संपूर्ण भगवान शिवजी के परिवार के बारे में /About the entire family of Lord Shiva

संपूर्ण भगवान शिवजी के परिवार के बारे में 

भगवान शिवजी का  परिवार के बारे में 

भगवान शिव सही अर्थों में परिवार के देवता हैं। क्योंकि ये एकमात्र ऐसे देवता हैं, जिनका परिवार संपूर्ण है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय व श्रीगणेश के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन उनकी पुत्री और उनके पोतों यानी श्रीगणेश के पुत्रों के बारे में कम ही लोग जानते हैं। यहां हम आपको संपूर्ण शिव परिवार के बारे में बता रहे हैं-
भगवान शिव परिवार के मुखिया हैं। शिव को सृष्टि का प्राण माना जाता है। अगर शिव नहीं हों तो सृष्टि शव के समान हो जाती है। इस कारण शिव को कालों का काल यानी महाकाल भी कहा गया है। शिव प्राण देते हैं, जीवन देते हैं और संहार भी करते हैं।भगवान शिव की पत्नी जगदंबा पार्वती हैं। शिवपुराण के अनुसार, ये पर्वतराज हिमालय व मैना की पुत्री हैं। पार्वती को ही शक्ति माना गया है। शरीर में शक्ति ना हो तो शरीर बेकार है। शक्ति तेज का पुंज है। मानव को हर काम में सफलता की शक्ति पार्वती यानी दुर्गा देती हैं। भगवान शिव ने अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्वयं शक्ति के महत्व को सिद्ध किया है।भगवान शिव की पुत्री का नाम अशोक सुंदरी है। पौराणिक कथाओं और कुछ लोक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए कल्प वृक्ष (सबकी इच्छाएं पूरी करने वाला पेड़) से कन्या प्राप्ति का वरदान मांगा, जिसके फलस्वरूप अशोक सुंदरी का जन्म हुआ। अशोक सुंदरी का विवाह परम पराक्रमी राजा नहुष से हुआ था। माता पार्वती के वरदान से अशोक सुंदरी ययाति जैसे वीर पुत्र तथा सौ रूपवती कन्याओं की माता बनीं।
कार्तिकेय जी भगवान  शिव के बड़े पुत्र हैं। कार्तिकेय के पास देवताओं के सेनापति का पद है। वे साहस के अवतार हैं। कम आयु में ही अपने अदम्य साहस के बल पर उन्होंने तारकासुर का नाश किया था। इसलिए आत्मविश्वास और आत्मबल की प्राप्ति कार्तिकेय से होती है। शिवपुराण के अनुसार, कार्तिकेय ब्रह्मचारी हैं, वहीं ब्रह्मवैवर्त पुराण में इनकी पत्नी का नाम देवसेना बताया गया है। गणेश जी भगवान शिव के छोटे पुत्र हैं। इनका मुख हाथी का है इसलिए इन्हें गजमुख भी कहा जाता है। श्रीगणेश को प्रथम पूज्य की उपाधि प्राप्त है। किसी भी शुभ कार्य से पहले इनका पूजन किया जाता है। ग्रंथों में इन्हें परम शक्तिशाली व बुद्धिमान बताया गया है। इनके पूजन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। गणेश पुराण के अनुसार, श्रीगणेश ने अनेक अवतार लेकर दुष्टों का अंत किया हैभगवान शिव की दो बहुएं हैं श्रीगणेश की पत्नी सिद्धि और बुद्धि। शिवपुराण के अनुसार, ये प्रजापति विश्वरूप की पुत्रियां हैं। कुछ स्थानों पर रिद्धि और सिद्धि का नाम मिलता है, लेकिन अधिकांश ग्रंथों में सिद्धि और बुद्धि को ही गणपति की पत्नी माना गया है। सिद्धि कार्यों में, मनोरथों में सफलता देती है। बुद्धि ज्ञान के मार्ग को प्रशस्त करती हैं।ग्रंथों के अनुसार, भगवान गणेश के दो पुत्र हैं क्षेम और लाभ। क्षेम हमारे अर्जित पुण्य, धन, ज्ञान और ख्याति को सुरक्षित रखते हैं। सीधा अर्थ है हमारी मेहनत से कमाई गई हर वस्तु को सुरक्षित रखते हैं, उसे कम नहीं होने देते और धीरे-धीरे उसे बढ़ाते हैं। लाभ का काम निरंतर उसमें वृद्धि देने का है। लाभ हमें धन, यश आदि में निरंतर बढ़ोत्तरी देता है।

महाशिवरात्रि करें इन चमत्कारी शिव मंत्रों का जाप 

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा और उपासना करने का बड़ा महत्व है। भगवान शिव को भोले भंडारी भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव जल्द प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं। वैसे तो हर महीने ही शिवरात्रि आती है, लेकिन फाल्गुन माह में आने वाली महाशिवरात्रि का अधिक महत्व है। हिंदू धर्म के अनुसार जो भक्त इस दिन भगवान शिव की उपासना और व्रत करता है, उसकी हर मनोकामना भगवान शिव पूर्ण करते हैं।  
 आज मंदिरों में महाशिवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है। इस दिन आप भगवान भोलेनाथ की विधिपूर्वक पूजा कर, मन को शांत करके शिव मंत्र का जाप करें। भगवान शिव का हर मंत्र चमत्कारी है। कहा जाता है कि शिव मंत्रों के जाप से रोग, दोष, कष्ट, संकट, पाप, भय सब दूर हो जाते हैं। और साथ ही सुख, सौभाग्य, आरोग्य, संतान आदि की प्राप्ति भी होती है। आइए जानते हैं भगवान शिव के प्रभावशाली और चमत्कारी मंत्रों के बारे में...
भगवान शिव के चमत्कारी मंत्र
1. शिव गायत्री मंत्रओम तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रूद्र प्रचोदयात्। इस मंत्र का जाप सुख, समृद्धि आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
2. पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाय यह मंत्र भगवान शिव का मूल मंत्र या शिव पंचाक्षरी मंत्र है। इस मंत्र के जाप से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
3. महामृत्युंजय मंत्र ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
4. लघु मृत्युंजय मंत्रओम जूं स माम् पालय पालय स: जूं ओम मृत्युंजय मंत्रों का जाप अकाल मृत्यु, असाध्य रोग, राज दंड आदि से सुरक्षा के लिए किया जाता है।
5.  शिव आरोग्य मंत्र माम् भयात् सवतो रक्ष श्रियम् सर्वदा। आरोग्य देही में देव देव, देव नमोस्तुते।। 
ओम त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। उत्तम स्वास्थ्य के लिए इस मंत्र का भी जाप किया जाता है। 
6. धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए शिव मंत्र ओम हृौं शिवाय शिवपराय फट्।।
7. शत्रु-विजय के लिए शिव मंत्र ओम मं शिव स्वरुपाय फट्।।
 8. शिव स्तुति मंत्र द: स्वप्नदु: शकुन दुर्गतिदौर्मनस्य, दुर्भिक्षदुर्व्यसन दुस्सहदुर्यशांसि। उत्पाततापविषभीतिमसद्रहार्ति, व्याधीश्चनाशयतुमे जगतातमीशः।।

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