हनुमान जी के आठ स्वरूप निम्नलिखित हैं

 हनुमान जी के आठ स्वरूप निम्नलिखित हैं

  1. महावीर हनुमान (Mahavir Hanuman): यह स्वरूप हनुमान जी का सबसे प्रमुख और वीर रूप हैं। इस स्वरूप में हनुमान जी वीरता, बल, शक्ति और धैर्य के प्रतीक होते हैं।
  2. विरात हनुमान (Virat Hanuman): यह स्वरूप विराट रूप में हनुमान जी का वर्णन करता है, जिसमें उनका विशाल रूप देवी सीता के चूड़ामणि के अंदर व्याप्त हो जाता है।
  3. पंचमुखी हनुमान (Panchmukhi Hanuman): इस स्वरूप में हनुमान जी पांच मुखों वाले रूप में प्रतिष्ठित होते हैं। इन पांच मुखों का प्रतीक होता है: वानर मुख (वानर), हयग्रीव मुख (घोड़ा), सिंह मुख (सिंह), गरुड़ मुख (गरुड़), और वराह मुख (सुअर)।
  4. लघुरूप हनुमान (Laghu Hanuman): इस स्वरूप में हनुमान जी छोटे संक्षिप्त रूप में प्रतिष्ठित होते हैं, जो बच्चों और बड़ों के द्वारा पूजे जाते हैं।
  5. दया हनुमान (Daya Hanuman): इस स्वरूप में हनुमान जी दयालु और सदय रूप होते हैं, जो भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने में सहायता करते हैं।
  6. संकटमोचन हनुमान (Sankatmochan Hanuman): यह स्वरूप भक्तों को संकटों और मुसीबतों से मुक्ति देने वाले हनुमान जी को दर्शाता है।
  7. रामभक्त हनुमान (Ram Bhakt Hanuman): इस स्वरूप में हनुमान जी भगवान राम के निष्ठावान भक्त होते हैं और उनके सेवकी भाव से परिपूर्ण होते हैं।
  8. संतोषी हनुमान (Santoshi Hanuman): इस स्वरूप में हनुमान जी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने वाले संतोषी मूर्ति के रूप में प्रसिद्ध होते हैं।
यह आठ स्वरूप हनुमान जी के भक्तों द्वारा पूजे जाते हैं और उनकी शक्ति, करुणा और आशीर्वाद के लिए प्रसिद्ध हैं।


हनुमान जी को आठ सिद्धियां (Ashta Siddhis) प्राप्त होती हैं

 जो उनके वीरता, तपस्या और भक्ति के परिणामस्वरूप होती हैं। निम्नलिखित हैं हनुमान जी की आठ सिद्धियां
  1. अणिमा (Anima): इस सिद्धि के द्वारा हनुमान जी सूक्ष्म रूप अपना सकते हैं और छोटे-छोटे या अभूतपूर्व आकार धारण कर सकते हैं।
  2. महिमा (Mahima): इस सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी अपने आकार को विशाल कर सकते हैं और असाधारण वजन उठा सकते हैं।
  3. लघिमा (Laghima): लघिमा सिद्धि के जरिए हनुमान जी भारी वस्तुएं भी वायु में उठा सकते हैं और ग्रहों के गति को अवलोकित कर सकते हैं।
  4. प्राप्ति (Prapti): इस सिद्धि से हनुमान जी किसी भी स्थान पर तुरंत पहुंच सकते हैं और उन्हें दूरस्थ स्थानों की जानकारी प्राप्त होती है।
  5. प्राकाम्य (Prakamya): प्राकाम्य सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हैं और विभिन्न वस्तुओं को प्राप्त कर सकते हैं।
  6. ईशित्वरत्व (Ishita-tva): ईशित्वरत्व सिद्धि के जरिए हनुमान जी आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी आदि प्राकृतिक तत्वों को नियंत्रित कर सकते हैं।
  7. वशित्व (Vashitva): वशित्व सिद्धि से हनुमान जी अन्य व्यक्तियों को अपने वश में कर सकते हैं और उन्हें अपनी इच्छानुसार कार्य करवा सकते हैं।
  8. कामावासायिता (Kamavasayita): कामावासायिता सिद्धि के माध्यम से हनुमान जी सभी मनोवृत्तियों को नियंत्रित कर सकते हैं और एकाग्रता का अनुभव कर सकते हैं।
आठ सिद्धियां हनुमान जी की अनंत शक्ति और ब्रह्मचारी तपस्या के परिणामस्वरूप हैं और उन्हें भक्तों को सहायता करने में उपयोगी होती हैं।

हनुमान जी के आठ नाम (Ashtottara Shatanamavali) निम्नलिखित हैं

  1. अंजनेय (Anjaneya): हनुमान जी को "अंजना" नामक देवी के पुत्र के रूप में जन्मा था, इसलिए उन्हें "अंजनेय" के नाम से भी जाना जाता है।
  2. महावीर (Mahavir): "महावीर" का अर्थ है "महान वीर"। हनुमान जी की वीरता और शौर्य को दर्शाने के लिए उन्हें "महावीर" के नाम से भी जाना जाता है।
  3. मारुतिनंदन (Marutinandan): हनुमान जी को "मारुतिनंदन" कहा जाता है, क्योंकि वे वायुपुत्र हैं और इन्हें "मारुतिनंदन" के नाम से जाना जाता है।
  4. वायुपुत्र (Vayuputra): हनुमान जी को "वायुपुत्र" कहा जाता है, क्योंकि उन्हें वायुदेवता वायु का पुत्र माना जाता है।
  5. पवनसुत (Pavansut): हनुमान जी को "पवनसुत" कहा जाता है, क्योंकि उन्हें पवन (वायु) के पुत्र के रूप में जाना जाता है।
  6. शंकरसुभांवनकृत (Shankarasubhankara): हनुमान जी ने भगवान शिव की अराधना की थी, इसलिए उन्हें "शंकरसुभांवनकृत" के नाम से भी जाना जाता है।
  7. केसरीनंदन (Kesarinandan): हनुमान जी को "केसरीनंदन" कहा जाता है, क्योंकि उनके पिता का नाम केसरी था, और इस रूप में भी उन्हें पूजा जाता है।
  8. आञ्जनेय (Anjaneya): "आञ्जनेय" भी हनुमान जी का एक और नाम है, जो उनके माता के नाम पर आधारित है, क्योंकि उनकी माता का नाम अंजना था।
ये आठ नाम हनुमान जी के भक्तों द्वारा उनकी पूजा-अर्चना के समय उच्चारण किए जाते हैं।

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