शनि देव की महिमा शनि पौराणिक कथा

शनि देव की महिमा शनि पौराणिक कथा

शनिदेव को अक्सर वैदिक ज्योतिष में कर्म या न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह नैतिकता, न्याय, करियर, जीवन की उपलब्धियों, गुणों और मूल्यों से संबंधित होते हैं। ऐसा माना जाता है कि शनि यदि आपके ऊपर मेहरबान हों तो बड़े से बड़ी बाधा भी टल जाती है और यदि उनकी दृष्टि पड़ जाए तो जीवन में समस्याएं आने लगती हैं। अक्सर लोग शनिदेव को कुदृष्टि के रूप में ही जानते हैं और शनि देव को प्रसन्न करना कठिन होता है।

महिमा शनिदेव की 

शनि देवता को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि कोई भी बुरा काम उनसे छिपा नहीं है। शनिदेव हर अच्छे और बुरे काम का फल मनुष्य को जरूर देते हैं इसलिए उनकी पूजा का बहुत महत्व है। माता छाया और सूर्य देव के पुत्र शनिदेव को आमतौर पर केवल नकारात्मकता के रूप में ही देखा जाता है लेकिन व्यक्ति के जीवन में शनि के बहुत से सकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि शनि देव व्यक्ति द्वारा किये गए सभी अच्छे बुरे कर्मों का फल देते हैं। इसी कारण से उन्हें कर्मफलदाता भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि हर शनिवार को शनि देवता की पूजा अगर सही तरीके से की जाए तो शनिदेव की असीम कृपा मिलती है और ग्रहों की दशा भी सुधरती है। शनि देव की कृपा पाने के लिए हर शनिवार को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीया जलाएं। ध्यान रखें कि यह दीया उनकी मूर्ति के आगे नहीं बल्कि मंदिर में रखी उनकी शिला के सामने जलाएं। अगर घर के आस-पास शनि मंदिर ना हो तो पीपल के पेड़ के आगे तेल का दीया जलाएं। अगर वो भी ना हो तो सरसों का तेल गरीब को दान करें। शनिदेव की पूजा के बाद हनुमान जी की पूजा करें। उनकी मूर्ति पर सिन्दूर लगाएं और केला अर्पित करें। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए काली वस्तुओं का दान बहुत अच्छा माना जाता है। अगर आप भी शनिदेव के किसी दंड को भोग रहे हैं तो काली वस्तुओं का दान करना शुरू कर दें। इसमें आप काले कपड़े, काले तिल, काली उड़द और सरसों का तेल आदि को सम्मिलित कर सकते हैं। अगर आप आर्थिक तौर पर सामथ्र्यवान हैं तो इस दिन लोहा भी दान करें। शनि देव इससे बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है। माना जाता है हर शनिवार पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। ऐसा करने से आपके कष्ट कम हो जाते हैं और आपको धन-धान्य की प्राप्ति होती है। 

glory of shani dev shani mythology

  1. न्यायप्रियता और धर्मनिष्ठा: शनि देव को न्यायप्रिय देवता माना जाता हैं क्योंकि वे धर्म और नियम के पालन के प्रतीक हैं। उनकी दृढ़ धार्मिक निष्ठा और न्यायी व्यवहार से वे ज्ञाति के सर्वोच्च शिक्षक के रूप में पूजे जाते हैं।
  2. परीक्षा और संघर्ष के देवता: शनि देव भक्तों को संघर्षों और परीक्षाओं के समय में साथ देने वाले देवता माने जाते हैं। उनकी कृपा से भक्तों को सार्थकता, संयम और सफलता मिलती है।
  3. शनि ग्रह के स्वामी: शनि देव को शनि ग्रह के स्वामी के रूप में जाना जाता हैं। शनि ग्रह की अनुष्ठान दोषों को नष्ट करती है और भक्तों को धन, समृद्धि और सम्मान का लाभ प्रदान करती हैं।
  4. शनि देव की कथाएं: हिंदू पुराणों में शनि देव की कई कथाएं हैं, जो उनके भक्तों को नैतिक शिक्षा और धार्मिक संदेश प्रदान करती हैं। उनमें से कुछ प्रमुख कथाएं हैं: शनि देव की विवाह कथा, शनि देव की जन्म कथा, शनि देव और हनुमानजी की कथा आदि।
  5. उपास्यता: शनि देव को शनिवार के दिन और शनि जयंती पर विशेष भक्ति और पूजा का आयोजन किया जाता है। शनि देव की मूर्ति काली रंग की होती है और उन्हें तेल और उड़द की दाल से पूजा जाता है।

शनि पौराणिक कथा :-

एक समय सूर्यदेव जब गर्भाधान के लिए अपनी पत्नी छाया के समीप गये तो छाया ने सूर्य के प्रचण्ड तेज से भयभीत होकर अपनी आंखें बंद कर ली थीं। कालांतर में छाया के गर्भ से शनिदेव का जन्म हुआ। शनि के श्याम वर्ण काले रंग को देखकर सूर्य ने अपनी पत्नी छाया पर यह आरोप लगाया कि शनि मेरा पुत्र नहीं हैं। तभी से शनि अपने पिता सूर्य से शत्रुता रखते हैं। शनिदेव ने अनेक वर्षों तक भूखे प्यासे रहकर शिव आराधना की तथा घोर तपस्या से अपनी देह को दग्ध कर लिया था। तब शनिदेव की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी ने शनिदेव से वरदान मांगने को कहा! शनिदेव ने प्रार्थना की युगों-युगों से मेरी मां छाया की पराजय होती रही हैं, उसे मेरे पिता सूर्य द्वारा बहुत अपमानित व प्रताड़ित किया गया हैं। इसलिए मेरी माता की इच्छा हैं कि मैं शनिदेव! अपने पिता से भी ज्यादा शक्तिशाली व पूज्य बनूं तब भगवान शिवजी ने वरदान देते हुए कहा कि नवग्रहों में तुम्हारा स्थान सर्वश्रेष्ठ रहेगा। तुम पृथ्वी लोक के न्यायाधीश व दण्डाधिकारी रहोगे। साधारण मानव तो क्या देवता, असुर, सिद्ध, विद्याधर और नाग भी तुम्हारे नाम से भयभीत रहेंगे। यहां यह बताना प्रासांगिक होगा कि शनिदेव काश्यप गोत्रिय हैं तथा सौराष्ट्र उनका जन्म स्थल माना जाता हैं।जब शनि की अशुभ महादशा या अंतर्दशा चल रही हो अथवा गोचरीय शनि जन्म लग्न या राशि से प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, अष्टम, द्वादश स्थानों में भ्रमण कर रहा हो तब शनि अनिष्टप्रद व पीड़ादायक होता हैं। शनि प्रदत्त पीड़ा की शांति व परिहार के लिए श्रद्धापूर्वक शनिदेव की पूजा-आराधना मंत्र व स्तोत्र का जप और शनिप्रिय वस्तुओं का दान करना चाहिए। ‘ तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ‘ शनिदेव प्रसन्न ( संतुष्ट ) होने पर राज्य दे देते हैं और रुष्ट होने पर उसे छीन लेते हैं। शनिदेव के प्रसन्न होने पर व्यक्ति को सर्वत्र विजय, धन, काम, सुख और आरोग्यता की प्राप्ति होती हैं ।

शनि की पहली प्रिय वस्तु है काला कपड़ा

  • शनि को प्रसन्न करने के लिए  सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठें.
  • पीपल के पेड़ की जड़ में  कच्चे दूध में कालातिल और शहद मिलाकर अर्पण करें
  • शनिवार की शाम किसी निर्धन बुजुर्ग व्यक्ति को  काले वस्त्रों का दान करें तथा उनका आशीर्वाद लें.
  • ऐसा करने से लंबे समय से चली आ रही नौकरी की परेशानी हमेशा के लिए खत्म होगी.
  • कम से कम 11 शनिवार ऐसा करें, जब तक कार्य सिद्ध ना हो जाए. 

 शनि की कृपा सारे काम बन जाते हैं

  • जब व्यक्ति सत्य बोलता है और अनुशासित रहता है.
  • जब व्यक्ति कमजोर और निर्बल लोगों की खूब सेवा करताहै.
  • जब व्यक्ति अपने बड़े बुजुर्गों की सेवा करता है.
  • जब व्यक्ति फलदार और लम्बी अवधि तक रहने वाले पेड़ लगाता  है.
  • जब व्यक्ति भगवान शिव की या कृष्ण की नियम पूर्वक उपासना करता है. 
  • शनि देव की महिमा विश्वास के साथ नहीं किया जाता है, बल्कि उनके गुणों और शक्तियों को समझकर अपने जीवन में सम्मान, सजगता और संयम का पालन करने से हम अपने अन्तर्मन को शुद्ध कर सकते हैं और अधिक धार्मिक जीवन जी सकते हैं।


शनि देव,महिमा विशेष रूप से वेद,पुराण और ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है

शनि देव, हिन्दू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं और उनकी महिमा विशेष रूप से वेद, पुराण और ज्योतिष ग्रंथों में वर्णित है। निम्नलिखित गुण शनि देव की महिमा में उनके विशेषताओं को दर्शाते हैं-
  1. धैर्य: शनि देव को धैर्यशील और स्थिर स्वभाव के देवता के रूप में जाना जाता है। वे अपनी भक्तों को धैर्य और सहनशीलता से बचने की सलाह देते हैं।
  2. न्यायप्रिय: शनि देव को न्यायप्रिय देवता के रूप में पूजा जाता है। वे बुराई के साथ सच्चाई और न्याय का पालन करने के लिए जाने जाते हैं।
  3. कष्ट निवारक: शनि देव की पूजा और अनुसरण से मान्यता है कि वे कष्ट और दुर्भाग्य को नष्ट कर सकते हैं और भक्तों को सुख और समृद्धि की प्राप्ति में मदद कर सकते हैं।
  4. उपकारी: शनि देव उपकारी देवता हैं जो अपने भक्तों की समस्याओं को दूर करने और उन्हें सही मार्ग पर लाने के लिए प्रस्तुत होते हैं।
  5. ज्ञानी: शनि देव को ज्ञानी देवता के रूप में भी पूजा जाता है। वे अध्यात्मिक ज्ञान, धार्मिकता, और नैतिकता के लिए प्रसिद्ध हैं।
  6. तपस्वी: शनि देव का तपस्वी और संन्यासी रूप भी माना जाता है। उनकी ध्यान और तपस्या से वे अपने भक्तों को अन्तर्मुखी विकास के लिए प्रेरित करते हैं।
  7. शनि जयंती: शनि जयंती, जो शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है, शनि देव की महिमा को याद करने के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है। इस दिन उनके भक्त उन्हें विशेष पूजा और अर्चना करते हैं।
यहां बताए गए गुण शनि देव की महिमा और भक्तों के अनुग्रह के प्रमुख पहलुओं को दर्शाते हैं। शनि देव की भक्ति और पूजा से लोग अपने जीवन में सुख, समृद्धि, और समस्याओं के निवारण के लिए उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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