प्रह्लाद के भक्ति के कारण हुआ था।भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार /It was due to the devotion of Prahlad. Lord Vishnu in the Narasimha avatar

 प्रह्लाद के भक्ति के कारण हुआ था।भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार

भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार लेकर हिरण्यकश्यप राजा के बड़े पुत्र प्रह्लाद के भक्ति के कारण हुआ था। हिरण्यकश्यप राजा अपने अधिक आकर्षित पुत्र प्रह्लाद के भगवान विष्णु के प्रति विशेष भक्ति और समर्थन के कारण बड़े विरोधी और क्रोधी थे। उन्हें यह मानना था कि वे स्वयं भगवान बने हुए हैं और उन्हें किसी भी देवता की आवश्यकता नहीं है।प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्ति में लगे रहते थे और हिरण्यकश्यप के अत्याचारों का सामना करते थे। हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को बार-बार सजा देने का प्रयास किया, लेकिन प्रह्लाद की भक्ति अविचलित रही।
एक दिन, हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि भगवान कहाँ हैं और उनका अस्तित्व कैसे सिद्ध हो सकता है। प्रह्लाद ने उन्हें सिद्ध दिखाने के लिए उन्हें विभीषण नामक विद्वान्सभा में ले जाने का सुझाव दिया।प्रह्लाद ने विभीषण नामक विद्वान्सभा में जाकर भगवान विष्णु की उपासना करने वाले गुरु की भक्ति की प्रशंसा की और उनसे नामी सभी प्रश्नों का उत्तर दिया। इससे हिरण्यकश्यप का रोष बढ़ गया और उन्होंने प्रह्लाद को पूजा करने के लिए भगवान विष्णु को बुलवाने का संकल्प किया।
भगवान विष्णु ने नृसिंह अवतार के रूप में प्रकट होकर हिरण्यकश्यप के राजमहल में पहुंचे और उन्हें भयभीत कर दिया। वे मनुष्य और सिंह के मिश्रण रूप में थे और उनके हाथ में वज्रायुध था।नृसिंह भगवान ने हिरण्यकश्यप को आक्रोशित किया और उसके भयभीत सभी सेवकों को छोड़ दिया। फिर उन्होंने हिरण्यकश्यप को आपसी संवाद के द्वारा समझाया और उन्हें दीर्घ जीवित राज्य का वरदान दिया।नृसिंह भगवान के अवतार का मुख्य उद्देश्य हिरण्यकश्यप के अत्याचारी शक्ति को ध्वंस करना और भक्त प्रह्लाद की संरक्षण करना था। इस अवतार से भगवान ने भक्तों को धर्म, सत्य, न्याय और भक्ति के महत्व का संदेश दिया।

नृसिंह अवतार की कथा

भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की कथा हिरण्यकश्यप और उसके पुत्र प्रह्लाद के बीच घटी। नृसिंह अवतार की कथा विष्णु पुराण, भागवत पुराण और अन्य पुराणों में विस्तार से मिलती है। नीचे दी गई कथा कुछ संक्षेप में है:
कथा के अनुसार, दैत्य राजा हिरण्यकश्यप अपने बड़े पुत्र प्रह्लाद से प्रह्लाद के भगवान विष्णु के प्रति विशेष भक्ति और समर्थन के कारण प्रतिसंदेह और क्रोध महसूस करते थे। हिरण्यकश्यप धर्म के प्रतीक और सन्यासी संताप के विरोधी थे और उनका यह मानना था कि उन्हें भगवान की जरूरत नहीं है, वे स्वयं भगवान बने हुए हैं।हिरण्यकश्यप प्रह्लाद से अपने भक्तिमय भाव को छुपाने की कोशिश करते थे, लेकिन प्रह्लाद भगवान की पूजा में लगे रहते थे। हिरण्यकश्यप का विकट स्वभाव देखकर उनके मन में भय और रोष उत्पन्न हुआ और वे प्रह्लाद को कई बार सजा देने का प्रयास करते लेकिन वे असफल रहते।
एक दिन, हिरण्यकश्यप अपनी स्त्री हिरण्यकश्यपी के साथ एक गुहा में गए और प्रह्लाद को समझाने के लिए उन्हें भगवान विष्णु की अस्तित्व को सिद्ध करने का आदेश दिया। प्रह्लाद ने अपने पिता को विभीषण नामक विद्वान्सभा में ले जाकर भगवान विष्णु की प्रत्यक्षता को सिद्ध कर दिया। हिरण्यकश्यप ने राजमहल के द्वारपालकों से भगवान की प्रत्यक्षता को सिद्ध करने के लिए पूरी तरह से संतुष्ट नहीं होने के कारण भयानक रूप में भगवान विष्णु को बुलाने का संकल्प किया।भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप के राजमहल में प्रह्लाद के लिए बजरंग वाहन पर सवार होकर नृसिंह अवतार में प्रकट हुए। भयंकर रूप में उन्होंने हिरण्यकश्यप को पकड़ लिया और राजमहल के द्वारपालकों को छोड़ दिया। वे उस समय या स्थान पर थे जो न तो आसमान था और न ही पृथ्वी, बरबादी के समय को इसी व्यापकता के साथ दिखाते हैं।भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार ने भगवान के भक्त प्रह्लाद की संरक्षण के लिए
 उत्तरीयता का प्रदान किया और भक्ति और न्याय की विजय का प्रतीक बना। नृसिंह अवतार द्वारा, भगवान ने अधर्म के विरुद्ध धर्म की प्रतिष्ठा की और अपने भक्तों को संरक्षण प्रदान करने की प्रतिज्ञा की।

भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार से संबंधित 20 महत्वपूर्ण तथ्य हैं:

1. नृसिंह अवतार विष्णु के चौथे अवतार में से एक है।
2. इस अवतार के समय पर भगवान विष्णु मनुष्य और सिंह के मिश्रण रूप में प्रकट हुए थे।
3. नृसिंह अवतार की उत्पत्ति हिरण्यकश्यप राजा के बड़े पुत्र प्रह्लाद के भक्ति के कारण हुई थी।
4. नृसिंह अवतार के समय का आयोजन प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप द्वारा भगवान के अस्तित्व के सिद्धांत को खलनायक के रूप में सिद्ध करने के लिए किया गया था।
5. नृसिंह अवतार के समय भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप को नकली भक्षण क्रिया के द्वारा मार डाला।
6. यह अवतार भयानक और उग्र रूप में था, जो धरती, आकाश और अधर्म के शत्रुओं को भी भयभीत करता था।
7. नृसिंह अवतार का वाहन वज्र, यानी भगवान इंद्र के वज्रायुध का सम्बंध था।
8. नृसिंह अवतार के समय भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप के राजमहल में प्रकट होकर उसे उड़ाकर अंतरिक्ष में उठा लिया।
9. इस अवतार में भगवान ने राक्षसी प्रकृति को ध्वंस कर उसके भक्त प्रह्लाद को संरक्षण प्रदान किया।
10. नृसिंह अवतार की उपासना से भगवान विष्णु के भक्त अपने भय और अन्याय से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
11. नृसिंह अवतार की चित्रण धार्मिक साहित्य, कला और शिल्प में व्यापक रूप से प्रसिद्ध है।
12. नृसिंह अवतार के पुराणिक कथाओं में प्रह्लाद के अध्यात्मिक गुरु शुक्राचार्य के भूमिका और संवाद भी है।
13. नृसिंह अवतार की उपासना हिंदू धर्म में विशेष रूप से वैष्णव सम्प्रदाय में की जाती है।
14. नृसिंह जयंती और होली के रूप में इस अवतार का उत्सव हर साल मनाया जाता है।
15. नृसिंह अवतार के समय का दिन नरसिंह जयंती के रूप में भारत में मनाया जाता है।
16. नृसिंह अवतार भगवान विष्णु के अवतारों में सबसे अलग और दिलचस्प रूप माना जाता है।
17. भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार को संवेदनशीलता, शक्ति और धैर्य का प्रतीक माना जाता है।
18. नृसिंह अवतार के समय भगवान विष्णु ने प्रह्लाद के निराकार भक्ति का समर्थन किया और अधर्म के अन्याय का नाश किया।
19. नृसिंह अवतार का समय त्रेता युग में था और यह अवतार विष्णु अवतारों में एक प्रमुख अवतार माना जाता है।
20. नृसिंह अवतार की कथा के माध्यम से धर्म, भक्ति और सत्य के महत्व का संदेश दिया जाता है।

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