भगवान शिव की स्तुति करने से पूर्व हम उनके गुणों और महत्व को समझें।

भगवान शिव की स्तुति करने से पूर्व हम उनके गुणों और महत्व को समझें।

भगवान शिव की स्तुति करने से पूर्व

नमः शिवायै। भगवान शिव की स्तुति करने से पूर्व हम उनके गुणों और महत्व को समझें। भगवान शिव हिन्दू धर्म के त्रिमूर्ति में से एक हैं और वे सर्वशक्तिमान और अनन्त ज्ञान के प्रतीक हैं। वे महाकाल, महेश्वर, नीलकंठ, अर्धनारीश्वर, रुद्र, भोलेनाथ, गंगाधर, जटाधारी, नागेश, पशुपति, आदिदेव आदि नामों से भी पुकारे जाते हैं। इनके चरित्र में तपस्या, वैराग्य, संसार के बंधनों से मुक्ति, सदाचार, दया, करुणा, शक्ति, न्याय, विज्ञान, और ध्यान जैसे गुण समाहित हैं।

एक भगवान शिव की स्तुति प्रस्तुत की जाती

नमः शिवाय, महेश्वराय।
मृडान्तकाय, जटाधारिणे।
नीलकंठाय, भस्माङ्गजाय,
गौरीपतये, नमो नमः।

त्रिनेत्राय, गंगाधराय।
अर्धचन्द्राय, रुद्राय।
भोलेशाय, पशुपतये,
भक्तानुग्रहकाय च।

महादेवाय, नीलकंठाय।
नीलग्रीवाय, महेश्वराय।
सर्वलोकेशाय, भगवते,
वामदेवाय, नमो नमः।

जय जय शिव शम्भो, हर हर महादेव।
नमः शिवाय, नमो नमः।

यह स्तुति भगवान शिव के महत्व और उनके दिव्य गुणों का सम्मान करती है। स्तुति के माध्यम से हम उनके चरणों में अपना मन और आत्मा समर्पित करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं। यह एक भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति है जो हमें शिव के साथ आध्यात्मिक संवाद में ले जाती है।

भगवान शिव को स्तुति या प्रशंसा करने के लिए 

भगवान शिव को स्तुति या प्रशंसा करने के लिए विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाएं और स्तोत्र उपलब्ध हैं। यहां एक प्रमुख शिव स्तुति का उदाहरण दिया गया है:
ॐ नमः शिवाय।
नमः शिवाय।

नमः शिवायान्नमः शिवाया।
नमः शिवायान्नमः शिवायानमः शिवाय॥

जटा जूट शिव धराधर धूलि धरा,
गङ्गे चलानी नयण विलोल धरा।
वम्भे समस्त पाप कषय धराणा,
जटाधर जटाधर जय जगदीश हरा॥

श्रीमान अग्नित्रयाय व्युप्ताय,
श्रीकण्ठाय नमो नमः।
भक्ताभीष्टप्रदायाय, नीलकण्ठाय नमो नमः॥

हर शुभम वर्धयतु,
भवानी नगरी सुखं।
शिवानन्दमयं देहि,
तंत्रत्मकं चिदंबरम्॥

या कुण्डेन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

या कुण्डली मण्डितकुण्डला या शङ्खमौक्तिकावणी।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥

या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

भगवान शिव की स्तुति अपनी भावना और अनुभव के अनुसार भी की जा सकती है। आप उपरोक्त स्तुति का उच्चारण करके भगवान शिव को समर्पित हो सकते हैं। इसके अलावा, आप अन्य शिव स्तोत्र या शिव चालीसा के बारे में भी जानकारी ढूंढ सकते हैं और उन्हें भी प्रयोग कर सकते हैं। शिव के नामों का जाप और मन्त्र जैसे "ॐ नमः शिवाय" भी उपयोगी होते हैं।
ॐ नमः शिवाय।

नित्यं शुद्धं परमं शान्तं निराकारं निरामयं
मनोवाक्कायैकरूपं शिवं नमामि यामिनीशम्।

जटाजूटगलं भालं मृगधृष्टिकौण्डलं
चारुवक्षस्थलं वंदे पञ्चाननं प्रसन्नम्।

नगेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै न काराय नमः शिवाय।

वन्दे शम्भुं उमापतिं सुरगुरुं
वन्दे जगत्कारणं वन्दे पन्नगभूषणं।
वन्दे पशूनां पतिं पशुनां पतिं
वन्दे सूर्यशशाङ्कवह्निनयनं।

वन्दे मुकुन्दप्रियं वामभागं
वन्दे संप्रमोहनं शशिशेखरं।
वन्दे पञ्चाननं रघुनायकं
वन्दे चन्द्रार्कान्तबासमानन्दम्।

नमामि शमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदानन्दरूपं शिवोहं शिवोहं।

भवानीपतिं चिदानन्दरूपं
निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं।
चिदंबरं निर्गुणं निर्विकल्पं
चिदाकारं शिवं शिवं नमामि।

आत्मभूषणं भानुकोटिप्रभं
शूलपाणिं त्रिनयनं चारुविभूषणम्।
जटामण्डलधारं सर्वलोकविग्रहं
ब्रह्मण्यं ब्रह्मक्षयं स्वर्गदं भूयात्।

नमामि शमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम्।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं
चिदानन्दरूपं शिवोहं शिवोहं।
भगवान शिव की जय।

श्री भगवान शिव को नमः। 15 तथ्य शिव जी के बारे में 

1. महादेव: शिव को "महादेव" भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "महान ईश्वर" या "महान देवता।"
2. त्रिनेत्र: भगवान शिव के तीन नेत्र होते हैं। एक आंतरिक नेत्र और दो सामने के नेत्र।
3. गंगा स्नान: शिव भगवान के जटा-मुकुट पर गंगा नदी का धारा स्थान है। इसलिए, गंगा स्नान उनके भक्तों के लिए विशेष माना जाता है।
4. नंदी: भगवान शिव के वाहन के रूप में नंदी, एक वृषभ, है, जिसे वह अपने साथ लेकर भव्यता से घूमते हैं।
5. मृगाधर: शिव को "मृगाधर" भी कहा जाता है, क्योंकि उनके गले में वनमाला होती है, जिसे मृग (हिरन) द्वारा सजाया गया था।
6. ध्यान: शिव के ध्यान के लिए मंत्र है - "ॐ नमः शिवाय"। इस मंत्र का जाप भक्तों को मन की शांति और आत्मिक उन्नति दिलाने में सहायक होता है।
7. त्रिशूल: शिव के हाथ में एक त्रिशूल (तीसरा) होता है, जो बुराई और अशुभता को नष्ट करता है और सत्य, शुद्धता और ज्ञान को प्रतिष्ठित करता है।
8. अर्धनारीश्वर: शिव को अर्धनारीश्वर के रूप में भी देखा जाता है, जिसमें उनका देवी पार्वती के साथ एक संयोगित रूप होता है। इससे प्रकट होता है कि पुरुष और स्त्री एक साथ अनिवार्य रूप से जुड़े हुए हैं।
9. नंदीश्वर: शिव के रूप में वह नंदीश्वर भी कहलाते हैं, जो वह अपने विशेष पूजास्थल पर बैठे हुए होते हैं।
10. पंचाक्षरी मंत्र: शिव का प्रमुख मंत्र है "ॐ नमः शिवाय"। यह पंचाक्षरी मंत्र (पांच अक्षरों वाला मंत्र) उनकी पूजा और ध्यान के लिए प्रयोग किया जाता है।
11. तांडव नृत्य: भगवान शिव का तांडव नृत्य विश्वनाश का प्रतीक है। यह नृत्य उनकी शक्ति और अद्भुतता का प्रदर्शन करता है।
12. कैलाश पर्वत: शिव का आवास कैलाश पर्वत माना जाता है। यह पर्वत स्थानिक और मान्यताओं के अनुसार हिमालय के नीचे स्थित है।
13. नंदी राज्य: शिव काएक नंदी राज्य होता है, जिसे वह अपने अनुयायों के साथ साझा करते हैं।
14. रुद्राक्ष: शिव के प्रमुख पूजा सामग्री में रुद्राक्ष के माला और माणियों का उपयोग किया जाता है। रुद्राक्ष गाथा के अनुसार शिव की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने में सहायक होते हैं।
15. मोक्षदाता: शिव को मोक्षदाता भी माना जाता है, जिसका अर्थ है कि उनकी कृपा से भक्तों को मुक्ति प्राप्त होती है। उन्हें मोक्ष के द्वार तक पहुंचाने की शक्ति होती है।
 कुछ महत्वपूर्ण तथ्य भगवान शिव के बारे में। शिव जी की पूजा, भक्ति और आराधना हमें मानसिक शांति, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करती है।

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