भगवान शिव से जुड़े 50 रोचक तथ्य जानिए

भगवान शिव से जुड़े 50 रोचक तथ्य जानिए

भगवान शिव अर्थात पार्वती के पति शंकर जिन्हें महादेव, भोलेनाथ, आदिनाथ आदि कहा जाता है। जिस तरह से ब्रह्मा जी इस सृष्टि के रचनाकार हैं और विष्णु जी पालक हैं ठीक इसी क्रम में भगवान शिव सृष्टि के संहारक हैं। उनका रहस-सहन, वेश-भूषा विचित्र है। कैलाश पर्वत में रहने वाले देवों के देव महादेव से जुड़े कई ऐसे रहस्य हैं जिन्हें शायद ही आप जानते होंगे। आज हम यहां उन्हीं रहस्यों को बता रहे हैं। 

Know 50 interesting facts related to Lord Shiva

भगवान शिव को हिन्दू धर्म में त्रिदेव में से एक माना जाता है और वे सृष्टि, संहार और पालन के देवता हैं। भगवान शिव से जुड़े 50 रोचक तथ्य प्रस्तुत किए जा रहे हैं
  1. भगवान शिव को महादेव, नीलकंठ, भोलेनाथ, शंकर, रुद्र, नटराज आदि नामों से भी जाना जाता है।
  2. शिव शक्ति के साथ प्रसिद्ध हैं। उनकी पत्नी का नाम पार्वती है और उनके द्वारा पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) और गणेश पैदा किए गए हैं।
  3. भगवान शिव के ध्यान के लिए एक विशेष मंत्र है, जिसे "ॐ नमः शिवाय" कहा जाता है।
  4. उनके त्रिशूल का महत्वपूर्ण संकेत है। त्रिशूल सृष्टि, स्थिति और संहार के प्रतीक है।
  5. भगवान शिव के जटामुकुट (जटा के साथ मुकुट) को महाकाली की उपस्थिति के रूप में माना जाता है।
  6. उनके गले में नागों की माला होती है, जिसे "नागराज" कहा जाता है।
  7. शिव को गंगा नदी का धारण करने के लिए भी जाना जाता है। गंगा उनके जटा में से बहती है।
  8. भगवान शिव को नीलकंठ (नीले गले वाले) के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि उन्होंने विष पीने के बाद उसका प्रभाव अपने गले पर रखा था।
  9. भगवान शिव के शरीर पर त्रिपुंड्र (तीन तिलक) होता है, जो त्रिदेवों की पहचान है।
  10. शिव को धातु में लिपटे हुए सांपों के अधिपति के रूप में भी प्रस्तुत किया जाता है। उनके गले पर नागराज वासुकि रहते हैं।
  11. शिव को एक प्रकार की प्रजा संगठन की पहचान माना जाता है, जिसे "काला धार" या "भूत गण" कहा जाता है।
  12. उनकी वाहनता नंदी (भैंस) के रूप में जानी जाती है।
  13. शिव को ज्ञान, तपस्या, ध्यान, और योग के देवता माना जाता है।
  14. उनकी आदि माता का नाम सती था, जिन्होंने खुद को अपने पिता के द्वारा अपमानित करने से बचाने के लिए अपना देह दहन कर दिया था।
  15. भगवान शिव का वास स्मशान में भी होता है, और इसलिए उन्हें "स्मशानवासी" भी कहा जाता है।
  16. शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय (स्कंद) को युद्ध का देवता माना जाता है।
  17. भगवान शिव को त्रिनेत्री (तीन आंखों वाले) भी कहा जाता है, जो उनके भगवान ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर को प्रतिष्ठित करती हैं।
  18. उनके पास दमरू नामक एक वाद्ययंत्र होता है, जिसे उनकी तांडव नृत्य का प्रतीक माना जाता है।
  19. शिव की पूजा में बेल पत्र, धूप, दीप, अक्षत, बिल्व पत्र, केवड़ा, धातूरा, और जल इत्यादि का उपयोग होता है।
  20. उनके प्रसन्न होने के लिए श्रद्धालु गंगा जल का अभिषेक करते हैं।
  21. शिव का वाहन नंदी कोई सामान्य भैंस नहीं है, बल्कि उसे उनके द्वारा साध्य किया गया है।
  22. भगवान शिव की वाणी को "वचस्पति" नाम से जाना जाता है, और उनकी वाणी को सुनने वाले व्यक्ति को विद्या का वरदान मिलता है।
  23. उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है, क्योंकि वे बहुत ही आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को सुनते हैं।
  24. भगवान शिव को पंचायतन पूजा का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, जिसमें वे एक साथ पूजे जाते हैं - भगवान विष्णु, देवी दुर्गा, सूर्य देव, और गणेश।
  25. भगवान शिव के एक प्रमुख धार्मिक स्थल हैं केदारनाथ, जो उत्तराखंड राज्य में स्थित है।
  26. शिव की प्रमुख आराधना संस्कृत में "शिव ताण्डव स्तोत्र" के रूप में जानी जाती है, जिसे ऋषि मार्कण्डेय द्वारा रचा गया है।
  27. भगवान शिव के अनुयायी महाकुंभ मेले में एकत्रित होते हैं, जो हर तीर्थ मेले में 12 वर्षों के अंतराल पर होता है।
  28. भगवान शिव के जन्म का दिन महा शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, जो हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को पड़ता है।
  29. शिवलिंग को भगवान शिव की प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता है। शिवलिंग साधारणतः श्वेत या काले रंग का होता है और उसे पूजा के लिए उठाया जाता है।
  30. उनके अवतार के रूप में धूलीचंद्र (धूला चंद्रमा) का नाम भी जाना जाता है, क्योंकि उनकी चंद्रमा-जैसी तेज वाली त्रिशूल होती है।
  31. शिव को मृत्युंजय (मृत्यु के विजयप्राप्त करने वाले) के रूप में जाना जाता है, और उनकी पूजा का प्रभाव मृत्यु से छुटकारा पाने में माना जाता है।
  32. उनका परिवार पुत्र गणेश, कार्तिकेय (स्कंद), पत्नी पार्वती, और उनकी वाहन नंदी से मिलता है।
  33. शिव को गंध, दुध, गंगाजल, बिल्व पत्र, धातूरा, भांग, और पंचामृत की प्राथमिक प्रसाद माना जाता है।
  34. उनकी प्रमुख उपास्य मूर्ति पंचमुखी शिवलिंग है, जिसमें पांच मुखों के साथ पांचों दिशाओं का प्रतीक होता है।
  35. भगवान शिव की प्रमुख आराधना विद्यारण्य अश्रम में होती है, जो आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित किया गया है।
  36. भगवान शिव का ध्यान करते समय, शिव चालीसा, शिव ताण्डव स्तोत्र, शिव महिम्न स्तोत्र, रुद्राष्टकम आदि पठने का प्रचलन है।
  37. उनके अनुयायी ज्ञानी महर्षि मार्कण्डेय, रावण,नंदि, विष्णु, पार्वती, और हनुमान जैसे प्रमुख पुराणिक चरित्रों को मानते हैं।
  38. भगवान शिव की महाशिवरात्रि के दिन के रात्रि में जगह-जगह ज्योतिर्लिंग दर्शन होते हैं, जिसमें महाकालेश्वर, केदारनाथ, विश्वनाथ, सोमनाथ, रामेश्वरम, गृष्णेश्वर, मल्लिकार्जुन, ओम्कारेश्वर, भीमशंकर, राजराजेश्वरम, काशीविश्वेश्वर, नागेश्वर, त्र्यम्बकेश्वर, और नीलकंठेश्वर शामिल हैं।
  39. शिव की शक्ति का प्रतीक त्रिशूल होता है, जो मोह, रजोगुण, और तामसिक शक्तियों को नष्ट करता है और सत्त्वगुण को उत्पन्न करता है।
  40. उनका प्रसाद माना जाने वाला विभूति (बास्मा) है, जो उनके ध्यान करते समय लगाया जाता है और उनकी पूजा में उपयोग होती है।
  41. भगवान शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें उनका आदिपुरुष और प्रवृत्तिपुरुष दोनों के स्वरूपों का प्रतीक होता है।
  42. उनकी अपनी विशेष भक्ति का नाम "भगवान शिव की पंचाक्षरी मन्त्र" है, जो "ॐ नमः शिवाय" के रूप में जाना जाता है।
  43. भगवान शिव को जटा वाले होने के कारण "जटाधारी" के रूप में भी जाना जाता है।
  44. उनकी नादरूप ध्वनि को "नादब्रह्म" कहा जाता है, जिसे सुनकर महर्षि कश्यप को वेदव्यास की सहायता से वेदों की रचना हुई।
  45. भगवान शिव को "कैलासेश्वर" के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे हिमालय के कैलास पर्वत पर निवास करते हैं।
  46. उन्हें पशुपति के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि वे पशुओं के राजा हैं और उनका संरक्षण करते हैं।
  47. भगवान शिव की आराधना का एक महत्वपूर्ण भाग नृत्य है, और वे नटराज (नृत्यकार) के रूप में भी जाने जाते हैं।
  48. भगवान शिव को योगीश्वर (योग के भगवान) के रूप में भी माना जाता है, क्योंकि वे योग का प्रचार करते हैं और साधकों को मार्गदर्शन करते हैं।
  49. भगवान शिव का ध्यान करने से मानसिक शांति, समझ, और सुरक्षा प्राप्त होती है।
  50. शिव चालीसा में उनके 40 नामों का उल्लेख किया गया है, जिनमें से हर नाम उनके विभिन्न गुणों और महत्वपूर्ण अस्त्र-शस्त्रों को प्रतिष्ठित करता है।

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