दत्तात्रेय भगवान विष्णु के एक अवतार माना जाता है।/Dattatreya is believed to be an incarnation of Lord Vishnu.

 दत्तात्रेय भगवान विष्णु के एक अवतार माना जाता है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार,- दत्तात्रेय भगवान विष्णु के एक अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय के अवतार का वर्णन हिंदू धर्म के श्रीमद् भागवतम्, पुराणों और तंत्र ग्रंथों में मिलता है। वे त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के एक समान रूप के रूप में व्यक्त होते हैं।दत्तात्रेय के अवतार का उद्गम स्थल कोनकन के पावस गांव के निकट स्थित गिरिनार पहाड़ी में होता है। उन्हें भगवान दत्ता, दत्तगुरु और दत्तभगवान के नाम से भी जाना जाता है।
दत्तात्रेय के अवतार के कुछ मुख्य गुण निम्नलिखित हैं:
1. त्रिदंडी: दत्तात्रेय को त्रिदंडी यानी तीन डंडे वाले साधु के रूप में दिखाया जाता है। इन्हें तीन अभिप्रेत संसारों का (भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल) ज्ञान होता है।
2. अवधूत: दत्तात्रेय को अवधूत साधु के रूप में भी जाना जाता है, जिससे उनके भगवान के साथ अत्यंत समीप्य और आत्मीय रिश्ते का वर्णन होता है।
3. गुरु: दत्तात्रेय को सभी गुरुओं के आदि गुरु या आदि योगी माना जाता है। उन्होंने अपने चार गुरुओं से विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश प्राप्त किया था।
4. अनसूया के पुत्र: दत्तात्रेय को ऋषि अत्रेय और ऋषिका अनसूया के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है।
भारतीय धर्म में, दत्तात्रेय के अवतार का महत्व बहुत ऊँचा माना जाता है और उन्हें आदि गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। वे संसार के समस्त समस्याओं के समाधान के लिए आदर्श माने जाते हैं और उन्हें श्रद्धा भक्ति से प्रार्थना किया जाता है।

दत्तात्रेय के अवतार की कथा 

हिंदू धर्म के पुराणों में विस्तार से मिलती है। दत्तात्रेय के अवतार की कथा का मुख्य अंश कुछ इस प्रकार है:कलियुग के आदि में, सृष्टि में अधर्म और अन्याय का विकास होने लगा था। देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव से इस समस्या का समाधान पूछा। तब त्रिमूर्ति ने एक ऐश्वर्यपूर्ण, विशाल और अद्भुत अवतार, दत्तात्रेय का उद्गम स्थल भगवान दत्ता के रूप में प्रकट होने का निर्णय किया।ऋषि अत्रेय और ऋषिका अनसूया के घर दत्तात्रेय भगवान के अवतार के रूप में जन्मे। दत्तात्रेय बचपन से ही अत्यंत ध्यानात्मक और ज्ञानी थे। उन्होंने अपने पिता से वेद, शास्त्र, योग, तंत्र और आध्यात्मिक ज्ञान का अध्ययन किया।एक दिन, ऋषि अत्रेय और ऋषिका अनसूया के घर पर त्रिदंडी साधु द्वारा भोजन के अनुभव करते हुए दत्तात्रेय ने देखा कि उनके माता-पिता बहुत धन्य हो रहे हैं क्योंकि उन्होंने भगवान को भोजन के रूप में स्वीकार किया। तभी उन्हें अपने माता-पिता से भी अधिक उपदेश और आध्यात्मिक ज्ञान की इच्छा हुई और वे भगवान से उसी दिन संयम और भक्ति के साथ आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए व्रत रखने लगे।
दत्तात्रेय ने संसार के तीनों अभिप्रेत समयों (भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल) का ज्ञान रखते हुए, अपने गुरुओं से ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति की। उन्होंने जीवन के अलग-अलग स्तरों पर संसार की महत्वपूर्ण शिक्षाएँ दीं और अनेक अद्भुत लीलाएँ भी प्रगट कीं।भगवान दत्तात्रेय के अवतार का उद्देश्य संसार को धार्मिकता, सच्ची भक्ति, दया और शांति की शिक्षा देना था। उन्होंने आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार-प्रसार किया और भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर गुरुत्व दिया। उनके उपदेशों का पालन करने से भक्त भगवान के दिव्य आनंद में स्थित होते थे और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती थी।इस तरह, दत्तात्रेय के अवतार काउद्देश्य संसार को सच्चे धर्म की शिक्षा देना, भक्ति और सद्गुरु के मार्ग पर प्रेरित करना था। उनके प्रचार-प्रसार से अनगिनत लोगों को आध्यात्मिक उन्नति और आनंद की प्राप्ति हुई थी।

भगवान दत्तात्रेय के कुछ तथ्य 

1. पुराणों के अनुसार, दत्तात्रेय भगवान विष्णु के एक अवतार माने जाते हैं जिन्हें त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, और महेश) का एक संयोज्य रूप कहा जाता है।
2. दत्तात्रेय की कथाएं पुराणों में उनके अवतार के रूप में उद्धृत की गई हैं, जैसे कि श्रीमद् भागवतम्, गुरु गीता, दत्तात्रेय चरित्र, विष्णु पुराण, शिव पुराण, ब्रह्म पुराण आदि।
3. दत्तात्रेय को ऋषि अत्रेय और ऋषिका अनसूया के पुत्र के रूप में भी जाना जाता है, जो भगवान विष्णु के अवतार के रूप में उन्हें प्राप्त हुआ था।
4. दत्तात्रेय को तीनों देवताओं का एक संयोज्य रूप माना जाता है, जो विष्णु के विशेष रूप के रूप में प्रकट हुए थे। उनके तीन अभिप्रेत संसारों (भूतकाल, वर्तमानकाल, भविष्यकाल) का ज्ञान था।
5. दत्तात्रेय की पूजा और भक्ति को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है और उन्हें आदि गुरु और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है।
6. दत्तात्रेय के अवतार का मुख्य उद्देश्य संसार को धार्मिकता, भक्ति, और आध्यात्मिक ज्ञान का उपदेश देना था। उन्होंने भक्तों को धर्मिक तत्वों की शिक्षा दी और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग पर प्रेरित किया।
यहां दिए गए तथ्य प्रमाणित करते हैं कि दत्तात्रेय को हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में माना जाता है। उन्हें गुरुत्व और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है और उनकी पूजा भक्तों द्वारा भावुक भाव से की जाती है।

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