के साथ बड़ी भक्ति से श्री राम का भजन किया था और उन्हें भगवान श्री राम के प्रत्यक्ष दर्शन हो गए थे। इससे ब्रह्मा जी और देवताएं बड़े ही प्रसन्न हो गए और हनुमान जी के गुणों की प्रशंसा करने लगे।प्रसन्न होने पर देवताओं ने हनुमान जी को अनेक वरदान दिए। एक वरदान में, देवताएं ने हनुमान जी को एकादश रुपी रूप में प्रकट होने की शक्ति दी। इससे पहले हनुमान जी केवल एक मुखी थे, लेकिन इस वरदान के बाद उनके एकादश मुख दिखने लगे। एक दिन, कटियार राज्य के राजा महाराज विरसिंह और उनके पुत्र राजकुमार भोजराज की राजधानी में अद्भुत घटना हो गई। भगवान हनुमान जी की एकादश रुपी विग्रह ने राजमहल के बाहर अपना रूप प्रकट किया। लोग आश्चर्यचकित हो गए और उन्होंने एकादश मुखी हनुमान जी का ध्यान करना शुरू किया।
राजकुमार भोजराज ने भी उनके विग्रह का ध्यान किया और उनके पदों में गिरकर प्रणाम किया। भगवान हनुमान जी ने उनसे पूछा, "बेटा, तुम्हारी कामना क्या है?" भोजराज ने आशीर्वाद मांगते हुए कहा, "पिताजी, मैं अपने जीवन में तीन मुखी हनुमान जी को देखना चाहता हूं।" हनुमान जी ने उनकी कामना को समझा और उन्हें तीन मुखी हनुमान जी का दर्शन करवा दिया। इसके बाद भोजराज को आनंद और शांति की प्राप्ति हुई और उन्होंने हनुमान जी का ध्यान करना अपने जीवन का ध्येय बना लिया। इसी तरह, हनुमान जी की एकादश रुपी विग्रह के दर्शन से भगवान की भक्ति और साधना में सफलता प्राप्त होती है। हनुमान जी के भक्त होने से व्यक्ति को भय, दुःख, और संकट से मुक्ति मिलती है और उन्हें आनंद, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह थी एकादश मुखी हनुमान जी की कथा, जो भगवान हनुमान की भक्तों को आदर्श और मार्गदर्शक व्यक्ति बनाने के लिए संदेश देती है। हनुमान जी की कृपा से हम सभी भक्ति, शक्ति, और बल प्राप्त कर सकते हैं।
11 मुखी हनुमान जी के विभिन्न मुख विभिन्न शक्त्तियों के परिचायक हैं।
11 मुखी हनुमान जी की पूजा कितनी विशेष होती होगी। आइए आज भगवान के इन मुखों से उनकी शक्ति और व्यक्तित्व के बारे में जानें।- पूर्वमुखी हुनमान जी- पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।
- पश्चिममुखी हनुमान जी- पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।
- उत्तरामुखी हनुमान जी- उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।
- दक्षिणामुखी हनुमान जी- दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।
- ऊर्ध्वमुख- इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।
- पंचमुखी हनुमान- पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।
- एकादशी हनुमान- ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11वां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।
- वीर हनुमान- हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।
- भक्त हनुमान- भगवान का यह स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आर्शीवद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है
- दास हनुमान- बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।
- सूर्यमुखी हनुमान- यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।
हनुमान जी के ग्यारह मुखों के नाम दिए हैं।
यह हनुमान जी के विभिन्न स्वरूपों को प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी उपासना भक्तों को उनके सभी पहलुओं के साथ जुड़ने और भगवान के अद्भुत गुणों का अनुभव करने में मदद करती है। ये विभिन्न नाम हनुमान जी की भक्ति और उपासना के लिए उपयुक्त होते हैं।
प्रसिद्ध रूप हैं,
प्रसिद्ध रूप हैं,
- पूर्वमुखी हुनमान जी-
- पश्चिममुखी हनुमान जी
- उत्तरामुखी हनुमान जी
- दक्षिणामुखी हनुमान जी
- ऊर्ध्वमुख
- पंचमुखी हनुमान
- एकादशी हनुमान
- वीर हनुमान
- भक्त हनुमान
- दास हनुमान
- सूर्यमुखी हनुमान
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