भगवान शिव की तपस्या कैसे करें / How to do penance of Lord Shiva

भगवान शिव की तपस्या कैसे करें ;-

देवों के देव देवाधिदेव महादेव ही एक मात्र ऐसे भगवान हैं, जिनकी भक्ति हर कोई करता है। चाहे वह इंसान हो, राक्षस हो, भूत-प्रेत हो अथवा देवता हो। यहां तक कि पशु-पक्षी, जलचर, नभचर, पाताललोक वासी हो अथवा बैकुण्ठवासी हो। शिव की भक्ति हर जगह हुई और जब तक दुनिया कायम है, शिव की महिमा गाई जाती रहेगी।
शिव पुराण कथा के अनुसार शिव ही ऐसे भगवान हैं, जो शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मनचाहा वर दे देते हैं। वे सिर्फ अपने भक्तों का कल्याण करना चाहते हैं। वे यह नहीं देखते कि उनकी भक्ति करने वाला इंसान है, राक्षस है, भूत-प्रेत है या फिर किसी और योनि का जीव है। शिव को प्रसन्न करना सबसे आसान है।शिव पूजा का सबसे पावन दिन है 
सोमवार और इस शिव मंदिरों में भक्तों का भारी जमावड़ा देखा जा सकता है. सारे देवों में शिव ही ऐसे देव हैं जो अपने भक्‍तों की भक्ति-पूजा से बहुत जल्‍दी ही प्रसन्‍न हो जाते हैं. शिव भोले को आदि और अनंत माना गया है, जो पृथ्वी से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि हर तत्व में विराजमान हैं. भगवान शिव की उपासना और उनके मंत्रों का जाप हर कामना की पूर्ति कर सकता है. भगवान शिव अगर प्रसन्न हो जाएं तो भक्तों को मालामाल कर देते हैं.आइए जानते हैं अलग-अलग मनोकामना पूर्ति के लिए किस तरह भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए.

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए इन बातों का ध्यान रखते हुए ये चढ़ाएं-

1:- केसर, चीनी, इत्र, दूध, दही, घी, चंदन, शहद, भांग,सफेद पुष्प, धतूरा और बिल्व पत्र।
2:- ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
3:- बिल्व पत्र के तीनों पत्ते पूरे होने चाहिएं, खंडित पत्र कभी न चढ़ाएं।
4:- चावल सफेद रंग के साबुत होने चाहिएं, टूटे हुए चावलों ना चढ़ायें।
5:- फूल ताजे ही चढ़ाएं, बासी एवं मुरझाए हुए न हों।
6:- शिवलिंग पर लाल रंग, केतकी एवं केवड़े के पुष्प अर्पित नहीं किए जाते।
7:- भगवान शिव पर कुमकुम और रोली का अर्पण भी निषेध है।
 
भगवान शिव की तपस्या करना आध्यात्मिक साधना का एक महत्वपूर्ण अंश है। यह एक गहरी आध्यात्मिक अनुभव हो सकती है जिसे साधकों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है ताकि वे अपने अंतर्यात्मा के साथ एकीकृत हो सकें और दिव्यता को अनुभव कर सकें। नीचे दिए गए चरणों का पालन करके आप भगवान शिव की तपस्या कर सकते हैं:-

1. स्थान चुनें: एक शांत और शुद्ध स्थान चुनें जहां आप निरंतर अविराम बैठ सकें। यह स्थान आपकी ध्यानाभ्यास को बढ़ाने में मदद करेगा।
2. उपयुक्त समय चुनें: भगवान शिव की तपस्या करने के लिए आप उपयुक्त समय चुन सकते हैं, जैसे कि सुबह के समय या सायंकाल। ऐसा करने से आपका मन शांत और स्थिर होगा।
3. अभ्यास करें: अपनी तपस्या के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे "ॐ नमः शिवाय" या "ॐ महामृत्युंजय मंत्र"। मन्त्र के जाप से आपका मन संयमित होगा और ध्यान स्थिर होगा।
4. तपस्या के लिए नियमित समय औरसमयावधि निर्धारित करें: तपस्या के लिए नियमित समय और समयावधि निर्धारित करें। आराम से बैठें और ध्यान में लगे रहें। शुरुआत में कुछ मिनटों के लिए शुरुआत करें और धीरे-धीरे समय बढ़ाते जाएं।
5. आहार और ब्रह्मचर्य का पालन करें: अपने आहार पर ध्यान दें और सत्त्विक आहार का सेवन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करने से आपकी मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ेगी और तपस्या में सहायता मिलेगी।
6. माला का जाप करें: माला का जाप करने से आपका मन एकाग्र होगा और ध्यान अधिक स्थिर होगा। माला में १०८ माला या उससे अधिक मंत्रों का जाप करें।
7. अवधान रहें: तपस्या के दौरान अपने मन को एकाग्र रखें। अन्य विचारों को बाहर निकालें और केवल भगवान शिव के ध्यान में रहें।
8. नियमितता से अभ्यास करें: भगवान शिव की तपस्या के लिए नियमितता बहुत महत्वपूर्ण है। नियमितता से तपस्या करने से आप ध्यान में स्थिरता प्राप्त करेंगे और उनकी कृपा प्राप्त होगी।

भगवान शिव की तपस्या व्यक्तिगत होती है और इसे निरंतर अभ्यास के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। सब्र और आत्मसमर्पण के साथ तपस्या करें और आप अपने आध्यात्मिक सफ़र में शिव की कृपा को अनुभव करेंगे।

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